अंतिम समय में स्थिति होगी स्पष्ट
बैतूल – शहर के प्रमुख व्यवसायिक क्षेत्र गंज बैतूल का जवाहर वार्ड में पार्षद चुनाव को लेकर काफी गहमागहमी है। क्योंकि एक तरफ जहां इस क्षेत्र में पिछड़े वर्ग की आबादी सर्वाधिक है। वहीं अन्य समाज भी बहुतायत में है। लेकिन उम्मीदवारों का जातिगत समीकरण देखे तो इस अनारक्षित वार्ड से भाजपा ने जिस आदिवासी वर्ग के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। उस वर्ग की आबादी इस वार्ड में मात्र 20 से 25 है। यह वार्ड तीन भागों में विभाजित है जिसमें पहला गंज क्षेत्र का व्यवसायिक भाग है। दूसरा रेलवे कालोनी और उसके आसपास का क्षेत्र है। तीसरा रेलवे पटरी से लगी हुई झुग्गी और हाथी नाले के पीछे लगी हुई दो झुग्गियां शामिल है।
जवाहर वार्ड में ऐसा है जातिगत समीकरण
वार्ड के व्यवसायिक भाग में अधिकांश दुकानें हैं। और पुराने मंडी क्षेत्र में कुछ आबादी है। लेकिन इस वार्ड की आबादी का बड़ा भाग दूसरे क्षेत्रों में है। इस वार्ड में मतदाताओं की संख्या लगभग 1900 है। जिनमें से जातिगत जनसंख्या का वर्गीकरण करें तो सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग के मतदाता है जो 700 से 800 बताए जा रहे हैं। इसी तरह से मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी 550 से 600 के बीच में मानी जा रही है। तीसरी सबसे बड़ी आबादी इस वार्ड में ब्राम्हण मतदाता है। जिनकी जनसंख्या 175 से 200 हैं। इसके अलावा सामान्य श्रेणी के मतदाताओं में अग्रवाल, माहेश्वरी और गुजराती लगभग 75 मतदाता है। खण्डेलवाल समाज भी इस वार्ड में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उसके भी 40 मतदाता है। सिक्ख और पंजाबी भी इस वार्ड में अपना महत्व रखते हैं। इनके 12 परिवारों में लगभग 60 मतदाता है। वार्ड में अनुसूचित जाति के भी 100 से 125 वोटर हैं और आदिवासी वर्ग के भी 5 से 6 घर हैं। जिनमें लगभग 25 मतदाता है।
वार्ड में उम्मीदवारों की स्थिति
इस अनारक्षित वार्ड से भाजपा ने आदिवासी समाज के विकास प्रधान को टिकट दी है। जबकि सिक्ख समाज से जुड़े मिन्ना सरदार भी टिकट के प्रमुख दावेदार थे और लंबे समय से क्षेत्र में मेहनत कर रहे थे। लेकिन इस अनारक्षित वार्ड से भाजपा ने आरक्षित वर्ग से विकास प्रधान को उम्मीदवार बनाकर सबको चौंका दिया। कांग्रेस की बात करें तो ब्राम्हण समाज से जुड़े युवा नेता सोमेश त्रिवेदी मैदान में है। पूर्व में इनकी माता श्रीमती मंशा त्रिवेदी इस वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुई थीं। पूर्व पार्षद एवं अटल सेना के नाम से लोगों की समस्याओं से सीधे जुड़े हुए राजेंंद्र सिंह चौहान (केंडू बाबा)इस बार निर्दलीय चुनाव मैदान में है। इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में रेलवे पटरी के पीछे झुग्गी में निवास करने वाले आमिर खान भी चुनाव लड़ रहे हैं।
क्या कहता है राजनैतिक समीकरण?
जातिगत स्थिति को देखते हुए इस चुनाव में चतुषकोणीय संघर्ष होने की संभावना है। जहां तक आमिर खान का प्रश्र है यदि मुस्लिम समाज के मतदाता बड़ी संख्या में एकतरफा मतदान करते हैं तो इसका फायदा सीधे-सीधे भाजपा उम्मीदवार विकास प्रधान को होगा। क्योंंकि आमिर खान मैदान में नहीं होते तो यह वोट कांग्रेस उम्मीदवार को मिलते। चूंकि भाजपा उम्मीदवार की जाति के मात्र 20 मतदाता है। इसलिए भाजपा को अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के मतदाताओं को प्रभावित करना होगा। पूर्व पार्षद केंडू बाबा भी झुग्गी झोपड़ी और मुस्लिम मतदाताओं में कुछ सेंध लगा सकते हैं। कांग्रेस उम्मीदवार सोमेश त्रिवेदी सामान्य वर्ग से तो हैं ही इनका क्षेत्र में निरंतर संपर्क रहा है। इनकी पारिवारिक पृष्ठ भूमि इनको मजबूत किए हुए हैं। यदि इन्हें सामान्य वर्ग का मतदाता पूरी तरह से साथ देता है और साथ में अल्पसंख्यक वर्ग के वोट मिल जाए तो इनकी स्थिति सशक्त होगी।