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Russia-Ukraine War : दुनिया में आ सकता है गेंहू संकट, भारत के पास है निर्यात का अवसर   

नई दिल्ली – रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया है. यूक्रेन के कई शहरों से तबाही की तस्वीरें सामने आ रही हैं. लोगों की जानें भी गई हैं. साथ ही रूस-यूक्रेन संकट के चलते दुनियाभर में आर्थिक संकट की आहट भी आ रही है. दुनियाभर के शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली है तो कच्चे तेल के दाम में उछाल आया है. खाद्यान्न आपूर्ति को लेकर भी आशंका जताई जा रही है, लेकिन इस समय भारत अपना गेहूं निर्यात बढ़ा सकता है.

‘भारत को उठाना चाहिए फायदा’

विशेषज्ञों का कहना है कि रूस-यूक्रेन संकट भारत को वैश्विक बाजारों को अधिक गेहूं का निर्यात करने का अवसर दे सकता है और घरेलू निर्यातकों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए. सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि भारत का केंद्रीय पूल में 2.42 करोड़ टन अनाज है, जो बफर और रणनीतिक जरूरतों से दोगुना है. 

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दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक देश है रूस

दुनिया के गेहूं के निर्यात का एक-चौथाई से अधिक हिस्सा रूस और यूक्रेन से होता है. रूस गेहूं का विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक है, जिसका अंतरराष्ट्रीय निर्यात में 18 प्रतिशत से अधिक का योगदान है. वर्ष 2019 में रूस और यूक्रेन ने मिलकर दुनिया के एक-चौथाई (25.4 प्रतिशत) से अधिक गेहूं का निर्यात किया था. 

मिस्र है दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं खरीदार देश

उन्होंने कहा कि मिस्र, तुर्की और बांग्लादेश ने रूस से आधे से ज्यादा गेहूं खरीदा. मिस्र दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा आयातक है. यह अपनी 10 करोड़ से अधिक की आबादी को खिलाने के लिए सालाना चार अरब डॉलर से अधिक खर्च करता है. रूस और यूक्रेन, मिस्र की आयातित गेहूं की 70 प्रतिशत से अधिक मांग को पूरा करते हैं. 

तुर्की, रूसी और यूक्रेनी गेहूं पर भी एक बड़ा खर्च करने वाला देश है. वर्ष 2019 में इन दोनों देशों से उसका आयात 74 प्रतिशत या 1.6 अरब डॉलर रहा. 

भारत के पास है गेहूं निर्यात करने का अवसर

सूत्रों ने कहा, ‘यूक्रेन का संकट भारत को अधिक गेहूं निर्यात करने का अवसर दे सकता है, बशर्ते हम और अधिक निर्यात करें, क्योंकि हमारा केंद्रीय पूल 2.42 करोड़ टन का है, जो बफर और रणनीतिक जरूरतों से दोगुना है.’ 

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