adarsh gram yojana – सांसद आदर्श ग्राम योजना में 5 सांसदों की नही है रूचि

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बैतूल सांसद दुर्गादास ने पांच में से दो ग्राम पंचायतों को लिया गोद

adarsh gram yojanaभोपाल ग्राम पंचायतों और गांवों को आदर्श बनाने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रथम कार्यकाल में ही प्रारंभ की गई सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत प्रत्येक सांसद को एक-एक ग्राम पंचायत को गोद लेना था लेकिन कई सांसद मोदी सरकार में ऐसे हैं जिनकी इस योजना में बिल्कुल भी रूचि नहीं है और उन्होंने एक भी ग्राम पंचायत को गोद नहीं लिया है।

इन्होंने नहीं ली एक भी ग्राम पंचायत गोद

मोदी सरकार में वर्ष 2014 में शुरू हुई सांसद आदर्श ग्राम योजना के दूसरे पार्ट (एसएजीवाई-2, 2019-2024) में मप्र के सांसद कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं। लोकसभा और राज्यसभा से यहां के 40 सांसदों में सिर्फ ढालसिंह बिसेन (बालाघाट) ही ऐसे हैं, जिन्होंने इस योजना में पूरी पांच ग्राम पंचायतों को गोद लिया है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया व वीरेंद्र खटीक, एल मुरुगन, सुधीर गुप्ता और गणेश सिंह समेत तेरह सांसद तो ऐसे हैं, जिन्होंने एक भी ग्राम पंचायत गोद नहीं ली।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने लिखा पत्र | adarsh gram yojana

इन हालात को देखते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मप्र ने सभी सांसदों को पत्र लिखा है कि वे जल्द से जल्द ग्राम पंचायतों का चयन कर कलेक्टर को बताएं। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही एसएजीवाई-2 में प्रावधान है कि पांच वर्षों में प्रत्येक वर्ष एक ग्राम पंचायत का चयन होना है। कई सांसदों ने पूरी पांच ग्राम पंचायतों का चयन ही नहीं किया।

गांव की तस्वीर बदलना है उद्देश्य

सांसद ग्राम का मकसद गांव में सफाई, सड़क, स्वास्थ्य से जुड़े काम बेहतर होते हैं। गोद लेने से ये फायदा-सांसद जिन गांवों को गोद लेता है, वहां सभी विभाग अपने काम प्राथमिकता से करते हैं। मसलन, स्वच्छता मिशन, रोड, शौचालय, स्वास्थ्य केंद्र आदि के काम तेजी से होते हैं। अभी जितनी भी गोद ली गई पंचायतें हैं, वहां स्वच्छता के काम हो गए हैं। लेकिन सांसद मानते हैं, 5 गांव गोद लेने से बाकी लोग नाराज होते हैं

200 पंचायतें गोद लेनी थी, लीं 62 | adarsh gram yojana

मप्र के 40 सांसदों को कुल 200 ग्राम पंचायतों को गोद लेना था, लेकिन अभी तक सिर्फ 62 ली गई हैं। 138 बाकी हैं। यदि ये सारी गोद ले ली गई होतीं तो ग्राम पंचायतों का कायाकल्प हो गया होता। इस योजना में ग्राम पंचायत के बुनियादी ढांचे के साथ उसका पूरा विकास, लोगों को काम के साथ समान अधिकार देना, असमानता खत्म करना, जनजीवन बेहतर करने समेत शिक्षा और स्वास्थ्य का स्तर ठीक करने जैसे काम होते हैं।

सांसदों के तर्क

एसएजीवाई-2 में प्रधानमंत्री मोदी का मिशन था कि 2500 गांवों को बेहतर करें, लेकिन सांसदों का तर्क है कि वे 500- 700 गांवों के साथ करीब 2000 बूथ पर चुनाव लड़कर सांसद बनते हैं। पांच गांव गोद लेंगे तो बाकी क्षेत्र के लोग नाराज होते हैं।

इन्होंने गोद नहीं ली एक भी ग्राम पंचायत | adarsh gram yojana

एल मुरुगन, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुमेर सिंह सोलंकी, कविता पाटीदार, सुमित्रा वाल्मीकि, हिमाद्रि सिंह, रीति पाठक, डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक, अजय प्रताप सिंह, गणेश सिंह, सधीर गुप्ता, ववेक तन्खा, छतरसिंह दरबार शामिल है।

एक ग्राम पंचायत गोद लेने वाले

दिग्विजय सिंह, राजमणि पटेल, कैलाश सोनी,रमाकांत भार्गव, जनार्दन मिश्रा, रोडमल नागर, विवेक नारायण शेजवलकर, नकुलनाथ शामिल है।

दो ग्राम पंचायत लेने वाले

दुर्गादास उइके, संध्या राय, प्रज्ञा सिंह ठाकुर, महेंद्र सोलंकी, ज्ञानेश्वर पाटिल, नरेंद्र सिंह तोमर, राज बहादुर सिंह शामिल है।

तीन ग्राम पंचायत गोद लेने वाले | adarsh gram yojana

अनिल फिरोजिया, गुमान सिंह डामोर, फग्गन सिंह कुलस्ते, विष्णुदत्त शर्मा, उदय प्रताप सिंह, कृष्णपाल यादव शामिल है।

चार ग्राम पंचायत वाले सांसद

शंकर ललवानी, राकेश सिंह, गजेंद्र पटेल, धर्मेंद्र प्रधान शामिल है।

बैतूल सांसद ने लिए दो ग्रामों को गोद

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सांसद आदर्श ग्राम योजना पर प्रदेश के भले ही पांच सांसदों ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन बैतूल सांसद दुर्गादास उइके ने योजना की पूरी पांच ग्राम पंचायतों मेंं से संसदीय क्षेत्र की दो ग्राम पंचायत कान्हावाड़ी और हरदा जिले की कायद ग्राम पंचायत को गोद लिया।

Source – Internet

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