
बैतूल{Congress ne dal diye hathiyar} – 140 साल पुरानी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस को जिला मुख्यालय पर छोटी सी बैठक करने के लिए भी जगह ढूंढनी पड़ती है। क्योंकि कांग्रेस के स्वामित्व की कोठीबाजार और गंज की लगभग 10 करोड़ रुपए की भूमि पर लोगों का अतिक्रमण और अवैध कब्जा है। वैसे कोठीबाजार की कांग्रेस की भूमि पर चार बार कार्यालय के भूमिपूजन हो चुका है।
दूसरी तरफ भाजपा ने पहले ही स्ट्रोक में कांग्रेस के दिग्गज मुख्यमंत्री रहे दिग्विज सिंह के कार्यकाल में ही कार्यालय के लिए गंज में जमीन आवंटित करवाकर आलीशान भवन बनवाया। और इस भवन में साल के 365 दिन में लगभग 250 दिन निरंतर कार्यकर्ताओं और विभिन्न वर्गों की बैठक होती है। कांग्रेस जहां 140 साल में जिला मुख्यालय पर पार्टी कार्यालय का निर्माण नहीं कर पाई है वहीं 1980 में बनी भाजपा ने 23 साल की आयु में ही 2003 में बैतूल गंज में विशाल कार्यालय भवन का निर्माण कर लिया था जो मध्य प्रदेश के गिने-चुने कार्यालय में माना जाता है।
भाजपा के सामने निष्क्रिय नजर रही कांग्रेस
राजनैतिक समीक्षकों का यह कहना है कि जैसी जिले में इन राजनैतिक दलों के कार्यालय की स्थिति है, ठीक वैसी ही स्थिति इन दलों की चुनावी क्षेत्र में है। अभी पंचायती राज और नगरीय निकायों के चुनाव हो रहे हैं और इन्हें 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले का सेमीफाइल माना जा रहा है। क्योंकि जिसका इन दोनों चुनाव में कब्जा होगा उसे 2023 के विधानसभा चुनाव में विजयश्री के लिए बहुत बड़ी ताकत हो जाएगी। और नए जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं की फौज तैयार हो जाएगी। इसके बावजूद इन दोनों चुनाव को लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेता, संगठन के पदाधिकारी और जमीनी लेवल के कार्यकर्ता उस ताकत से सक्रिय नहीं दिखाई दे रहे हैं जितनी भाजपा की ताकत के सामने आवश्यकता है।
कांग्रेस में पदाधिकारी ज्यादा कार्यकर्ता कम
जिला कांग्रेस कमेटी बैतूल में वर्तमान में दो जिलाध्यक्ष, एक कोषाध्यक्ष, सैकड़ों जिला उपाध्यक्ष, सैकड़ों जिला महामंत्री के साथ-साथ मंडलम अध्यक्ष और कई नाम से भी पदाधिकारी बनाए हुए हैं। लेकिन जब भी कांग्रेस संगठन की चुनाव को लेकर या किसी बड़े नेता के आगमन को लेकर पदाधिकारियों की बैठक होती है तो इस बैठक में अधिकतम 50 पदाधिकारी और कार्यकर्ता दिखाई देते हैं। इसके विपरित भाजपा कार्यालय में होने वाली बैठकों में भाजपाईयों की 200 से कम संख्या कभी नहीं रही। इसलिए यह माना जा रहा है कि अब कांग्रेस में कार्यकर्ता रहे नहीं सब संगठन में पदाधिकारी बन गए हैं।
चुनाव परिणाम भी जा रहे खिलाफ
पंचायत राज के पहले चरण के हुए मतदान के बाद सामने आए रूझानों में अधिकांतश: रूझान भाजपा के ही पक्ष में जाते दिखाई दे रहे हैं। राजनैतिक समीक्षकों का ऐसा मानना है कि पंचायत चुनाव में इस तरह से कांग्रेसियों को जनता का नकारना आने वाले चुनावों के लिए सुखद परिणाम तो बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता है। हालांकि अभी भी पंचायत चुनाव के द्वितीय और तीसरे चरण का मतदान होना बाकी है। और कांगे्रस के पास गुंजाईश है वह कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर जमीन मजबूत करने के लिए प्रयास करें। वहीं भाजपा के पक्ष में आ रहे रूझानों से भाजपाईयों का जोश दोगुना हो रहा है और वह पूरी दमखम से मैदान मारने खूब पसीना बहाने से नहीं चूक रहे हैं।
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