हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की के जयकारों के साथ निकले डोल, श्रृद्वालुओं ने की पुजा अर्चना
मंदिरो से निकले डोल गांधी चौक पहुचें, गांधी चौक में हुआ डोल एकादशी का आयोजन
डोल ग्यारस पर भगवान गणेश का अभिषेक कर की महाआरती,
मुलताई। पवित्र नगरी में बुधवार शाम डोल एकादशी पर्व पर मॉं ताप्ती की परिक्रमा कर श्रृद्वालुओं द्वारा नगर के मंदिरों एवं ग्राम चंदोरा खुर्द से डोल को कंधे पर रखकर हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की के जयकारों के साथ डोल निकाले गए जो कि गांधी चौक में पहुचें । जहां पर श्रृद्वालुओं द्वारा डोल में विराजित बाल गोपाल की पुजा अर्चना कर प्रसाद अर्पित किया । मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी के 11 वें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था। इसी दिन को ‘डोल ग्यारस’ के रूप में मनाया जाता है। जलवा पूजन के बाद ही संस्कारों की शुरुआत होती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को डोल में बैठाकर नगर भ्रमण कराते हुए तरह-तरह की झांकी के साथ बड़े ही हर्षोल्लास के साथ जुलूस निकाला जाता है।वहीं दूसरी ओर डोल गांधी चौक पहुचनें के बाद गणेश उत्सव मंडल में भगवान गणेश का अभिषेक प्रारंभ हुआ । जिसमें क्षेत्र के विद्यवान 11 पंडितों द्वारा भगवान गणेश का अभिषेक कराया गया । जिसके बाद महाआरती का आयोजन किया गया ।
*नगर में करीब 150 सालों से डोल निकालने की चली आ रही है परम्परा*
सत्यनारायण मंदिर के सरवराकार सौरभ भार्गव ने बताया कि पवित्र नगरी में डोल ग्यारस पर डोल निकाले जाने की परम्परा करीब 150 सालों से अधिक समय से चली आ रही है । उन्होने बताया कि उनके दादा जी के समय के पहले से भगवान को डोल पर बैठाकर कर नगर भ्रमण कराने की प्रथा चली आ रही है जो कि वर्तमान में उनके द्वारा निभाई जा रही है। नगर में 4 डोल निकाले जाते है। जिसमें पहला भगवान श्रीराम मंदिर गांधी चौक, दूसरा लक्ष्मीनारायण मंदिर ताप्ती तट, तीसरा सत्यनारायण मंदिर ताप्ती तट तथा चौथा डोल चन्दोरा खुर्द का होता है जो कि अपने अपने स्थान से निकलकर ताप्ती सरोवर की परिक्रमा करते हुए गांधी चौक पर एकत्रित होते है। जहां गणेश जी आरती के पश्चात डोल पुजन कर नगर भ्रमण करते हुए अपने अपने मंदिरों में पहुचते है।
*सालो से 4 किलोमीटर दूर से लाया जा रहा है डोल*
डोल ग्यारस के अवसर में नगर के सटे ग्राम चंदोरा खुर्द से डोल पवित्र नगर में लाया जाता है। चंदोरा खुर्द का डोल सर्वप्रथम ग्राम में भ्रमण करता है तथा उसके उपंरात नगर के लिए कंधो पर जयकारों के साथ रेल्वे स्टेशन मार्ग से होता लाया जाता है तथा गांधी चौक पहुचकर डोल को श्रृद्वालुओं के दर्शन के लिए विराम दिया जाता है तथा महाआरती के पश्चात डोल को ताप्ती तट पर ले जाकर स्नान कराया जाता है तथा उसके बाद डोल को चंदोरा खुर्द आए श्रृद्वालु वापस अपने कंधो पर चंदोराखुर्द लेकर जाते है । चंदोरा खुर्द निवासी दिनेश मालवीय ने बताया चंदोरा खुर्द से डोल लाने की शुरूवात बाजीलाल मालवीय द्वारा की गई गई जो कि कई वर्षो से लगातार चली आ रही है।
*डोल के नीचे से निकलने बीमारिया होती है दूर*
डोल ग्यारस पर कई श्रृद्वालु डोल के नीचे से झुककर या लेटकर निकलते है । इस संबध में जब लोगों से जानकारी ली गई तो उन्होने बताया मान्यता है कि डोल ग्यारस पर निकलने वाले डोल के नीचे से निकलने से शरीर में व्याप्त व्याधियां दूर होती है एवं मनुष्य स्वस्थ रहता है। जिसके चलते बडी संख्या में श्रृद्वालु भगवान के डोल भ्रमण के दौरान डोल के नीचे से निकलते है।
*151 लीटर दूध से किया गया दूग्धाभिषेक*
डोल ग्यारस के अवसर में गांधी चौक गणेश उत्सव मंडल में 151 लीटर से भगवान गणेश का दूग्धाभिषेक किया गया । अभिषेक 11 महाराष्ट्रीयन पंडितों द्वारा कराया गया। जो कि एक स्वर में मंत्रोचार किया। जिसके उपंरात भगवान गणेश की महाआरती का आयोजन किया गया । जिसमें श्रृद्वालु अपने अपने घरो से आरती की थालियां सजाकर लाए थे तथा भगवान की आरती का लाभ लिया गया । भगवान गणेश की महाआरती में भगवान गणेश के अलावा सभी देवी देवताओं की आरती की जाती गई। जिसमें हजारों की संख्या में श्रृद्वालु गांधी चौक पहुचें । महाआरती के बाद श्रृद्वालुओं को दूध का प्रसाद वितरण किया गया ।