
तीन से अधिक बार भी मैदान में उतरे कई प्रत्याशी
Political News – बैतूल – राजनैतिक जीवन में लंबी पारी वही खेल सकता है जिसकी क्षेत्र में लोकप्रियता और पार्टी में पकड़ के साथ-साथ भाग्य शामिल होता है। विधानसभा चुनावों की बात करें तो आजादी के बाद हुए सभी विधानसभा चुनाव में जिले से एकमात्र उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के रामजी महाजन का नाम सामने आता है। जिन्होंने अपने जीवन में लगातार 8 विधानसभा चुनाव लड़े जिनमें से उन्हें 5 चुनावों में जीत मिली और कई बार उन्हें मध्यप्रदेश की विभिन्न सरकारों में मंत्री बनने का गौरव मिला।
इसी के साथ आज भी उनके नाम से पिछड़ा वर्ग के उत्थान के लिए शासकीय स्तर पर महाजन आयोग काम रहा है। श्री महाजन जिले के इकलौते ऐसे राजनेता थे जिनके नाम एक ही विधानसभा से लगातार 8 चुनाव लडऩे, जिले भर में सर्वाधिक 8 चुनाव लडऩे और 5 बार चुनाव जीतने के तीन रिकार्ड 71 वर्ष बाद भी कायम है। जिले में श्री महाजन के अलावा अन्य कई उम्मीदवार 4 से 6 बार चुनाव लड़ चुके हैं।
महाजन का राजनैतिक सफर | Political News

पट्टन के निवासी रहे साधारण परिवार के रामजी महाजन के परिवार के कोई भी सदस्य उनके पहले राजनीति में नहीं आए इसलिए उन्होंने संघर्ष कर अपना स्थान बनाया। 1967 में पहली बार मासोद-आठनेर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लडक़र अपना भाग्य आजमाया लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। पर 1972 के चुनाव में फिर निर्दलीय लडक़र अपने जीवन का पहला चुनाव जीतने का मौका मिला। 1977 में कांग्रेस ने महाजन पर दांव चलाया और वो चुनाव जीत गए।
इसके बाद 1980 और 1985 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर चौथी बार विधायक बन गए। लेकिन 1990 में पहली बार हार का सामना करना पड़ा। 1993 के चुनाव में फिर जीतकर पांचवीं बार विधायक बने। लेकिन अपने जीवन के अंतिम और 8 वें 1998 के चुनाव में उन्हें असफलता हाथ लगी और उसके कुछ समय बाद उनका दुखद निधन हो गया।
6 बार चुनाव लड़े मनीराम बारंगे-प्रताप सिंह

मुलताई विधानसभा सीट से 1977 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पहला चुनाव जीतने वाले मनीराम बारंगे 1980 में भी निर्दलीय चुनाव जीते। लेकिन 1985 में भाजपा की टिकट पर हारने के बाद 1990 में भाजपा की टिकट पर ही चुनाव जीत गए। 1993 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की टिकट से हारने के बाद मनीराम बारंगे को पार्टी ने आगे अवसर नहीं दिया तो 1998 में मनीराम बारंगे अजय भारत पार्टी से चुनाव मैदान में कूद गए लेकिन वह हार गए। और इसके बाद वे राजनीति में सक्रिय नहीं रहे। लेकिन मुलताई विधानसभा से तीन बार विधायक बनने का रिकार्ड अभी भी मनीराम बारंगे के नाम दर्ज है।
इसी तरह से घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रताप सिंह 6 बार चुनाव लड़े। जिनमें 1993 और 1998 में चुनाव जीते और मंत्री बने। लेकिन 2003, 2008 के विधानसभा चुनाव सहित 2016 के उपचुनाव में कांग्रेस की टिकट पर हार गए। लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े प्रताप सिंह की बुरी हार हुई थी।
5 चुनाव लड़े कई उम्मीदवार | Political News

बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट से 1980 से 1998 तक लगातार 5 चुनाव भाजपा की टिकट पर चुनाव लडऩे वाले रामजीलाल उइके को एक बार पटवा सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला था। 1980 और 1990 में चुनाव जीते श्री उइके 1985, 1993, 1998 में चुनाव हार गए।
इसके अलावा भैंसदेही से महेंद्र सिंह चौहान भाजपा की टिकट पर निरंतर 1998 से 2018 तक चुनाव लड़े जिसमें 1998, 2003 और 2013 में चुनाव जीते। लेकिन 2008 और 2018 में वे चुनाव हार गए। अभी घोषित उम्मीदवारों में भाजपा ने 2023 के चुनाव के लिए उन्हें छटवीं बार भाजपा का प्रत्याशी बनाने की घोषणा कर दी है।
जब-जब टिकट मिली हासिल हुई जीत

1977 में आमला विधानसभा सीट बनने के बाद गुरुबक्श अतुलकर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लडक़र आमला के पहले विधायक बने। लेकिन उनके नाम एक रिकार्ड दर्ज हो गया। गुरुबक्श अतुलकर को कांग्रेस ने 1977, 1980 और 1993 में चुनाव मैदान में उतारा और तीनों बार वह विजयी रहे।
यही रिकार्ड पुराने समय में स्व. दीपचंद गोठी के नाम भी दर्ज है। बैतूल विधानसभा सीट से दीपचंद गोठी को कांग्रेस ने 1952, 1957 और 1962 में चुनाव लड़वाया और वह तीनों बार विजयी रहे।
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