Political News : जिले में भाजपा की दोहरी नीति, मुलताई में गम्भीर, बैतूल-आमला को क्लिनचिट

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क्रास वोटिंग को लेकर कार्यकर्ताओं में रोष

बैतूल – Political News- पिछले दो माह के दौरान मध्यप्रदेश के साथ-साथ बैतूल जिले में भी पंचायत एवं नगरीय निकाय के चुनाव संपन्न हुए हैं। जहां पंचायत चुनाव राजनैतिक दलों के चुनाव चिन्ह नहीं हुए वहीं नगरीय निकायों चुनाव में बकायदा पार्टी के चुनाव चिन्ह और पार्टियों के समर्थन से उम्मीदवार मैदान में उतरे। बैतूल जिले में भी पंच, सरपंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्यों का निर्वाचन हुआ। इसी के तहत नगरीय संस्थाओं में पहले पार्षद और बाद में इन्हीं पार्षदों द्वारा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव किया गया। वर्ष 2003 से प्रदेश की सत्ता में भाजपा काबिज है। इस दौरान पहली बार जिले में भाजपा के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों और चुनाव लड़ने वाले कई भाजपा विचारधारा के उम्मीदवारों और उनके समर्थकों ने बड़ी संख्या में पार्टी लाइन से हटकर अपनी मनमानी करी और इसका खामियाजा भाजपा को मुलताई, आमला और शाहपुर नगर पालिकाओं मेें भुगतना पड़ा और इसको लेकर क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं में भी रोष देखा गया।

पार्टी की मुलताई में हुई भारी फजीहत

मुलताई नगर पालिका के 15 वार्डों में से 9 वार्डों में भाजपा और 6 वार्डों में कांग्रेस पार्षद विजयी हुए थे। इस दौरान भाजपा के कई नेताओं ने यह भी दावा किया थाकि जब अध्यक्ष का चुनाव होगा तो भाजपा उम्मीदवार को 11 वोट मिलेंगे लेकिन हुआ इसके विपरित। भाजपा का बहुमत होने के बावजूद अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा की घोषित उम्मीदवार वर्षा गढ़ेकर को 6 और विद्रोही उम्मीदवार नीतू प्रहलाद परमार को 9 वोट मिले। इस चोट के बाद भाजपा नेता तिलमिला गए और भाजपा पार्षदों से इस्तीफा दिलाने की नौटंकी की गई। लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ।

बैतूल में भी एक पार्षद ने किया विद्रोह

जिस दिन मुलताई में चुनाव हुए उसी दिन बैतूल नगर पालिका अध्यक्ष का भी निर्वाचन हुआ। बैतूल के 33 वार्डों में 23 पर भाजपा और 10 वार्डों में कांग्रेस पार्षद विजयी हुए थे। अध्यक्ष के निर्वाचन के एक रात पहले तक भाजपा ने पहली बार निर्वाचित महिला पार्षद को अध्यक्ष एवं पहली बार ही निर्वाचित पार्षद को उपाध्यक्ष बनाने का निर्णय ले लिया था। मिली जानकारी के अनुसार रात में ही भाजपा के निर्वाचित वरिष्ठ पार्षदों ने पार्टी संगठन पर दबाव बनाया। पार्टी के बड़े नेताओं ने विद्रोह के डर से रातों-रात फैसला बदला और सुबह भाजपा की वरिष्ठ नेत्री पूर्व नपाध्यक्ष एवं 20 साल से नगर पालिका पर विभिन्न पदों पर रही पार्वती बाई को अध्यक्ष बनाने का फैसला किया गया। ऐसा ही उपाध्यक्ष पद के लिए किया गया। तीन बाद से निर्वाचित पार्षद महेश राठौर को उपाध्यक्ष बनाया गया। इन दोनों पदों के लिए कांग्रेस ने भी उम्मीदवार लड़वाए। इसलिए चुनाव हुआ, लेकिन अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा के निर्वाचित पार्षदों में से एक पार्षद ने विद्रोह कर दिया और भाजपा की उम्मीदवार पार्वती बाई को 22 वोट मिले। वहीं उपाध्यक्ष पद पर महेश राठौर को पूरे 23 वोट मिले। चूंकि भाजपा के पास कांगे्रस की तुलना में बड़ा बहुमत था इसलिए 1 पार्षद के विद्रोह पर भाजपा संगठन और बड़े नेता चुप रहे। जबकि मुलताई में पार्षदों से इस्तीफा ले लिया गया।

आमला में भी भाजपा की हुई किरकिरी

आमला में भाजपा के 8 पार्षद निर्वाचित हुए थे। लेकिन जब भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय पार्षद काशीबाई शेषकर को उम्मीदवार बनाया तो भाजपा उम्मीदवार को 8 भाजपा और एक निर्दलीय ऐसे कुल 9 मत मिला था लेकिन भाजपा उम्मीदवार को कुल 6 मत मिले थे। इस तरह से तीन भाजपा पार्षदों द्वारा आमला में भी विद्रोह करने की स्थिति सामने आई लेकिन इस विद्रोह को भी भाजपा ने दबा दिया और न तो विद्रोही पार्षद की जानकारी ली गई और ना ही कार्यवाही की कोई बात कही गई।

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