भगवान की भक्ति में इंद्रियों को लगाओगे तो भरपूर देगा भोलेनाथ
बैतूल – Pandit Pradeep Mishra ji – संसार में जन्म लेना सरल है लेकिन इस काल कोठरी से बेदाग निकलना कठिन है। भगवान शिव की कृपा से इस भवसागर भजन करते-करते निकल जाए तो समझना शिव कृपा हुई है। इंद्रियों को परमात्मा तक लेकर जाए। मन को जितना हम सत्संग में ले जाते तो हैं लेकिन थोड़ी देर बाद मन फिर भटक जाता है। इस मन को भगवान के भजन में लगाना कठिन है। इंद्रियों को भगवान में लगाओगे तो भगवान भरपूर देगा ही। देखने का भी अंतर होता है। गलत जगह देखो तो गलत मिलेगा और भगवान को देखोगे तो भरपूर मिलेगा। श्री ताप्ती शिवपुराण समिति के तत्वावधान में आयोजित श्री शिवमहापुराण कथा के विश्राम दिवस सातवें दिन पर उक्त प्रवचन पं. प्रदीप मिश्रा ने दिए।
बिना भरोसे के कुछ नहीं मिलता(Pandit Pradeep Mishra ji)
पं. प्रदीप मिश्रा ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यदि विश्वास नहीं होगा तो कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मानो तो मैं गंगा मां है ना मानो तो बहता पानी। बिना विश्वास के कुछ भी हासिल नहीं हो सकता है। माँ, ताप्ती, माँ नर्मदा, माँ गंगा किसी के लिए माँ है तो किसी के लिए सिर्फ बहती हुई नदी है। बिना विश्वास के सफलता भी नहीं मिलती है फिर तो बात प्रभु की कृपा की हो रही है। पं. श्री मिश्रा ने कहा कि बैतूल के इतिहास में ऐसा प्रेम देखने के लिए अगला जन्म लेना पड़ेगा। सभी समाज के लोगों द्वारा जितनी सेवा की गई है उसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता है।
भोलेनाथ के चरणों में टेक दो मत्था(Pandit Pradeep Mishra ji)
जब भी कोई तकलीफ, रोग, समस्या हो तो अपने माथे को भोलेनाथ के चरणों में टिका देना आपकी बीमारी, परेशानी, दूर हो जाएगी। पं. प्रदीप मिश्रा ने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह से रबर स्टाम्प में उल्टे अक्षर होते हैं लेकिन ठप्पा लगाते हुए सीधे हो जाते हैं। ठीक इसी तरह से हमारी किस्मत में भी दुख, तकलीफ, समस्या, रोग आदि लिखे होते हैं जिससे हम परेशान होते हैं। ऐसे में अपनी किस्मत याने मत्थे को प्रभु भोलेनाथ के चरणों में ढोक दे देना आपकी किस्मत पलट जाएगी और समस्या समाप्त हो जाएगी। पं. श्री मिश्रा ने कहा कि बिना भगवान के दरबार में पहुंचे कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है इसलिए प्रभु की ही शरण में पहुंचे और अपनी दुख-तकलीफ उन्हें सुनाए निश्चित रूप से आपकी परेशानी दूर हो जाएगी ऐसा मेरा विश्वास है।
जल चढ़ाने की बताई विधि(Pandit Pradeep Mishra ji)
कथा के दौरान पं. मिश्रा ने भोलेनाथ को जल किस प्रकार से चढ़ाना चाहिए यह भी बताया। उन्होंने कहा कि इसे हरि ओम जल कहते हैं। उन्होंने कहा कि परेशानी दूर करने, प्रतियोगी परीक्षा देने से पहले इस तरह से शिव जी को जल चढ़ाया जाएगा तो निश्चित रूप से सफलता मिलेगी। पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जल चढ़ाने की अपनी एक विधि होती है उसी विधि के अनुसार जलाभिषेक करना चाहिए इससे भगवान शंकर की पुत्रियों, पुत्र सहित भगवान भोलेनाथ का भी हरिओम जल चढ़ाने से जलाभिषेक हो जाता है। एक निवेदन करूंगा कि जल चढ़ाने में छल नहीं होना चाहिए। जब भी जल चढ़ाएं निच्छल मन से जल चढ़ाएं।
रात भर चलता रहा सेवा कार्य
पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा में बाहर से आए शिव भक्त 7 दिन तक डोम में ही रूके। जहां दिन में कथा का श्रवण करते थे वहीं रात में भजन कीर्तन करते थे। इस दौरान बैतूल के समाजसेवियों ने भी इन शिव भक्तों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी। कोई रात में शिव भक्तों के लिए दूध बांटता नजर आया तो कोई चाय और कोई पोहा भी नाश्ते में खिलाता नजर आया। भजन कीर्तन के साथ ही यहां पर संगीतमय सुंदर कांड का भी आयोजन रात में होता रहा।