देश का दूसरा मंदिर है बैतूल में
Betul News: बैतूल। 10 महाविद्या की देवियों में एक देवी श्री छिन्न मस्तिका मातेश्वरी हैं। जिनका देश में पहला मंदिर झारखंड के रजरप्पा में है और उसके बाद 2017 में मध्यप्रदेश के बैतूल जिला मुख्यालय में छिन्नमस्तिका मातेश्वरी मूर्ति के रूप में दूसरा मंदिर बना। इन्हें तंत्र की देवी भी माना जाता है। यह मंदिर पार्वती (शक्ति) के अवतरण के रूप में माता छिन्नमस्तिका को समर्पित है, जिन्हें प्रचंड चंडिका भी कहा जाता है।
जटिल समस्याओं से मिलती है मुक्ति
श्री छिन्न मस्तिका मातेश्वरी मंदिर बैतूल के सदर इलाके के काशी तालाब पर देवीधाम के रूप में स्थित है। श्री श्री छिन्न मस्तिका मातेश्वरी 10 महाविद्या ट्रस्ट के अध्यक्ष नवनीत गर्ग ने बताया कि माता के मंदिर में दूर-दूर से भक्त पूजा अर्चना के लिए आते हैं। इसके अलावा जटिल समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए मन्नत मांगते हैं। मान्यता है कि माता अपने भक्तों को जटिल समस्याओं से मुक्ति दिलाती हैं। माता को मेवा और मिष्ठान का प्रसाद चढ़ाया जाता है। बैतूल के मंदिर में छिंदवाड़ा, परासिया, तामिया, नर्मदापुरम, इटारसी, बाबई और आसपास के क्षेत्रों के अलावा कई शहरों से भक्त पूजा के लिए आते हैं।
नवरात्र में होती है विशेष पूजा
श्री छिन्न मस्तिका मातेश्वरी मंदिर के व्यवस्थापक पं. आनंद अग्रवाल ने बताया कि 10 महाविद्या की देवियों में तंत्र की देवी श्री छिन्न मस्तिका मातेश्वरी शामिल हैं। नवरात्र पर 10 बहनों की पूजा की जाती है। और दिन में पांच बार आरती की जाती है। पंडित आनंद अग्रवाल ने बताया कि माता छिन्नमस्तिका का अवतरण हजारों साल पहले राक्षसों एवं दैत्यों से मानव और देवताओं की रक्षा के लिए हुआ था। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनेगा और माता छिन्नमस्तिका की आराधना का केंद्र होगा।
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