श्रीवास्तव पर इतनी मेहरबानी हुई कि भूल गए पढ़ाना
बैतूल – Betul News – कहते हैं सरकारी नियम-कानून बने ही हैं धज्जियां उड़ाने के लिए ऐसा ही मामला बैतूल में सामने आया है जिसमें एक अधिकारी के ऊपर तबादला नीति लागू ही नहीं होती है। यही कारण है कि उक्त अधिकारी 15 साल से जिले में पदस्थ है। मामला वर्तमान में डीपीसी के पद पर पदस्थ संजीव श्रीवास्तव का है जो पिछले 15 सालों से बैतूल जिले में पदस्थ है। इनके ऊपर अधिकारियों की इतनी मेहरबानियां हैं कि इन्हें कई प्रमुख मलाईदार पदों के भी प्रभार दिए गए हैं।
2007 में राजीव गांधी शिक्षा केंद्र के बहुचर्चित कबाड़ काण्ड के समय तत्कालिन डीपीसी को हटाने के बाद उनकी जगह संजीव श्रीवास्तव को पदस्थापना हुई थी। 3 साल तक डीपीसी रहने के बाद इन्हें हटा दिया गया था। इसके बाद इनको मुलताई तहसील के सेमझिरा हाईस्कूल में प्राचार्य बनाया गया था। लगभग डेढ़ साल तक प्राचार्य के पद पर रहे लेकिन जानकार बताते हैं कि श्री श्रीवास्तव ने जुगाड़ करके अपने जिला मुख्यालय पर टिके रहने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते हुए अतिरिक्त चार्ज लेकर मुख्यालय पर आ गए। और इनका वेतन सेमझिरा हाईस्कूल से निकलता रहा।
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एक ही अधिकारी सब पर भारी
प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि आखिर संजीव श्रीवास्तव में ऐसा क्या है कि अधिकारियों को शिक्षा विभाग के अन्य योग्य और कर्मठ अधिकारियों में वो खास बात नहीं दिखती है जो श्री श्रीवास्तव में दिखाई देती है और अफसर उनकी ओर खींचे चले जाते हैं और उनके मनमुताबिक पद के प्रभार से नवाज देते हैं। सवाल यह भी खड़ा होता है कि एक अधिकारी के पास अनेको प्रभार होने से वो अपने काम कितने अच्छे से कर पाते हैं या नहीं? यह तो कार्यों की समीक्षा से ही पता चलेगा। लेकिन चर्चा यह है कि उक्त अधिकारी सेटिंग मास्टर हैं इसलिए वह जब जो पद चाहते हैं वह उन्हें मिल जाता है।