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 स्वच्छ भारत अभियान के सर्वेक्षण में बैतूल ब्लॉक को भैंसदेही और आठनेर तक ने पछाड़ा…

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सांध्य दैनिक खबरवाणी, बैतूल:- स्वच्छता सर्वेक्षण की रैकिंग में बैतूल शहर की स्थिति जिले के अन्य 9 ब्लॉकों से भी दयनीय है, हालत यह है कि ब्लॉकों ने रैङ्क्षकग के आंकड़ों में बैतूल शहर को भी पीछे छोड़ दिया है। जबकि ब्लॉक लेवल से ज्यादा स्वच्छता अभियान पर बैतूल शहर में अच्छी खासी रकम खर्च की जा रही है। अब नगरपालिका स्वच्छता सर्वेक्षण में रैकिंग सुधारने के लिए नए सिरे से प्लान बनाने की तैयारी की जा रही है।

ट्रेचिंग ग्राउंड पर खड़ा हो या कचरे का पहाड़, यहां निपटान जरूरी:-

शहर के गऊठाना में नगरपालिका द्वारा ट्रेचिंग ग्राउंड पर शहर से जमा किया गया कचरा फेंका जाता है, यहां पर सूखे और गीले कचरे से खाद बनाने का प्रोजेक्ट भी चल रहा है, लेकिन अब तक यहां पर कितना खाद बना या उसका कहां निर्यात किया गया इसकी कोई जानकारी नगरपालिका के पास उपलब्ध नहीं है। सूत्र बताते हैं कि कचरा जमा होते-होते यहां कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया है लेकिन कचरे का निपटान नहीं किया जा रहा है और स्वच्छता रैङ्क्षकग में बैतूल शहर के पिछडऩे का कारण भी यही है। ट्रेचिंग ग्राउंड पर यदि कचरे का निपटान हो जाता और शहर का कचरा उठाने की व्यवस्था ठीक होती तो शायद स्वच्छता रैङ्क्षकग में बैतूल शहर इतनी बुरी तरह नहीं पिछड़ता।

14 से 80वें स्थान पर फिसला बैतूल, कई साल पीछे हुआ:-

स्वच्छता सर्वेक्षण में राज्य स्तर पर नगर की रैंकिंग 14वें से गिरकर 80वें स्थान पर पहुंच गई है। राष्ट्रीय स्तर पर भी बैतूल 54वें से 67वें स्थान पर आ गया है। गार्बेज फ्री सिटी श्रेणी में पिछली बार के तीन स्टार के मुकाबले इस बार एक स्टार मिला है। फरवरी से मई 2024 के बीच हुए इस सर्वेक्षण में कुछ क्षेत्रों में बैतूल का प्रदर्शन शानदार रहा। डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण, आवासीय क्षेत्रों और बाजारों की सफाई, कचरे की प्रोसेसिंग और जलस्रोतों की सफाई में शत-प्रतिशत अंक मिले। पुराने डंपिंग ग्राउंड के निपटान में 81 प्रतिशत सफलता हासिल की। हालांकि, कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में खराब प्रदर्शन ने समग्र रैंकिंग को प्रभावित किया। कचरे के पृथक्करण में 57 प्रतिशत और सार्वजनिक शौचालयों की सफाई में मात्र 17 प्रतिशत अंक मिले। बता दें कि, स्वच्छता सर्वेक्षण के मापदंड अब व्यापक हो गए हैं। इनमें शहर की नालियां, फुटपाथ, चौराहों का सौंदर्यीकरण, हरियाली, सार्वजनिक शौचालय और कचरे का पुनर्चक्रण शामिल हैं। गार्बेज फ्री सिटी की अखिल भारतीय रैंकिंग में बैतूल 950वें स्थान पर है, जो शहर प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता को दर्शाता है।

स्वच्छता के आंकड़ों में भैंसदेही और आठनेर आगे:-

वर्ष 2024 की स्वच्छता रैङ्क्षकग में बैतूल शहर को नशेनल स्तर पर 67 अंक मिले हैं तो वहीं स्टेट लेवल पर 80वां स्थान है। इसी तरह आमला को नेशनल में 87 और स्टेट लेवल पर 124, मुलताई को नेशनल में 142 और स्टेट में 182 वहीं चिचोली नगर परिषद को नेशनल लेवल पर 94 और स्टेट लेवल पर 81 अंक मिले हैं। इधर सारनी नगर पालिका को नेशनल में 81 तो स्टेट में 109 अंक मिले हैं। वहीं भैंसदेही ने इसमें बाजी मारी है, भैंसदेही नगर परिषद को नेशनल स्तर पर 715 अंक तो वहीं स्टेट लेवल पर 360 अंक मिले हैं। यही स्थित आठनेर की भी है आइनेर नेशनल स्तर पर 282 और स्टेट लेवे पर 213वां स्थान हासिल किया है। इधर बैतूल बाजार ने भी ठीक प्रदर्शन करते हुए नेशनल 370 और स्टेट में 273 अंक लिए हैं। आंकड़ों के हाल देखें तो बैतूल यहां बेहद पिछड़ गया है। आंकड़ों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बैतूल शहर में घर-घर से कचरा तो एकत्र किया जा रहा है और इसे ट्रेचिंग ग्राउंड तक भी पहुंचाया जा रहा है, लेकिन ट्रेङ्क्षचंग ग्राउंड से कचरे का निपटान नहीं होने के चलते भी स्वच्छता सर्वेक्षण में बैतूल जिले के अंक बुरी तरह से गिरे हैं।

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