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Heart attack: युवाओं में दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा तेजी से बड़ा 

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खराब खानपान और शारीरिक गतिविधि की कमी

Heart attack: मध्य प्रदेश में युवाओं में दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। खराब जीवनशैली, अनियमित खानपान, धूम्रपान, तनाव और अधूरी नींद इसके प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, राज्य में पिछले 5 सालों में 94,000 से अधिक हृदय रोग के मामले सामने आए हैं, जिनमें से आधे मरीज 40 साल से कम उम्र के हैं। इसके अलावा, बच्चों में भी जन्मजात हृदय रोग के मामले बढ़ रहे हैं।

दिल की बीमारियों के मुख्य कारण:

खराब खानपान और शारीरिक गतिविधि की कमी: अत्यधिक जंक फूड और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण युवाओं में मोटापा, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं, जो दिल की बीमारियों का मुख्य कारण हैं।

धूम्रपान: विशेषज्ञों के अनुसार, धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में हार्ट अटैक का जोखिम 43% तक अधिक होता है। यह हृदय की धमनियों को कमजोर कर देता है और रक्त के थक्के बनने का खतरा बढ़ाता है।

तनाव: मानसिक तनाव और नींद की कमी भी दिल की बीमारियों को बढ़ावा देती हैं। तनाव से रक्तचाप बढ़ता है, जिससे हृदय पर अधिक दबाव पड़ता है।

जेनेटिक कारण: कुछ लोगों में हृदय रोगों का खतरा अनुवांशिक होता है, जिसमें थ्रिफ्टी जीन की भूमिका भी प्रमुख है। यह जीन शरीर में अधिक वसा इकट्ठा करने के लिए प्रेरित करता है, जो मोटापा और हृदय रोगों का कारण बनता है।

बच्चों में हृदय रोग:

बच्चों में हृदय रोग अधिकतर जन्मजात समस्याओं से संबंधित होते हैं। हालांकि, मोटापा, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं भी बच्चों में दिल की बीमारियों का कारण बनती हैं।

वायरस से दिल की बीमारी का खतरा:

डॉ. राजीव गुप्ता के अनुसार, शरीर में प्रवेश करने वाले वायरस धमनियों की झिल्ली (एंडोथेलियम) को कमजोर कर देते हैं, जिससे रक्त प्रवाह प्रभावित होता है और थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है। इससे हार्ट अटैक की संभावना अधिक हो जाती है।

राहत की बातें:

एक अध्ययन में पाया गया कि करीब 40% मामलों में हृदय रोग का प्रारंभिक लक्षणों के आधार पर निदान हो जाता है, जिससे इलाज समय पर शुरू किया जा सकता है। हालांकि, डायबिटीज और हाइपरटेंशन से ग्रस्त मरीजों में हृदय रोग का खतरा अधिक होता है।

निष्कर्ष:

युवाओं में दिल की बीमारियों के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सही खानपान, नियमित व्यायाम, धूम्रपान से बचाव और मानसिक तनाव को कम करना आवश्यक है। समय पर जांच और शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देकर हृदय रोगों से बचाव संभव है।

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