Pandit Pradeep Mishra – मुक्ति पाना आसान है लेकिन मोक्ष पाना है कठिन – पं. प्रदीप मिश्रा

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बैतूल Pandit Pradeep Mishra – प्रभु को पाने के लिए दो रास्ते हैं एक है भक्ति और दूसरी है मुक्ति। इन दोनों मार्गों से प्रभु को प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन मोक्ष पाना कठिन है। उक्त प्रवचन प्रसिद्ध श्री शिवमहापुराण कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने कोसमी क्षेत्र में माँ ताप्ती शिवपुराण समिति के तत्वावधान में आयोजित शिवपुराण कथा के दौरान व्यक्त किए।

मुक्ति के मार्ग पर नहीं मिलता मोक्ष(Pandit Pradeep Mishra)

पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि बाबा देवाधिदेव महादेव की पुण्य, पवित्र, पावन शिवमहापुराण की कथा श्रवण करने का आप और हमको बैतूल नगर के इस प्रागंण में सौभाग्य प्राप्त हुआ है। बड़े भाग्शाली है यजमान है जो अपने जीवन को सार्थक बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भक्ति और मुक्ति यह दो साधन हैं। डायरेक्ट अगर हम मुक्ति के साधन पर चलेंगे तो मुक्त तो हो जाएंगे पर मोक्ष नहीं मिल पाएगा। मुक्ति पा लेना एक अलग बात है और मोक्ष पा लेना दूसरी बात है। मुक्ति पाना मतलब एक योनी से दूसरी योनी में पहुंचना है इसको मुक्त होना कहा गया है।

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दूसरा जन्म लेना होता है मोक्ष

पं. प्रदीप मिश्रा ने कथा के दौरान कहा कि मोक्ष एक योनी को प्राप्त करने के बाद दूसरी किसी योनी में जाना ही ना पड़े। एक जन्म लेने के बाद कोई दूसरे जन्म की आस्था ही ना हो। सारे जन्म, बंधनों से हम मुक्त हो जाए और फिर इस जन्म या अगले जन्म में हमें कोई जन्म ही ना लेना पड़े। यही मोक्ष हैं। श्री मिश्रा ने कहा कि मोक्ष का मार्ग भी तप, भजन, कीर्तन और श्रवण है। इन्हीं सब का उपयोग कर मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मोक्ष प्राप्त तब होता है जब मन में किसी भी प्रकार की लालसा बाकी ना रहे।

क्यों लिया हमने मृत्यु लोक में जन्म?(Pandit Pradeep Mishra)

कथा को आगे बढ़ाते हुए पं. मिश्रा ने समझाया कि हमें परात्मा ने मृत्यु लोक में क्यों भेजा है? उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक बच्चे को यदि माता-पिता स्कूल भेजते हैं तो वो यह ध्यान रखते हैं कि मेरा बच्चा स्कूल से आएगा उसका इंतजार करते हैं। लेकिन जब यही बच्चा बड़ा होकर अपने पैर पर खड़ा हो जाता है तब माता-पिता उसका वैसा इंतजार नहीं करते क्यों? क्योंकि माता-पिता जानते हैं कि अब बच्चा समर्थ हो गया है और वह जीवन का आनंद ले सकता है। उसे अच्छे-बुरे का ज्ञान हो गया है। ठीक इसी तरह से यदि परात्मा ने माँ के गर्म से हमें जन्म दिया है तो उसकी भी यही अपेक्षा रहती है कि एक ना एक दिन मेरा बच्चा मेरे पास आएगा। लेकिन उस दिन क्या हम परात्मा के सामने या पास में खड़े रहने अथवा बैठने लायक होंगे? अगर हमने मृत्यु लोक में पुण्य कमाया है तो निश्चित रूप से हम परात्मा का सामना कर सकेंगे लेकिन नहीं तो अन्य की तरह हमारा भी वही हश्र होगा। ने हमें मृत्यु लोक में भेजा है तो यहां ये वेद, पुराण, शास्त्र जब भी समय मिले थोड़ा पढ़ लें ताकि हमारी जिंदगी भी थोड़ी सार्थक हो जाए है। जब भी आपको समय मिला करें तब उस समय प्रयास किया करो कि हम कोई मंत्र जाप, गीता, श्रीमद् भगवत आदि कुछ पढ़ सकें।

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परात्मा की आप पर ऐसे पड़ेगी दृष्टि

हम भी हम अच्छे कपड़े पहनते हैं तो हमारे दोस्तों, सोना-चांदी, हीरे, जवाहरात पहनते हैं तो चोर की दृष्टि हमेशा हमारे आभूषणों पर होती है। इसी तरह से यदि हम भजन, कीर्तन, तप, मंत्र जाप करते हैं तो निश्चित रूप से परात्मा की दृष्टि हमने पर पड़ेगी ही। वह हमें ढूंढ लेंगे और आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने जरा भी समय नहीं लगाएंगे। हम जब मंदिर में एक लोटा जल चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं तो मंदिर तक या कथा स्थल तक पहुंचाने वाला कोई दूसरा नहीं होता बल्कि वह स्वयं के भजन, कीर्तन, मंत्र जाप, माला जाप, पुण्य ही आपको भगवान के दरवाजे तक ले जाता है। यह हमारा पुण्य ही है जिसके बल पर हम आज यहां बैठे हैं। उसके हो इसलिए उसने आपको यहां बुला लिया, जिसकी जहां रिश्तेदारी-संबंध होती है वहां से उसे निमंत्रण आता है और वह पहुंच जाता है। यदि आप यहां बैठे हो तो इसका मतलब आपकी भोलेनाथ से रिश्तेदारी, संबंध अच्छे हैं। यह संबंध भजन, कीर्तन, जाप, मंत्र से बनते हैं।

मंदिर में कंट्रोल और मकान में क्यों अकंट्रोल होता है मन?(Pandit Pradeep Mishra)

पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सुंदरता ब्यूटीपार्लर में जाने से नहीं बल्कि तिलक लगाने से मिलती है। चंदन का त्रिकुंड लगाने और गले में रुद्राक्ष धारण करने से शोभा बढ़ती है। इसी तरह से मुंह की शोभा ओम नम: शिवाय: से है। इस मंत्र का जितना जाप करोगे उतनी मुख की शोभा बढ़ते जाएगी। उन्होंने कहा कि मंदिर में मन कंट्रोल में रहता है और मकान में आते ही मन अनकंट्रोल हो जाता है। मंदिर में मन, चित्त, अपने आपको को संभाल लेते हैं इसलिए हम गलत काम नहीं करते हैं और मकान में आते ही वही सब करते हैं। इसलिए भोलेनाथ से कहना कि मंदिर में मैंने अपने मन को कंट्रोल कर लिया लेकिन मकान में हमें तुम संभाल लेना कि हम कोई गलत काम नहीं करेंगे। समाचार लिखे जाने तक श्री शिवमहापुराण कथा जारी थी।

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