World’s Thinnest Building | ये है दुनिया की सबसे पतली 1,428 फीट ऊंची ईमारत, हवा चलते ही तिनके की तरह हिलने लगती है  

World’s Thinnest Buildingहमारी ये दुनिया अलग अलग तरह के अजूबों से भरी हुई है ऐसे में कुछ के बारे में हमें पता होता है और कुछ के बारे में हमें जानकारी नहीं होती है। आपने अब तक दुनिया की आपसे ऊँची ईमारत के बारे में सुना होगा लेकिन क्या कभी आपने दुनिया की सबसे पतली और ऊंची बिल्डिंग के बारे में सुना है जो जरा सी हवा चलने से हिलने लगती है अगर नहीं तो आज हम आपको उसी इमारत((Steinway Tower) के बारे में बताने जा रहे है जो ऊंचाई में तो 1,428 फिट ऊँची है लेकिंग है एक दम पतली। 

इंजीनियरिंग का कमाल | World’s Thinnest Building 

यह न सिर्फ इंजीनियरिंग का अद्भुत कमाल है बल्कि अपने आप में एक अजूबा भी है। द गार्जियन न्यूजपेपर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस इमारत को दुनिया की सबसे मजबूत कंक्रीट से बनाया गया है। साल 2015 को न्यूयॉर्क टाइम्स से बात करते हुए इसके इंजीनियर रॉवन विलियम्स (Rowan Williams Davis) ने कहा था कि 1000 फीट ऊंचा टॉवर 100 मील/घंटा की रफ्तार से चल रही हवा में लहरा सकता है, हालांकि इसके अंदर रहने वाले लोग इसे महसूस नहीं कर पाएंगे।

दूसरी समान्य बिल्डिंगों की तरह है ये इमारत | World’s Thinnest Building

पतली और ऊंची बिल्डिंगों का चलन हॉन्ग कॉन्ग में 1970 के दौर में शुरू हुआ था, लेकिन अब ये अमेरिका में भी बनाई जा रही हैं। हालांकि इन बिल्डिंग्स में रहने वाले लोगों को पूरे शहर का एक बेहतरीन व्यू मिलता है, लेकिन ये खतरनाक भी हो सकती हैं। इससे पहले पतली बिल्डिंग्स में क्वर्क की दिक्कत आ चुकी है। इस बिल्डिंग में एक स्टूडियो अपार्टमेंट की भी कीमत $7.75 मिलियन है, जबकि पेंटहाउस की कीमत $66 मिलियन यानि अरबों में है।

इतनी लागत से बन कर हुई तैयार | World’s Thinnest Building 

वेस्‍ट 57 स्‍ट्रीट में स्थित स्‍टेनवे टावर नामक इस इमारत को मूलरूप से 1925 में स्‍टेनवे हॉल के रूप में डिजाइन किया गया था। इसके बाद 2021 में 15 हजार करोड़ रुपये की लागत से इस इमारत में रेजिडेंशियल टावर बनाया गया, लेकिन अब ये टावर अपनी बनावट या खूबसूरती नहीं बल्कि गिर रही बर्फ के कारण पूरे अमेरिका में चर्चा का विषय बना हुआ है।सर्दियों में ऊपर से गिरती है बर्फ की सिल्लियां एक रिपोर्ट के अनुसार 1428 फीट ऊंचे स्‍टेनवे टावर के टॉप फ्लोर पर सर्दियों के मौसम में बर्फ जम जाती है। इसके बाद जब थोड़ा सा भी तापमान बढ़ने लगता है तो ये जमी बर्फ पिघलना शुरू हो जाती है। बर्फ की मोटी चादर पिघलने के कारण ये बर्फ की सिल्‍ल‍ियों के रूप में नीचे जमीन पर कभी भी आ गिरती हैं। इन बर्फ की सिल्लियों के कारण लोग घायल हो चुके हैं। इसके अलावा वाहनों को नुकसान पहुंचता है। इसके साथ ही बार-बार ट्रैफ‍िक को रोकना पड़ रहा है।

Source – Internet 

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