Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

Summer Special : गुजराती-महाराष्ट्रीयन मटको से गुलजार हुआ बाजार

By
On:

पहली बार काले के साथ सफेद रंग के बिक रहे मटके

बैतूल – देशी फ्रिज के नाम से विख्यात मटको का सीजन गर्मी के शुरू होते ही प्रारंभ हो गया है। पिछले दो साल से कोरोना की मार के चलते लोग ठण्डे पेयपदार्थों के साथ-साथ ठण्डा पानी पीने से भी परहेज कर रहे थे जिससे मटको का व्यवसाय चौपट हो गया था। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाने से गर्मी के शुरू होते ही मटको का बाजार दो साल बार फिर से इस वर्ष गुलजार हो गया है।

शाहपुर के मटके बने पहली पसंद

नेहरू पार्क के लगी इन दुकानों में बड़ी संख्या में लोग अपनी-अपनी पसंद के मटको की खरीददारी कर रहे हैं जिससे मटका बेचने वालों को अच्छी आय होने लगी है। इसके साथ ही परंपरागत व्यवसाय को भी गति मिल रही है। बैतूल जिले में मटको का कारोबार शाहपुर क्षेत्र में बड़ी मात्रा में किया जाता है। यहां के मटके राजधानी सहित पूरे प्रदेश में विक्रय के लिए जाते हैं। यही वजह है कि शाहपुर के मटके लोगों की विशेष पसंद आज भी बने हुए हैं।

महाराष्ट्र से आ रहा काला मटका

मुख्यतौर पर महाराष्ट्र में काले मटको का चलन सर्वाधिक मात्रा में होता है। इस मटके की खासियत यह है कि यह सामान्य मटको से अधिक पानी को ठण्डा और शीतल कर देता है। महाराष्ट्र में अत्यधिक तापमान होने से गर्मी भी बेहताशा पड़ती है। महाराष्ट्र वासियों द्वारा अधिकांशत: काले मटके का ही प्यास बुझाने में उपयोग करते हैं। बैतूल के बाजार में काले मटके की कीमत 120 रुपए की है।

पहली बार आया सफेद गुजराती मटका

बैतूल शहर में इस वर्ष ग्रीष्मकाल के प्रारंभ होते ही पहली बार सफेद गुजराती मटका भी बाजार में आ गया है। इस मटके की खासियत यह है कि यह काले से कम और सामान्य मटके से अधिक पानी को ठण्डा करता है। इस मटके की कीमत 300 से 400 रुपए तक है। हालांकि इस मटके की बिक्री प्रचार-प्रसार के अभाव में उतनी नहीं हो पा रही है जितनी की होनी चाहिए।

बोतल, जग, गिलास भी हैं मिट्टी के

परंपरागत व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए कुम्हार समाज के लोगों ने इस वर्ष ग्रीष्मकाल में लोगों के उपयोग करने के लिए मिट्टी की बोतल 200 रु. प्रति नग, जग 120 रु. प्रति नग एवं 50 से 60 रुपए गिलास प्रति नग भी बेचा जा रहा है। मटको की बिक्री करने वाली बबीता प्रजापति ने बताया कि पहली बार मिट्टी के यह बर्तन बेचने के लिए लाए हुए है। वहीं आशा प्रजापति ने बताया कि वह प्रतिदिन 15 से 20 मटके बेचकर 400 रुपए से 500 रुपए की आय हो रही है।

For Feedback - feedback@example.com

Related News

Leave a Comment

Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News