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करवाचौथ व्रत 2022: इस त्यौहार को क्यों और किसलिए मनाया जाता है,जाने इस त्यौहार की खासियत क्यों सुहागने ही करती है व्रत कथा

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करवाचौथ व्रत 2022: इस विर्ष 13 अक्टूबर 2022 के दिन देशभर में करवा चौथ का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु के लिए और परिवार के कल्याण के लिए यह निर्जला व्रत रखती हैं। हिन्दू धर्म में इस व्रत का चलन प्राचीन काल से चला आ रहा है। मान्यता है कि करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth 2022) का विधि-विधान से पालन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन क्या आप इस पर्व के पीछे की वजह जानते हैं? अगर नहीं तो आइए जानते हैं।

इस त्यौहार को क्यों और किसलिए मनाया जाता है Why and why this festival is celebrated

करवाचौथ व्रत 2022: इस त्यौहार को क्यों और किसलिए मनाया जाता है,जाने इस त्यौहार की खासियत क्यों सुहागने ही करती है व्रत कथा

क्या है करवा चौथ मनाने के पीछे छिपा कारण (Karwa Chauth ki Kahani)
मान्यताओं के अनुसार जब यमराज पतिव्रता सती सावित्री के मृत पति सत्‍यवान को लेने धरतीलोक पर आए थे। तब माता सावित्री ने यमराज से अपने पति को जीवनदान देने की प्रार्थना की थी। लेकिन यमराज अपने कर्तव्यों के आगे विवश थे इसलिए उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। लेकिन सावित्री लम्बे समय तक अपने पति के मृत शरीर के साथ अन्न-जल त्याग कर बैठी रहीं और विलाप करती रहीं। अपने पति के प्रति ऐसा अपार प्रेम देखकर यमराज से रहा नहीं गया और उन्होंने सावित्री से वर मांगने के लिए कहा। Read Also: Special Karwa Chauth 2022: करवा चौथ का अति महत्वपूर्ण दिन जिसके चलते गुरु और शनि की अटूट महिमा होगी इस मुहूर्त पर कर ले पूजन

जाने इस त्यौहार की खासियत क्यों सुहागने ही करती है व्रत कथा Know why the specialty of this festival is sweet, fast story

तब सावित्री ने उनसे कई बच्चों की मां बनने का वर मांगा। पतिव्रता होने के कारण यमराज को उनके हठ के आगे झुकना पड़ा और सत्यवान को जीवन दान दिया। तभी से सुहागिन महिलाएं करवा चौथ व्रत का अनुसरण करती हैं और चन्द्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं।

इस त्यौहार को क्यों और किसलिए मनाया जाता है

महाभारत से भी जुड़ी है इस व्रत की कथा The story of this fast is also related to Mahabharata
करवा चौथ व्रत से एक यह कथा भी प्रचलित है कि जब अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या के लिए चले गए थे और पांडव समस्याओं का सामना कर रहे थे। तब द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण ने सहायता की गुहार की। इसपर भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ व्रत रखने का सुझाव दिया। द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण की बात मानी और इस व्रत का विधिवत पालन किया। इसके फलस्वरूप अर्जुन सकुशल तपस्या से वापस आए और सभी पांडवों की भी समस्याएं खत्म हो गई।

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