Wheat Import Plan – भारत में गेंहू की काफी ज्यादा खपत है इसीलिए सरकार इसके आयात निर्यात पर कड़ी निगरानी रखती है ऐसे में अगर हम बात करें की इस समय देश में गेंहू के स्टॉक की क्या स्थिति है तो सरकार ने इस पर अपनी स्थिति साफ कर दी है। सरकार का कहना साफ़ है की अभी गेंहू आयात की कोई योजना नहीं है। इस समय देश में गेंहू का पर्याप्त स्टॉक है। डिपार्टमेंट ऑफ फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन ने रविवार को इस संबंध में बयान जारी किया और कहा कि एक मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि सरकार के पास पर्याप्त भंडार नहीं है. ऐसे में सरकार गेहूं आयात की योजना बना रही है. फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है. इस साल के शुरू में गेहूं की फसल पर मौसम की मार पड़ी. प्रचंड गर्मी के कारण गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ. इसके बावजूद एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री की तरफ से जो अनुमान जारी किया गया है उसके मुताबिक, 2021-22 में करीब 106.84 मिलियन टन गेहूं की पैदावार हुई. पहले यह अनुमान 111 मिलियन टन का था.
फरवरी के अंत में रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया जिसके बाद ग्लोबल मार्केट में गेहूं की किल्लत हो गई और भारत ने भर-भर कर निर्यात शुरू कर दिया. निर्यात बढ़ने के कारण डोमेस्टिक मार्केट में इसकी कमी हो गई थी जिसके कारण कीमत ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई. इसके अलावा लू के कारण भी पैदावार को नुकसान हुआ जिससे भी कीमत को बल मिला. बता दें कि रूस और यूक्रेन दुनिया का दो बड़ा गेहूं सप्लायर देश है.
कीमत में तेजी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गेहूं की कीमत के लिए इंदौर मंडी का भाव अहम माना जाता है. यूक्रेन पर हमले से पहले गेहूं का भाव 2000-2100 रुपए क्विंटल था जो हमले के बाद बढ़कर 2500 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था. अभी भी यह उच्च स्तर पर बना हुआ है.
निर्यात पर लगी थी रोक
जब सरकार ने गेहूं निर्यात पर बैन लगाने का फैसला किया था तब कहा गया था कि ऐसा डोमेस्टिक जरूरतों और आस-पड़ोस के देशों की जरूरतों को पूरा करने के मकसद से किया गया है. पहले गेहूं निर्यात पर बैन लगाया गया. बाद में सरकार ने गेहूं से बने अलग-अलग खाद्य पदार्थ जैसे आंटा, मैदा समेत कई अन्य तरह के खाद्य पदार्थ के निर्यात पर भी रोक लगाई थी.
सरकार के पास है पर्याप्त स्टॉक
हाल ही में लोकसभा में लिखित जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि 1 जुलाई 2022 तक देश का गेहूं स्टॉक 285.10 लाख मिट्रिक टन है. मिनिमम बफर कोटा 275.80 लाख टन का है. साथ में उन्होंने यह भी कहा कि किसानों से सरकारी खरीद में कमी आई है, क्योंकि बाजार से किसानों को ज्यादा कीमतें मिल रही हैं.
Source – Intenret
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