{1 july se kam ho sakte hain petrol-diesel, beer ke dam} – 28 और 29 जून को GST काउंसिल की चंडीगढ़ में बैठक है और इस बैठक में कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं. जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले पीएम के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन विवेक देबरॉय ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल किए जाने की संभावना जताई है. विवेक देबरॉय ने इस बात की वकालत की है कि अगर पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरा में लाया जाए तो बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाई जा सकती है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी कह चुके हैं कि पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाकर केंद्र सरकार को खुशी होगी, लेकिन राज्य ऐसा नहीं चाहते है. राज्य सरकार को डर है कि अगर पेट्रोल-डीजल और शराब को जीएसटी के दायरे लाया गया तो उनका खजाना खाली हो जाएगा.
लंबे एजेंडे की लिस्ट वाली इस बैठक में एक मुद्दा टैक्स दर बढ़ाने का भी है। 200 से ज़्यादा प्रोडक्ट्स पर टैक्स की दर बढ़ाई जा सकती है। अब सवाल ये कि क्या इस बार पेट्रोल और शराब को भी जीएसटी टैक्स स्लैब में शामिल किया जाएगा? 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से ही पेट्रोल और शराब को इससे बाहर रखा गया है। इसका बड़ा कारण ये है कि ये दोनों ही चीज़ें राज्य और केंद्र के लिए राजस्व का एक बड़ा ज़रिया है। यदि इन्हें जीएसटी में शामिल किया जाएगा तो राज्यों को भारी नुकसान होगा। हालांकि ऐसा होने से आम जनता को मंहगाई से राहत ज़रूर मिल सकेगी।
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