Shiv Mahapuran Katha – शेर को पहचानना सरल है पर इंसान को नहीं – पं. प्रदीप मिश्रा

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दिल से भक्ति करने वालों को दिल से देता है मेरा महादेव

बैतूल – Shiv Mahapuran Katha – शेर, चीता, सांप को पहचानना सरल है क्योंकि इनको देखते ही इनके स्वभाव का अंदाजा हम लगा लेते हैं लेकिन रात दिन साथ में रहने वाले इंसान का अंदाजा कैसे लगाएंगे कि वह हमें धोखा नहीं देगा। आज समाचार पत्र खोलो तो न्यूज होती है कि छोटी की बच्ची के साथ उसके रिश्तेदार ने ही बुरा काम किया है। इस संसार में आप किस पर भरोसा करोगे? जानवर को पहचानना तो सरल लेकिन इंसान को पहनना बेहद कठिन है। ईश्वर पर भरोसा रखना वह आपके भरोसे को कभी नहीं टूटने देगा। उक्त प्रवचन माँ ताप्ती शिवपुराण समिति के तत्वावधान में आयोजित श्री शिवमहापुराण कथा के पांचवें दिन कथा के दौरान पं. प्रदीप मिश्रा ने दिए।

मन को भक्ति में लगाना कठिन काम(Shiv Mahapuran Katha)

हम कथा, मंदिर में जाकर भगवान की भक्ति में बैठ जरूर जाते हैं लेकिन चित्त को नहीं लगा पाते। इस मन को लगाना बड़ा कठिन काम है। यदि आपकी भक्ति, स्मरण में बल है और आप दिल से जुड़े हो तो मेरा महादेव भी दिल से देता है। हमें भक्ति के बल को बढ़ाना है। जिसने संपदा, वस्तुओं, वैभव, व्यापार, काराखाने, बिसनेस, कंपनी लक्ष्मी एकत्रित करी। उसकी एक भी मूर्ति चौराहे पर नहीं मिलेगी। पर जिसने इस शरीर के द्वारा थोड़ा सा भी अपना पैसा लगाकर गरीबों के लिए स्कूल खोल दिया तो उसकी मूर्ति आपको मिल जाएगी। क्योंकि उसने सांसारिक जीवों का कल्याण किया है।

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कथा के पांचवें दिन भाजपा नेता मोहित गर्ग ने श्री शिव महापुराण कथा की व्यास पीठ की पूजा अर्चना की और साथ ही प्रसिद्ध कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा से आशीर्वाद लिया।

जब भी करें दिल से करें भजन

पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हमें शरीर से भजन नहीं करना बल्कि दिल से करना है। एक माँ काम में लगी है और बच्चा रो रहा है। किसी ने कहा कि तुम्हारा बच्चा रो रहा है तो माँ ने कहा कि मैं घर के काम नहीं करूं क्या? उसका काम ही है रोना इसलिए रो रहा है। वही बच्चा सो रहा है और एकदम से चीखे तो माँ को दौडक़र जाना पड़ेगा और बच्चे को उठाना भी पड़ेगा। उसी तरह इस शरीर के हाथ से माला जपी पर एक दिन शरीर से कुछ नहीं किया लेकिन दिल से पुकार लिया और (परात्मा) वह आ गया। जो भी करें दिल से करें। जब आप दिल से करोगो तो भगवान भी दिल से ही देगा। बाबा ने एक पत्र पढक़र बताया कि एक महिला की बेटी और बहू के बच्चे नहीं थे। लेकिन शिवपुराण कथा सुनने से दोनों के घर में बेटे हुए हैं।

पूजा के साथ करें कर्म(Shiv Mahapuran Katha)

जब हम कर्म करते हैं तो उसका फल जरूर प्राप्त होता है। कर्म से पीछे ना रहे। पूजा-पाठ अपनी जगह है लेकिन कर्म करना अपनी जगह है। कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता है। यह सोचकर भजन किया करो कि हम भगवान की निगाह में है उसकी दृष्टि में है। किसी को कसम खिलाने से वह नशा नहीं छोड़ेगा। यदि इन्हें एक लोटा जल चढ़ाने की आदत लगा दोगे तो एक ना एक दिन महादेव का इशारा होगा और उसे नशे से नफरत होना प्रारंभ हो जाएगी। कसम खाने या खिलाने से कोई नहीं बदलता है। यदि कोई बदलता है तो इनको मंदिर तक ले जाना चालू कर दो यह सब अपने आप छोड़ देंगे। जब तक भजन का बल नहीं बढ़ेगा नशा खत्म नहीं होगा। कर्म तो आपको ही करना पड़ेगा। हमेशा भगवान से कहो मंदिर में मुझे तेरे चरणों में रखना और घर, दुकान में अपनी शरण में रखना।

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पांचवें दिन श्रद्धालुओं का टूटा रिकार्ड

पं. प्रदीप मिश्रा की श्री शिवमहापुराण कथा स्थल पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। पांचवें दिन भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने के लिए पहुंचे। स्थिति यह थी कि कथा स्थल तो खचाखच भरा ही था। फोरलेन पर भी शिवभक्तों का आना लगातार जारी था। आज पंडाल के अलावा चारों तरफ खुले मैदान में शिवभक्त जमीन पर बैठे हुए थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि श्रद्धालुओं में श्री शिवमहापुराण कथा सुनने के लिए कितनी आस्था है।

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