बैतूल:- मध्यप्रदेश की राजनीति में लोकतंत्र और संविधान के साथ जिस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है, वह बेहद निंदनीय और चिंताजनक है। विपक्षी नेताओं की छवि खराब करने, सच्चाई को दबाने और पीड़ितों की आवाज को कुचलने के लिए अब फर्जी एफआईआर जैसे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। अशोकनगर में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। सत्ता में बैठी भाजपा अब हर उस आवाज से डर रही है जो अन्याय के खिलाफ उठती है।
यह बात जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष हेमन्त वागद्रे ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा। उन्होंने बताया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के खिलाफ 26 जून 2025 को अशोकनगर जिले के मुंगावली थाना क्षेत्र में दर्ज की गई एफआईआर भाजपा की सत्ता संरक्षित तानाशाही का शर्मनाक उदाहरण है।
1. पूरा मामला अशोकनगर जिले के मूड़रा बरवाह गांव से जुड़ा है। यहां 10 जून 2025 को गजराज लोधी और रघुराज लोधी नामक दो ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाए कि ग्राम पंचायत सरपंच के पति और उसके सहयोगियों ने उनकी मोटरसाइकिल छीनी उनके साथ मारपीट कर उन्हें मानव मल खाने को मजबूर किया। इस भयावह घटना की शिकायत उसी दिन पीड़ितों ने जनसुनवाई में अशोकनगर कलेक्टर से की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
– भाजपा ने पीड़ितों को न्याय देने के बजाय इस मामले को दबाने की कोशिश की:-
11 जून को अखबार में यह घटना प्रमुखता से छपी, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। इसके बावजूद भाजपा सरकार और प्रशासन ने पीड़ितों को न्याय देने के बजाय इस मामले को दबाने की कोशिश की। 25 जून को पीड़ितों ने ओरछा में कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी से मुलाकात की और उन्हें पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। श्री पटवारी ने तत्काल कलेक्टर से फोन पर बात कर 8 दिन के भीतर कार्रवाई की मांग की। कलेक्टर ने भी बातचीत में यह स्वीकारा कि पीड़ितों ने 10 जून को शिकायत की थी।
श्री पटवारी ने इस बातचीत और पीड़ितों के बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया, जिससे प्रशासनिक निष्क्रियता फिर उजागर हुई। इसके बाद 26 जून को अचानक पीड़ितों ने कलेक्टर को शपथ पत्र सौंपकर अपने बयान से पलट गए और दावा किया कि उन्होंने पटवारी के कहने पर झूठे आरोप लगाए थे। उसी आधार पर उसी दिन मुंगावली पुलिस ने श्री पटवारी के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर लिया।
– यह पूरी कार्रवाई भाजपा की एक घिनौनी साजिश: वागद्रे:-
जिला कांग्रेस अध्यक्ष हेमन्त वागद्रे ने कहा कि यह पूरी कार्रवाई भाजपा की एक घिनौनी साजिश है। पीड़ितों को डराया-धमकाया गया और सत्ता के दबाव में झूठे बयान दिलवाए गए। एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया कि श्री पटवारी ने जातिगत वैमनस्य फैलाने का प्रयास किया। यह एक वरिष्ठ नेता की छवि धूमिल करने का प्रयास भी है।
उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि 10 जून को शिकायत दर्ज होने और 11 जून को अखबार में प्रमुखता से प्रकाशित होने के बावजूद भाजपा सरकार ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? और जब श्री पटवारी ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई, तो उनके खिलाफ ही फर्जी एफआईआर दर्ज कर दी गई?
1. वागद्रे ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब भाजपा सरकार ने विपक्षी नेताओं को दबाने की कोशिश की हो। जीतू पटवारी लगातार दलितों, किसानों और पीड़ितों की आवाज बनकर सरकार की विफलताओं को सामने ला रहे हैं, और भाजपा इसी से डरती है। उन्होंने कहा कि यह एफआईआर सिर्फ श्री पटवारी के खिलाफ नहीं, बल्कि उन सभी नागरिकों के खिलाफ है जो अन्याय के खिलाफ बोलते हैं।
– यह है मांग:-
इस पूरे मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराई जाए।पीड़ितों द्वारा 10 जून और 26 जून को दिए गए दोनों बयानों की सघन जांच की जाए। यह पता लगाया जाए कि पीड़ितों ने बयान क्यों बदला, और उन पर किसका दबाव था। जीतू पटवारी के खिलाफ दर्ज की गई फर्जी एफआईआर तत्काल निरस्त की जाए। मुंगावली पुलिस की भूमिका की जांच हो और सत्ताधारी दल के इशारे पर काम कर रहे अधिकारियों को दंडित किया जाए। पीड़ितों को सुरक्षा और कानूनी सहायता दी जाए ताकि वे बिना डर के सच बोल सकें। जिला कांग्रेस अध्यक्ष हेमन्त वागद्रे ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी अन्याय के खिलाफ संघर्ष करती रहेगी और इस मामले को विधानसभा से लेकर सड़क तक उठाया जाएगा। भाजपा का यह कदम उसकी हताशा, डर और तानाशाही प्रवृत्ति को दर्शाता है, जिसे जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी।
जीतू पटवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर लोकतंत्र की हत्या का प्रयास: हेमन्त वागद्रे

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