जानें, कौनसी है ये नई नस्लें और इसके पालन से लाभ
ग्रामीण क्षेत्र में लोग बकरी बनाकर अच्छा पैसा कमा रहे हैं। बाजार में बकरी के दूध और मांस की बढ़ती मांग के कारण आज बक पालन एक बहुत बड़ा व्यवसाय बनकर उभर रहा है। बकरी पालन व्यवसाय के लिए सरकार से भी लोन और सब्सिडी का लाभ दिया जाता है। बकरी पालन व्यवसाय करना शुरू करने से पहले हमें बकरियों की नस्लों के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है क्योंकि व्यवसाय में मालिक के रूप में हमारे पास बकरी ही है। ये बकरियों की नस्लें प्रबल होती हैं। बकरियों की वस्तुओं का चयन किया जाए तो इससे अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। हाल ही में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, चिपचिपाहट के शोधकर्ताओं ने बकरी की तीन नई नस्लों की पहचान की है और इसके पंजीयन राष्ट्रीय राष्ट्रीय आनुवंशिकता अनुसंधान ब्यूरो के तहत कार्रवाई की है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस घटना में आपको बकरी की इन नई नस्लों और उनके होने वाले लाभ की जानकारी दे रहे हैं।
कौन हैं बकरी की ये तीन नई नस्लें
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बोस्टन के वैज्ञानिकों ने तीन नई नस्लों की पहचान की है। ये राजस्थान के सोजत, गूजरी, करौली बकरी की पहचान है। बैकबैक पालन क्षेत्र में विश्वविद्यालय से संबंधित पशु उत्पाद विभाग ने महत्वपूर्ण कार्य किया है। इसी के साथ बकरी पालन की इन तीन नई नस्लों का राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकरण भी किया गया है। ये तीनों नस्लें राजस्थान के अलग-अलग जाल में पाई जाती हैं। इन नस्लों के पंजीयन के बाद विश्वविद्यालय अधिकारिक रूप से इन नस्लों के शुद्ध वंशक्रम कार्य कर लिफाफा जिससे के बकरी पालकों को इन नस्लों के शुद्ध पशु प्राप्त हो सकते हैं बकरी पालन के क्षेत्र को एक नई पहचान बना लेंगे।
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बकरी पालने के लिए नया सोजत बकरी (बकरी पालन)
बकरी की सोजतें उत्तर-पश्चिम एवं शुष्क शुष्क शार्क क्षेत्रों में पाई जाने वाली नस्लें हैं। इसका उद्गम स्थल सोजत और उसके आसपास का क्षेत्र है। इस नस्ल का मूल क्षेत्र पाली जिले की सोजत और पाली तहसील, जोधपुर जिले की बिलाड़ा और पीपाड़ तहसील हैं। यह नस्ल राजस्थान की पाली, जोधपुर, नागौर और जैसलमेर के बारे में जानी जाती है। सोजत नस्ल राजस्थान की अन्य मौजूदा नस्लों से काफी अलग है। इस नस्ल में कई ऐसी विशेषताएं पाई जाती हैं जिन्हें पालकों द्वारा पसंद किया जाता है। बकरीद के दौरान इस नस्ल के बकरियों के अच्छे मूल्य मिलते हैं क्योंकि अन्य बकरियों की नस्लों में सबसे सुंदर नस्ल की बकरी ली जाती है। सोजत बकरी की नस्ल की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं।
यह नस्ल की बकरी की त्वचा गुलाबी रंग की होती है और इसके कान लंबे होते हैं।
इस नस्ल की बकरी का आकार मध्यम होता है और इसके शरीर पर सफेद रंग में भूरे धब्बे होते हैं।
इसके कान लंबे लटकते हुए होते हैं और इसके सींग ऊपर की ओर मुड़े हुए होते हैं।
सोजत नस्ल की बकरियों की रोशनी पाई जाती है।
यह नस्ल मुख्य रूप से मांस के लिए पाली जाती है। इसका उत्पादन कम होता है।
ऐसा माना जा रहा है कि इस नस्ल के पंजीकरण के बाद देश और राज्य को इसका शुद्ध जर्म गैर-वर्णित वंशकरण में सुधार होगा।
बकरी पालने के लिए नई नस्ल गूजरी बकरी
बकरी की नई नस्ल गूजरी राजस्थान के अर्द्धशुष्क पूर्वी क्षेत्र में पाई जाती है। इस नस्ल की बकरियों को जयपुर, आज और टौंक जाली और नागौर तथा सीकर जिले के कुछ हिस्सों में देखा जा सकता है। इस नस्ल को बकरी का दूध और मांस के लिए पाला जाता है। इस नस्ल में भी कई विशेषताएं पाई जाती हैं जो इसे अन्य बकरियों की नस्लों से अलग पहचान देती हैं। इस नस्ल का मूल क्षेत्र नागौर जिले के कुचामन और नावा तहसील है। गूजरी बकरी की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं।
इस नस्ल की अन्य नस्लों की तुलना में आकार में बड़ी होती है।
इस नस्ल का रंग मिश्रित भूरा सफेद होता है। इस बकरी का सफेद रंग का चेहरा, पैर, पेट और पूरे शरीर पर भूरे रंग के धब्बे होते हैं जिससे यह दूसरी नस्लों से भिन्न दिखाई देती है।
इसे नर को मांस के लिए पाला जाता है। इस नस्ल का दूध उत्पादन अधिक होता है।
सिरोही बक की तुलना में इसकी प्लेट सीमित होती है जो पीछे की ओर झुकी हुई होती है।
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बकरी पालने के लिए करौली बकरी
इस नस्ल के बकरी को राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी आद्र मैदान में पाया गया है। यह इस क्षेत्र की नस्लें हैं। इस नस्ल का मूल क्षेत्र करौली जिले के सपोटरा, मैंडरेल और हिंडौन तहसीलें हैं। यह नस्ल करौली, सवाई माधोपुर, कोटा, असामान्य और बारां तक फैली हुई है। इस नस्ल को मुख्य रूप से मीना समुदाय द्वारा पाला जाता है। बकरी की करौली बकरी नस्ल की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं।
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इस नस्ल का बकरी का चेहरा, कान, पेट और टांगों पर भूरे रंग के निशान के साथ बकरी के रंग का नक्शा काला है।
इस नस्ल के बक के कान लम्बे, लटके हुए और लटके हुए किनारे पर भूरे रंग के चेहरे होते हैं और इसकी नाक रोमन होती है।
इस बकरी के मध्यम आकार के सींग होते हैं जो ऊपर की ओर परमाणु होते हैं।
इस नस्ल के पंजीकरण से गैर-वर्णित नस्ल में सुधार होगा और इस नस्ल को बढ़ावा मिलेगा।