सीबीएसई स्कूलों में यह परीक्षाएं सितंबर में ही संपन्न
Examinations: मध्य प्रदेश बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में इस वर्ष की अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं दिसंबर में होंगी, जबकि सीबीएसई स्कूलों में ये परीक्षाएं सितंबर में ही संपन्न हो चुकी हैं। इससे एमपी बोर्ड के छात्रों को बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के लिए सीमित समय मिलेगा, जिससे उनकी तैयारी और प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है।
परीक्षा शेड्यूल में देरी का असर
- छात्रों के लिए समय की कमी: एमपी बोर्ड की अर्द्धवार्षिक परीक्षा दिसंबर में होने से, छात्रों के पास प्री-बोर्ड परीक्षाओं के लिए समय नहीं बचेगा। फरवरी में बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने के कारण छात्रों को गलतियां सुधारने और तैयारी करने का मौका कम मिलेगा।
- परिणाम में अंतर: पिछले वर्ष की 10वीं का परीक्षा परिणाम एमपी बोर्ड में केवल 58.10% था, जबकि सीबीएसई का परिणाम 93.60% था। इसी तरह, 12वीं के परिणाम में भी सीबीएसई का प्रदर्शन लगभग 30% अधिक था। विशेषज्ञों का मानना है कि छमाही परीक्षाओं में देरी से छात्रों को सुधार का समय नहीं मिलता, जिससे परिणाम प्रभावित होते हैं।
विशेषज्ञ की राय
डॉ. एसएन राय, शिक्षाविद्, का कहना है कि अगर छमाही परीक्षाएं समय पर हों, तो छात्रों को आगे की तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिलता है, जिससे वे अपनी गलतियों को सुधार सकते हैं। बोर्ड परीक्षा के लिए 90% पाठ्यक्रम का समय से कवर होना जरूरी है, ताकि छात्रों को आत्मविश्वास और तैयारी में बढ़त मिल सके।
प्रशासनिक कारण और संभावित समाधान
डीएस कुशवाह, लोक शिक्षण संचालनालय के निदेशक, ने बताया कि इस वर्ष चुनाव के कारण सत्र में देरी हुई, लेकिन सत्र को पूरा करने और परीक्षा परिणामों में सुधार की कोशिश जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि छमाही परीक्षाओं का आयोजन समय पर करने से छात्रों को उनकी तैयारी में सुधार का अवसर मिलेगा, जिससे बोर्ड परिणामों में भी सुधार की संभावना होगी।
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