84 घंटे चला था रेस्क्यू आपरेशन शनिवार की सुबह निकला शव
बैतूल – Mandvi Tanmay – पांच दिन पहले साहू परिवार का हंसता-खेलता इकलौता लाड़ला पुत्र तन्मय अपने माता-पिता सुनील-श्रीमती ऋतु साहू और बहन निधि साहू सहित अन्य परिजनों को रोता-बिलखता छोडक़र चला गया। अब सिर्फ उसकी यादें ही शेष बची हुई हैं। तन्मय को बचाने के लिए भरसक प्रयास करते हुए रेस्क्यू आपरेशन चला गया लेकिन जिंदगी हार गई और तन्मय सभी को छोडक़र चला गया। करीब 84 घंटे बोरवेल में फंसे होने के बाद आज शनिवार को उसका शव प्रात: 5 बजे के दरम्यिान निकाला गया।
जिला अस्पताल में दो डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम के उपरांत शव परिजनों को सौंप दिया। परिजनों ने ताप्ती घाट पर नम आंखों से तन्मय को अंतिम विदाई दी। इस दौरान यहां मौजूद जनसैलाब की आंखें नम हो गई थी। सभी ने इस असमय तन्मय के निधन पर अश्रुपूरित श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए परिजनों को इस असीम दुख को सहन करने की ईश्वर से प्रार्थना की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्विीट कर कहा कि इस दुख की घड़ी में पूरा मध्यप्रदेश परिवार पीडि़त परिवार के साथ में है। उन्होंने कहा कि मैं प्रार्थना करता हूं तन्मय को ईश्वर अपने श्रीचरणों में स्थान दें। इसके साथ ही इस अनहोनी पर मुख्यमंत्री ने तन्मय के परिजनों को 4 लाख रुपए देने की घोषणा भी की है।
अधूरी रह गई सभी मनोकामनाएं और प्रार्थना(84 Hour Rescue Operation)
जिले के आठनेर ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम मांडवी में तन्मय के 6 दिसम्बर को शाम 5 बजे 400 फीट बोरवेल में गिरने के तत्काल बाद से ही तन्मय के स्कूल में पढऩे वाले सहपाठियों, ग्रामीणों सहित तन्मय के माता-पिता, चाचा, बहन एवं परिजनों द्वारा लगातार प्रार्थना की जा रही थी कि तन्मय सुरक्षित से बोरवेल से बाहर आएगा। इसके लिए तन्मय के माँ ऋतु साहू ने नागदेव बाबा ने मन्नत मांगी थी कि उसके बेटे को भगवान बचा दे तो अपनी सामर्थ के अनुसार वह चांदी का नाग बनाकर चढ़ाएगी। लेकिन तमाम प्रार्थनाएं अधूरी रह गई और जिंदगी हार गई।
गिरने के चंद घंटे बाद ही हो गई थी मौत(84 Hour Rescue Operation)
तन्मय का जिला अस्पताल में हुआ शार्ट पीएम में यह बात सामने आई है कि जैसे ही तन्मय बोरवेल में गिर था। एडीएम श्यामेंद्र जायसवाल ने बताया कि तन्मय की पसली में गंभीर चोट पहुंची थी। इसके अलावा उसके सीने में भी जकडऩ हो गई थी। लगातार उसके ऊपर पानी का रिसाव होने से और जिस तरह से वह रिस्पांस नहीं दे रहा था उससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसके गिरने के चंद घंटों बाद ही मौत हो गई थी और तन्मय ने रिस्पांस देना बंद कर दिया था। एक संभावना यह जरूरी थी कि जब तन्मय को रस्सी से उसे निकालने का प्रयास किया था और वह करीब 12 फीट ऊपर तक आया था उसी दौरान यदि तन्मय बाहर आ जाता और तत्काल उसे उपचार मिल जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी।
सबसे पसंदीदा शौक बना मौत का कारण(84 Hour Rescue Operation)
श्रद्धा प्राथमिक माध्यमिक शाला मांडवी की कक्षा तीसरी के छात्र तन्मय को लुका-छिपी (रेसटिप) खेल अत्यधिक पसंद था। वह छुप जाता था और साथियों से अक्सर उसे ढूंढने को कहता था। घटना के दिन बच्चों के साथ वह लुका-छिपी ही खेल रहा था। तन्मय की बहन निधि साहू ने बताया कि उसे घर जाने के लिए जैसे ही आवाज दी तो तन्मय कूदते हुए झाडिय़ों के पीछे से आया। उसे बोरी दिखाई दी तो वह बोरी पर कूद गया और सीधे बोरवेल में जा गिरा। तन्मय ने बोरी पकडक़र बचने की कोशिश की वहीं उसकी बहन ने भी बोरी पकडऩे का प्रयास किया लेकिन तब तक तन्मय बोरवेल के भीतर जा चुका था। इसके बाद परिजनों को सूचना दी और फिर पुलिस और प्रशासन ने रेस्क्यू आपरेशन प्रारंभ किया।
रेस्क्यू टीम की पूरे समय निगरानी करते है अफसर(84 Hour Rescue Operation)
तन्मय को 6 दिसम्बर की शाम 5 बजे के बाद से लेकर शनिवार सुबह 6 बजे तक एनडीआरएफ और एसडीईआरएफ द्वारा चलाए गए रेस्क्यू आपरेशन की मानीटरिंग पूरे समय कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस, एसपी सिमाला प्रसाद, जिला पंचायत सीईओ अभिलाष मिश्रा, एडीएम श्यामेंद्र जायसवाल, भैंसदेही एसडीएम रीता डहेरिया, होमगार्ड कमांडेंट एसआर आजमी, एसडीओपी शिवचरण बोहित, आठनेर तहसीलदार लवीना घाघरे, आठनेर टीआई अजय सोनी सहित जिले के सभी थानों के थाना प्रभारी, राजस्व विभाग, पीएचई विभाग टीम सहित भोपाल, हरदा, होशंगाबाद का पुलिस बल, स्वासथ्य विभाग डॉक्टर रंजीत राठौर, डॉ. ब्रजेश यादव और उनकी टीम मौजूद रही।
परिवार को दी गई अत्यंष्टि सहायता(84 Hour Rescue Operation)
तन्मय की मौत के बाद अंतिम संस्कार करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा अंत्येष्टि सहायता 20 हजार रुपए भैंसदेही एसडीएम रीता डहेरिया और आठनेर तहसीलदार लवीना घाघरे ने मांडवी में तन्मय के घर पहुंचकर परिजनों को दी। आठनेर थाना प्रभारी अजय सोनी ने बताया कि कोतवाली थाना बैतूल में शून्य पर मर्ग कायम किया गया है। डायरी आठनेर पुलिस को सौंपी जाएगी। इस घटना से संबंधित सभी पहलुओं पर जांच की जाएगी और जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया जाएगा।
तन्मय को निकालने कब क्या हुआ?
- -6 दिसंबर को तन्मय के पिता सुनील साहू ने खेत में नया बोर करवाया था। वे कन्या भोज के लिए 6 दिसंबर को ही यानी मंगलवार दोपहर पत्नी रितु, बेटी निशा और बेटे तन्मय के साथ खेत पर पहुंचे थे।
- -तन्मय 4:30 बजे दूसरे बच्चों के साथ खेल रहा था।
- -खेलते समय 4:55 पर अचानक बोरवेल में गिर गया।
- -शाम 5 बजे कलेक्टर अमनबीर सिंह को कॉल आया। मांडवी गांव में 6 साल का बच्चा 400 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया है। वे तुरंत तहसीलदार आठनेर को मौके पर पहुंचने और दो जेसीबी ले जाने का निर्देश देते हैं। एसपी से बात करते हैं।
- -इस बीच परिजन बच्चे से बात करने की कोशिश की तो तन्मय कहता है- नीचे अंधेरा है, डर लग रहा है। जल्दी बाहर निकालो।
- -शाम के 5:20 बजे दोनों अफसर रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर चर्चा कर जरूरी निर्देश देते हैं। एसडीईआरएफ की टीम और ऑक्सीजन पहुंचाने के निर्देश देते हैं।
- -शाम 5:30 बजे कलेक्टर, एसपी घटनास्थल के लिए रवाना होते हैं।
- -इससे पहले तहसीलदार घटनास्थल पर पहुंच जाती हैं। उन्होंने तन्मय से बात करने की कोशिश की, ऑक्सीजन पाइप गड्?ढे में डाला जाता है।
- -5-30 बजे बोर के समानांतर गड्ढा खोदने का काम शुरू हुआ। एसडीईआरएफ की टीम भी पहुंच गई।
- -शाम 6:15 बजे कलेक्टर, एसपी, सीईओ जिला पंचायत, एडीएम, एसडीएम भी पहुंच गए। खुदाई के लिए पोकलेन मशीनें बुलाई गईं और बोर से 30 फीट दूर खुदाई शुरू की गई।
- -बच्चे की हरकत जानने के लिए सीसीटीवी कैमरे की मदद ली गई, लेकिन रिस्पॉन्स नहीं मिला।
- -रात करीब 10:30 बजे बोर में बच्चे का हाथ नजर आने के बाद रस्सी का फंदा बनाकर निकालने के प्रयास किया गया।
- एसडीईआरएफ की टीम ने एक घंटे में बच्चे को करीब 12 फीट तक ऊपर खींचा।
- खींचने के दौरान रस्सी हाथ से निकलने गई। रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ा।
- बोर के पास दोबारा गड्ढा खोदना तय किया गया। रात 12 बजे तक 22 फीट गड्ढा खोदा गया।
- -खुदाई में पत्थर मिलने पर काम में दिक्कत आने लगी।
- मौके पर तीन पोकलेन, तीन जेसीबी मशीनों से खुदाई जारी रही।
- -रात से सुबह तक खुदाई जारी रही।
- -84 घंटे तक टीम खुदाई करती रही। पहले 45 फीट गहरा गड्?ढा खोदा गया। इसके बाद 9 फीट लंबी हॉरिजेंटल सुरंग बनाई गई। इसके बाद रेस्क्यू टीम बच्चे तक पहुंची।
- -84 घंटे तक टीम खुदाई करती रही। पहले 45 फीट गहरा गड्?ढा खोदा गया। इसके बाद 9 फीट लंबी हॉरिजेंटल सुरंग बनाई गई। इसके बाद रेस्क्यू टीम बच्चे तक पहुंची।
- -मांडवी गांव सहित आसपास के 4 गांवों के लोग तन्मय की सलामती की दुआ करते रहे। कई लोगों ने मंगलवार के बाद घटनास्थल के पास ही रातें गुजारीं। वे अलाव जलाकर बैठे रहते और तन्मय को हंसता-खेलता देखने की दुआ करते रहते। तन्मय की मां ऋ तु साहू भी उनके साथ बैठी रहती थी।
- -7 दिसंबर दोपहर 3 बजे गड्ढे में पानी आ जाने से रेस्क्यू और खुदाई में परेशानी आई।
- -रात 10 बजे तक 36 फीट तक गड्ढा गया खोदा।
- -8 दिसंबर सुबह 9 बजे तक 42.5 फीट गड्ढा खोदा गया।
- -सुबह 10.30 बजे 45 फीट तक गड्ढा खोदा गया। सुरंग बनाने के लिए एनडीआरएफ ने प्लान बनाया।
- -10.45 बजे कलेक्टर ने बताया आड़ा (हॉरिजेंटल) बोर कर सुरंग बनाई जाएगी। अगर मशीन से दिक्कत हुई तो फिर हाथ से सुरंग बनेगी।
- -हरदा, होशंगाबाद से सुरंग बनाने के लिए टीम भेजी गई, जो पत्थरों में सुरंग बनाने का काम करती है।
- -दोपहर 4 बजे कंप्रेशर मशीन से ड्रिल कर सुरंग बनाना शुरू किया गया।
- -शाम 6 बजे ढाई फीट सुरंग खोदी गई ।
- -9 दिसंबर को 6 फीट तक सुरंग खोदी गई। सुरंग बनाने में पानी और कठोर चट्टानें दिक्कत देने लगीं।
- -शाम सात बजे प्रभारी मंत्री इंदरसिंह परमार ने माता पिता से मुलाकात की।
- -10 दिसंबर रात दो बजे सुरंग बनाने का काम पूरा हुआ।
- -4:30 बजे तक टीम तन्मय के पास पहुंची। डॉक्टर ने चेक किया।
- -सुबह 5 बजे तक शव को बाहर निकाल लिया गया।
- -सुबह 6:50 बजे तन्मय का शव जिला अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए लाया गया।
- -7 बजे तन्मय के शव का परीक्षण शुरू हुआ।
- -पीएम के बाद शव गांव ले जाया गया।
- -ताप्ती घाट पर तन्मय का अंतिम संस्कार किया गया।