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एयरटेल-जियो को टक्कर देगी बीएसएनएल: अप्रैल 2024 तक 5जी सेवा शुरू करने के लिए, क्या आप जानते हैं कि बीएसएनएल सेवा में इतनी देरी क्यों हो रही है?
Airtel और Jio के बाद सरकार द्वारा संचालित दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) अब अपनी 5G सेवा शुरू करने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय आईटी और दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बीएसएनएल अप्रैल 2024 तक अपनी 5जी सेवा शुरू कर देगी। बीएसएनएल 4जी नेटवर्क लॉन्च करने के एक साल के भीतर इसे 5जी में अपग्रेड कर देगी।

वर्तमान में बीएसएनएल 4जी नेटवर्क शुरू करने के लिए टीसीएस और सी-डॉट के साथ काम कर रहा है। अश्विनी वैष्णव ने ये बातें ओडिशा में Airtel और Jio 5G सेवाओं की लॉन्चिंग के मौके पर कहीं। उन्होंने यह भी दावा किया कि अगले 2 वर्षों में बीएसएनएल 5जी सेवा पूरे ओडिशा में उपलब्ध करा दी जाएगी। बीएसएनएल 5जी सेवा शुरू होने के बाद एयरटेल और जियो को कड़ी टक्कर मिलेगी।
Airtel और Jio ने अक्टूबर में भारत में 5G सर्विस लॉन्च की थी। ऐसे में उपभोक्ता 5जी की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन बीएसएनएल अपने दम पर 4जी लॉन्च नहीं कर पाई है। इस देरी का बीएसएनएल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यहां हम बात करते हैं कि बीएसएनएल इस स्थिति में क्यों है:
बीएसएनएल कभी नंबर वन मोबाइल ऑपरेटर हुआ करता था
भारत के पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 19 अक्टूबर 2002 को लखनऊ से बीएसएनएल मोबाइल सेवा का शुभारंभ किया। लॉन्च होने के सिर्फ 1-2 साल में ही यह भारत की नंबर वन मोबाइल सर्विस बन गई है। निजी ऑपरेटरों ने बीएसएनएल के शुरू होने के महीनों पहले मोबाइल सेवाओं की शुरुआत की थी, लेकिन बीएसएनएल के ‘सेलवन’ ब्रांड की बहुत मांग थी।

जब बीएसएनएल सेवाएं शुरू हुईं, तो निजी ऑपरेटरों ने आउटगोइंग कॉल के लिए 16 रुपये प्रति मिनट और इनकमिंग कॉल के लिए 8 रुपये प्रति मिनट का शुल्क लिया। बीएसएनएल इनकमिंग कॉल मुफ्त और आउटगोइंग कॉल 1.50 रुपये तक की सुविधा देता था। 2002-2005 का यह कालखंड बीएसएनएल का स्वर्णिम काल था। सभी को बीएसएनएल का सिम चाहिए था। उसके लिए 3-7 किलोमीटर लंबी लाइन लगती थी।

बीएसएनएल इस स्थिति में क्यों है?
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2000 में इसकी स्थापना के बाद, बीएसएनएल के अधिकारी निजी ऑपरेटरों को चुनौती देने के लिए जल्द से जल्द एक मोबाइल सेवा शुरू करना चाहते थे, लेकिन आवश्यक सरकारी स्वीकृति नहीं मिल सकी।
जल्द से जल्द सरकार की मंजूरी नहीं मिलने का दौर चलता रहा। जबकि 2006-12 के बीच बीएसएनएल की क्षमता में मामूली वृद्धि हुई, निजी ऑपरेटरों ने बहुत आगे निकल गए।
दयानिधि मारन 2004-07 तक संचार मंत्री थे, उसके बाद 2007-10 तक ए राजा थे। नेटवर्क की भीड़ और अन्य मुद्दों के कारण लोगों ने बीएसएनएल को छोड़ दिया और निजी कंपनियों की ओर रुख किया।
जब 2010 में 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई थी, तब बीएसएनएल ने भाग नहीं लिया था क्योंकि यह एक राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी थी। बाद में बीएसएनएल को उसी कीमत पर स्पेक्ट्रम मिला, जिस कीमत पर निजी कंपनियों को मिला था।
बीएसएनएल को वाईमैक्स तकनीक पर आधारित ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस (बीडब्ल्यूए) स्पेक्ट्रम के लिए भी भारी रकम का भुगतान करना पड़ा। इसका सीधा असर बीएसएनएल की वित्तीय स्थिति पर पड़ा।
जैसे ही देश में मोबाइल क्रांति ने जोर पकड़ा, लैंडलाइन में तेजी से गिरावट आई। 2006-07 में बीएसएनएल के पास 3.8 मिलियन लैंडलाइन ग्राहक थे, जो 2014-15 में गिरकर 1.6 मिलियन हो गए।
4जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के बाद भी बीएसएनएल बाहर रहा। इस देरी की वजह से देश में जहां निजी कंपनियां 5जी ला रही हैं, वहीं बीएसएनएल 4जी पर ही अटकी हुई है।