जिले की कांग्रेस में दिखने लगे नए समीकरण
बैतूल – Congress Politcal News – कांग्रेस के बारे में यह प्रसिद्ध है कि जब भी कहीं कांग्रेस हारती है तो इसके लिए दूसरा दल नहीं वरन कांग्रेस की गुटबाजी ही जिम्मेदार होती है। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस में इसलिए गुटबाजी दिखाई नहीं देती है क्योंकि वहां सीधे-सीधे गांधी परिवार का हस्तक्षेप रहता है। लेकिन राज्य स्तर से लेकर जिला स्तर तक और फिर ब्लाक लेवल तक कांग्रेस हर जगह पहले भी गुटबाजी का शिकार थी और आज भी है। बैतूल जिला भी कभी इससे अछूता नहीं रहा है। यही वजह है कि प्रदेश में 15 वर्षों से (15 माह छोडक़र) भाजपा काबिज रही है। लेकिन कल से शहर में कई स्थानों पर कमलनाथ की सरकार बनने की घोषणा करने वाले होर्डिंग दिखाई दे रहे हैं। जो कांग्रेस की जिले की गुटीय राजनीति में नए समीकरणों को प्रदर्शित कर रहे हैं।
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शुरू से कांग्रेस है गुटबाजी का शिकार(Congress Politcal News)
आजादी के बाद से 1977 तक लगातार देश और प्रदेश में कांग्रेस सत्तारूढ़ रही है। उस समय भी कांगे्रस में गुटबाजी थी लेकिन सामने विपक्षी दल कमजोर रहने के कारण इस गुटबाजी से कांग्रेस को नुकसान नहीं हुआ था। बैतूल में 1960 से 1975 के दौरान कांग्रेस के एक गुट का नेतृत्व बालकिशन पटेल, दौलतराव माकोड़े, नाथूराम इंगोले करते रहे तो दूसरे गुट में बिरदीचंद गोठी, हरकचंद डागा, राधाकृष्ण गर्ग ने कांग्रेस की कमान संभाले रखी। 1975 से 85 के दशक में कांग्रेस की गुटबाजी में नेताओं का नाम बदला लेकिन गुटबाजी नहीं बदली। इस दौरान एक गुट में रामजी महाजन तो दूसरे गुट को उस समय युवा नेता के रूप में उभर रहे विनोद डागा ने कांग्रेस की राजनीति में महत्वपूर्ण रोल अदा किया। इस दौरान गुफराने आजम, असलम शेर खान और अशोक साबले जैसे नेता दोनों गुटों को बैलेंस करते रहे। इसके बाद नए नेताओं में सुखदेव पांसे एक गुट के नेता रहे तो दूसरे गुट में पहले विनोद डागा और बाद में निलय डागा ने कांग्रेस की कमान संभाली। अभी भी अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस ताकत से दो गुटों में बंटी हुई है।
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होर्डिंग में दिख रहे नए समीकरण(Congress Politcal News)
वर्तमान में जिले में कांग्रेस की गुटीय राजनीति की बात करें तो पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे के साथ कांग्रेस का वो एक वर्ग भी साथ है जो बैतूल शहर में कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय है। लेकिन बैतूल के कांग्रेस विधायक निलय डागा के कार्यक्रमों और प्रदर्शनों के दौरान अधिकांश समय अनुपस्थित रहता आया है। इनमें अरूण गोठी, नवनीत मालवीय, अनुराग मिश्रा, कांग्रेस जिला कार्यवाहक अध्यक्ष हेमंत वागद्रे शामिल हैं। वहीं निलय डागा के साथ जिला कांग्रेस के पूर्ण कालिक अध्यक्ष सुनील शर्मा के साथ-साथ कैलाश पटेल, मोनू बडोनिया, हर्षवर्धन धोटे, नारायण सरले सक्रिय रहते हैं। चर्चाओं के अनुसार हेमंत वागद्रे को कांग्रेस का पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाने के लिए कांग्रेस का एक गुट सक्रिय रहा लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली तो कांग्रेस का जिला कार्यवाहक अध्यक्ष बनवाकर अपनी ताकत दिखाई। इसी दौरान जिला कांग्रेस के पूर्णकालिक अध्यक्ष सुनील शर्मा ने कमलनाथ से अपने सीधे संपर्कों और जिले में कांग्रेस के दूसरे गुट के सहयोग से अपना पद बचा लिया। और इस दौर में सुनील शर्मा विधायक निलय डागा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े दिखाई दे रहे हैं। लेकिन कल जो होर्डिंग लगाए हैं उसमें एक होॢडंग में निलय डागा के साथ सिर्फ जिला कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष हेमंत वागद्रे का फोटो है। राजनैतिक समीक्षकों का मानना है कि यह कांग्रेस के डागा गुट का दूसरे गुट से एडजेस्टमेंट का प्रयास है। ताकि 2023 के चुनाव में कांग्रेस गुटबाजी के चलते असफल ना हो।
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मजबूरी में सुधारना पड़ेंगे राजनैतिक रिश्ते(Congress Politcal News)
हाल ही में भोपाल से कांग्रेस की एक तथाकथित सर्वे रिपोर्ट मीडिया में आई थी। जिसके अनुसार बैतूल के चार में से दो कांग्रेस विधायक सुखदेव पांसे एवं निलय डागा की उनके क्षेत्र में स्थिति मजबूत बताई गयी थी और इस सर्वे के अनुसार 2023 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों विधायकों को पुन: इनके क्षेत्र से कांग्रेस से टिकट मिलना तय है। इस स्थिति में इन दोनों क्षेत्रों के कांग्रेस की टिकट के अन्य दावेदारों को या तो इनसे एडजेस्टमेंट करना होगा या फिर राजनैतिक रूप से निष्क्रिय होकर घर बैठना होगा। राजनैतिक समीक्षकों का मानना है कि इसी के चलते बैतूल विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे कांग्रेस नेता भी विधायक निलय डागा के साथ राजनैतिक रिश्ते मधुर करने के प्रयास कर रहे हैं जो अभी कांग्रेस की राजनीति में तक निलय डागा के कट्टर विरोधी मान जाते थे।