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भारत के उद्योग जगत में अमेरिकी टैक्स नीति से निराशा, घरेलू निवेश को प्रोत्साहित करने की तैयारी

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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा अनेक देशों पर भारी जवाबी शुल्क लगाए जाने से चिंतित भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज अपने कारोबार और व्यापक भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन कर रहे हैं। साथ ही बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता के बीच अपने निवेश पर पड़ने वाले प्रभावों का भी वे मूल्यांकन कर रहे हैं।

कंपनी जगत के दिग्गजों ने कहा कि वे अपना ध्यान देश की ओर मोड़ रहे हैं और देसी बाजारों में नए निवेश के मौके तलाश रहे हैं। अमेरिका को टेक्सटाइल व वाहन कलपुर्जे का निर्यात करने वाली रेमंड के ग्रुप सीएफओ अमित अग्रवाल ने कहा, जवाबी शुल्क का अमेरिकी उपभोक्ता की क्रय शक्ति पर खासा असर पड़ सकता है और अमेरिका व वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर इसके असर को पूरी तरह से समझने के लिए हमें प्रतीक्षा करनी होगी।

अग्रवाल ने कहा, सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर लगाए गए जवाबी शुल्क को ध्यान में रखते हुए हम प्रभावित देशों से (भारत में) आयात में संभावित वृद्धि की उम्मीद करते हैं। हमें विश्वास है कि सरकार भारतीय उद्योग के हितों और इससे उत्पन्न होने वाले रोजगार की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी। हालांकि अन्य प्रमुख बाजार शुल्क प्रभावित देशों से माल खरीदना जारी रख सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भारत को उन बाजारों में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।

फिर भी यह अनुमान लगाना अभी भी जल्दबाजी होगी कि स्थिति कैसे आगे बढ़ेगी।आदित्य बिड़ला समूह सहित भारत के कुछ सबसे बड़े व्यापारिक समूह पहले ही हिंडाल्को की सहायक कंपनी नोवेलिस के 2.5 अरब डॉलर के विस्तार के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में पर्याप्त निवेश कर चुके हैं। पिछले साल सितंबर में अदाणी समूह ने अमेरिकी ऊर्जा सुरक्षा और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में 10 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की, जिसका लक्ष्य 15,000 नौकरियां पैदा करना है। 2024 में, जेएसडब्ल्यू स्टील ने टैक्सस के बेटाउन में अपने स्टील परिचालन का विस्तार करने के लिए 11 करोड़ डॉलर की प्रतिबद्धता जताई।

निवेशक बदलते भूराजनीतिक रुझानों और घरेलू स्तर पर विनिर्माण की सरकारी पहल के कारण कई क्षेत्रों में निवेश पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस क्रम में निवेशक भारत में बिजली, धातु, खनन, बंदरगाह और लॉजिस्टिक्स के साथ-साथ सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स के विनिर्माण पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

कोटक इंश्यूट्यूशनल इक्विटीज के अनुमान के अनुसार भारत के निजी क्षेत्र के पास बुनियादी क्षेत्र में वित्त वर्ष 2025 से वित्त वर्ष 2030 तक 32 लाख करोड़ रुपये (384 अरब डॉलर) के निवेश का अवसर है। प्रमुख कारोबारी के प्रमुख के अनुसार, ‘अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और सरकार प्रोत्साहन से जुड़ी योजनाएं मुहैया करवा रही है। हमें उम्मीद है कि स्थानीय विनिर्माण आने वाले वर्षों में बढ़ेगा।’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि वैश्विक अनिश्चितता और गिरती घरेलू मांग से अल्पावधि में कॉरपोरेट निवेश में कमी आ सकती है। ‘

भारत के कुछ दिग्गज समूहों ने बड़ा निवेश करने की घोषणा की है। इस क्रम में अडाणी समूह ने 100 अरब डॉलर और टाटा समूह ने 120 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है। इस क्रम में जेएसडब्ल्यू समूह ने वित्त वर्ष 26 में स्टील, एनर्जी और ईवी क्षेत्रों में 7 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है। भारत के इन दिग्गजों ने आधारभूत ढांचा, नवीकरणीय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर बिजनेस में निवेश पर ध्यान केंद्रित किया है।

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