Supreme Court on Dharmantran – धर्मांतरण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने किसी भी तरह के निर्देश पारित करने पर साफ़ इंकार कर दिया है। दरअसल न्यायालय में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी।
दरअसल उच्चतम न्यायालय में धर्मांतरण को लेकर हुई सुनवाई के दौरान सहमति जताने के साथ ही कहा कि हर प्रकार के धर्मांतरण को गैर कानूनी नहीं कहा जा सकता। न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई जिसमें जिलाधिकारी को सूचित किए बिना शादी करने वाले अंतरधार्मिक जो पर मुकदमा चलाने से रोकने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। न्यायालय ने कहा कि हर तरह के धर्मांतरण को अवैध नहीं कहा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश शिवराज सरकार को झटके के तौर पर माना जा रहा है।
फरवरी तक सुनवाई स्थगित(Supreme Court on Dharmantran)
न्यायमूर्ति की पीठ ने मामले में नोटिस जारी किया और मामले सुनवाई सात फरवरी के लिए स्थगित कर दी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की लेकिन शीर्ष अदालत ने कोई निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया।
Also Read – Optical Illusion – इस तस्वीर में छिपा है खूंखार शेर, सिर्फ 1% लोग ही ढूंढ पाए अब तक
वयस्क नागरिकों पर मुकदमा चलाने से रोक(Supreme Court on Dharmantran)
उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में राज्य सरकार को मप्र धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (एमपीएफआरए) की धारा 10 के तहत उन वयस्कों पर मुकदमा नहीं चलाने का निर्देश दिया था जो अपनी मर्जी से शादी करते हैं। प्रदेश उच्च न्यायालय ने नवंबर 2022 में अपने फैसले में, राज्य सरकार को वयस्क नागरिकों पर मुकदमा चला से रोक दिया था, अगर वे अपनी इच्छा से विवाह करते हैं और मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम (एमपीएफआरए), 2021 की धारा 10 का उल्लंघन करते हैं। प्रावधान के अनुसार धर्मांतरण करने का रखने वाले व्यक्तियों और धर्मांतरण करने वाले पुजारी को अपने इरादे के बारे में 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होगा।
Also Read – Betul Crime News – आरोपी रमेश गुलहाने ने एसपी के सामने किया सरेंडर, नाबालिग से दुराचार का लगा है आरोप
उच्च न्यायालय ने 14 नवंबर को कहा था कि धारा 10, जो धर्मांतरण के इच्छुक नागरिक के लिए जिला मजिस्ट्रेट को इस संबंध में (पूर्व) घोषणा पत्र देना अनिवार्य बनाती है, ‘हमारी राय में इस अदालत के पूर्वोक्त निर्णयों की पूर्व दृष्टि से असंवैधानिक है । सएमपीएफआरए गलतबयानी, प्रलोभन, बल प्रयोग की धमकी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, विवाह या किसी अन्य धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण को निषेध करता है।
Explore the ranked best online casinos of 2025. Compare bonuses, game selections, and trustworthiness of top platforms for secure and rewarding gameplayBonus offer.