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Organ Donation: अंग दान क्या है? जानिए कौन कर सकता है दान, कैसे होता है शरीर का संरक्षण और क्या है इसकी प्रक्रिया

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Organ Donation यानी अंग दान का मतलब है अपने शरीर के अंग या ऊतक (Tissues) किसी दूसरे व्यक्ति के जीवन को बचाने के लिए दान करना। भारत में अंग दान दो प्रकार का होता है — जीवित दान (Living Donation) और मृत्यु उपरांत दान (Deceased Donation)। जीवित व्यक्ति केवल कुछ ही अंग जैसे कि किडनी, लीवर का हिस्सा या पैंक्रियाज का हिस्सा दान कर सकता है, जबकि मृत्यु के बाद व्यक्ति का पूरा शरीर या कई अंग दान किए जा सकते हैं। भारत में मानव अंगों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध है और इसके लिए सख्त कानून बनाए गए हैं।

कौन कर सकता है अंग दान?

अंग दान जीवित व्यक्ति या मृत व्यक्ति दोनों कर सकते हैं।

  • जीवित व्यक्ति किडनी, लीवर का हिस्सा या पैंक्रियाज का हिस्सा दान कर सकता है।
  • ब्रेन डेड (Brain Dead) व्यक्ति के शरीर से हृदय, लीवर, किडनी, पैंक्रियाज, फेफड़े और ऊतक (Tissues) लिए जा सकते हैं।
  • प्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में कॉर्निया (आंखें), हृदय के वाल्व, हड्डियां और त्वचा (Skin) दान की जा सकती हैं।
    दान के बाद इन अंगों को जरूरतमंद मरीजों में ट्रांसप्लांट किया जाता है।

कौन नहीं कर सकता अंग दान?

AIIMS के अनुसार, जिन व्यक्तियों की मौत पुलिस जांच के अधीन होती है या जिनके शरीर पर गंभीर जलन (Burn Injury) होती है, वे अंग दान के लिए योग्य नहीं होते। इसके अलावा, जिन लोगों को संक्रमण या गंभीर बीमारी है, उन्हें भी दान के लिए नहीं चुना जाता।

अंग दान की प्रक्रिया कैसे होती है?

जो व्यक्ति अंग दान करना चाहता है, वह जीवित रहते हुए फॉर्म भरकर पंजीकरण (Registration) कर सकता है।

  • यह फॉर्म अस्पताल या ऑनलाइन दोनों जगह उपलब्ध होता है।
  • फॉर्म भरते समय दो गवाहों (Witnesses) के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं।
  • मृत्यु के बाद, मृतक के परिवार के वयस्क सदस्य दान की सहमति दे सकते हैं।
    दान के बाद, शरीर अस्पताल को सौंप दिया जाता है, जहां अंग निकालने की प्रक्रिया की जाती है।

शरीर को कैसे संरक्षित किया जाता है?

दान के बाद शरीर को एंबामिंग (Embalming) प्रक्रिया से संरक्षित किया जाता है। इसमें केमिकल इंजेक्शन के जरिए शरीर में तरल पदार्थ डाले जाते हैं ताकि बैक्टीरिया का विकास न हो और शरीर जल्दी न सड़े।
इसके बाद शरीर के कुछ हिस्से शोध और अध्ययन के लिए सुरक्षित रखे जाते हैं।

कितने समय में ट्रांसप्लांट करना होता है?

हर अंग के लिए एक निश्चित समय सीमा होती है:

  • दिल (Heart): 4 घंटे के अंदर
  • फेफड़े (Lungs): 4-6 घंटे
  • पैंक्रियाज: 6 घंटे
  • लीवर (Liver): 24 घंटे
  • किडनी: 72 घंटे
  • कॉर्निया: 14 दिन तक
  • हड्डियां और त्वचा: 5 साल तक सुरक्षित रखी जा सकती हैं।

क्या दान के बाद परिवार को शरीर या राख मिलती है?

AIIMS के नियमों के अनुसार, अध्ययन और अनुसंधान के बाद शव या उसकी राख परिवार को वापस नहीं दी जाती। यहां तक कि परिवार को अंतिम संस्कार की तारीख की जानकारी भी नहीं दी जाती।

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क्या अंग दान में कोई शुल्क लगता है?

नहीं, अंग दान की पूरी प्रक्रिया पूरी तरह निःशुल्क (Free of Cost) होती है। परिवार से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता।

 

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