Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

सरोकार : बैतूल शहर में भी प्राकृतिक जलस्रोतों को सहेजने के नहीं हो रहे समुचित प्रयास…, नदी-तालाब-झील को सहेजने एनजीटी के सख्त आदेश

By
On:

सांध्य दैनिक खबरवाणी, बैतूल:-
प्रदेश में नदी-तालाब और झीलों के रखरखाव को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्त आदेश जारी किए हैं। ट्रिब्यूनल का कहना है कि संबंधित विभाग इन जल स्रोतों को सहेजने में लापरवाही बरतते हैं जिसके चलते पानी की कमी होती है और पर्यावरण पर भी असर पड़ता है। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक संसाधनों की ट्रस्टी है, इसलिए उसकी जिम्मेदारी है कि इन स्रोतों का रखरखाव एवं सुरक्षा ठीक तरह से हो।
विभिन्न जल स्रोतों के संरक्षण के लिए अलग-अलग विभागों के बीच समन्वय स्थापित करें और इस हेतु मुख्य सचिव समय-समय पर बैठकें करें और पूरा रोड मैप बनाकर समय सीमा के अंदर कार्य को पूर्ण करें। वहीं स्टेट वेटलेण्ड अथॉरिटी सभी जिलों में स्थित वेटलेण्ड की जानकारी मंगाए उनकी वर्तमान जलभराव क्षमता कितनी है, अतिक्रमण तो नहीं है और क्षमता बढ़ाने के लिए क्या उपाए आवश्यक हैं। इस आशय के आदेश जारी किए गए हैं। ट्रिब्यूनल ने हर तीन माह में रिपोर्ट पेश करने के भी आदेश दिए हैं। यह आदेश व्हिसिल ब्लोअर राशिद खान की इंदौर की सिरपुर लेक को लेकर दायर याचिका के संदर्भ में जारी किए गए हैं।
1. ट्रिब्यूनल के आदेश के अनुसार मुख्य सचिव को लोक स्वास्थ्य, सिंचाई, पर्यावरण, नगरीय विकास एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें इस आदेश के पालन के लिए निर्देशित करना है। ट्रिब्यूनल के आदेश के अनुसार जल स्रोतों का न सिर्फ संरक्षण करना है बल्कि उसके आस-पास हुए अवैध निर्माणों को हटाना है एवं इसकी नियमित जांच भी की जानी है।
2. आदेश में केवल प्राकृतिक झील, तालाब एवं नदियां ही बल्कि मानव निर्मित जल स्रोतों के आस-पास भी संरक्षण पर ध्यान देने की बात कही गई है। इंदौर के सिरपुर तालाब में शासन द्वारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जा रहा था जिसको लेकर याचिका दायर की गई थी।
ऐसे हैं बैतूल शहर के हालात
> माचनानदी – बैतूल की लाइफ लाइन मानी जाने वाली माचना नदी लंबे समय से उपेक्षा का शिकार है और वर्तमान में नगर में पानी के बहाव वाले क्षेत्र के लगभग 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में जलकुंभी का कब्जा है और इसके आस-पास बड़ी संख्या में अतिक्रमणकारियों द्वारा अवैध निर्माण भी कर लिया गया है।
> अभिनंदन सरोवर- इस सरोवर पर पिछले कई वर्षों में नगरपालिका ने लाखों रुपए खर्च किए हैं पर जो भी योजनाएं इसके रखरखाव के लिए बनाई गई वह सब लंबे समय नहीं टिक पाई। शासन से जो भी राशि आती उसे सिर्फ खर्च करने के उद्देश्य से काम किया गया। आज अभिनंदन सरोवर के आस-पास बड़ी संख्या में अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया है वहीं सरोवर के सामने पूरे समय वाहन पार्किंग होती है जिससे राहगीरों को अभिनंदन सरोवर के होने का अहसास भी नहीं होता। यदि सरोवर का ठीक से रखरखाव किया जाए तो न सिर्फ सरोवर का जलस्तर बढ़ेगा बल्कि आस-पास के क्षेत्र के ट्यूबवेल भी रिचार्ज होंगे।
> काशी तालाब – नगर के सबसे खूबसूरत तालाब में जितनी गंदगी है उसे देखकर यह अहसास होता है कि नगर पालिका प्रशासन ने इसे भगवान भरोसे छोड़ दिया है। प्रशासन चाहे तो इसकी साफ-सफाई कर इसके चारों तरफ बैठने की व्यवस्था एवं फूलों के पौधे लगाकर यहां सौंदर्यीकरण किया जा सकता है। इस तालाब के पानी से इतनी बदबू आती है कि आस-पास के रहवासी भी परेशान हैं। नगरपालिका प्रशासन द्वारा इसकी साफ-सफाई के साथ ही गहरीकरण करे तो यह नगर का सबसे खूबसूरत स्थान बन सकता है।
> फूटा तालाब – कोठीबाजार में नगरपालिका परिषद के सामने स्थित शहर का सबसे बड़ा तालाब है, जिसे लोग फूटे तालाब के नाम से जानते हैं। इस तालाब के चारों ओर बड़ी संख्या में लोग निवास करते हैं और आलम यह है कि अब यह तालाब किसी भी तरफ से दिखाई नहीं देता है जब तक कि आप तालाब के मुहाने पर न खड़े हों। एक तरफ नगरपालिका द्वारा व्यवसायिक काम्पलेक्स बनाया गया है बाकी तीन तरफ ज्यादातर अतिक्रमण के चलते तालाब दिखाई देना बंद हो गया है। चूंकि तालाब तक पहुंचाना बहुत आसान नहीं है इसलिए मशीनें पहुंचने एवं सफाई अभियान में परेशानी आती है। यदि इस तालाब का ठीक से रख रखाव किया जाए तो कोठीबाजार क्षेत्र के बहुत बड़े हिस्से को पानी की समस्या से निजात मिल सकती है। क्योंंकि तालाब थोड़ी ऊंचाई पर है और इसका जलस्तर बढऩे से आसपास के ट्यूबवेल एवं जलस्रोतों में स्वयं ही रिचार्ज हो सकता है। सामाजिक संस्थाएं समय-समय पर विभिन्न जलस्रोतों की सफाई को लेकर अभियान चलाती हैं पर इन अभियानों से समाज तो जुड़ता है पर जिस स्तर पर इन स्रोतों के रखरखाव के लिए प्रयास की आवश्यकता है वह सिर्फ शासन के द्वारा ही संभव है। वर्षा ऋतु आने को है यदि प्रशासन अब भी संज्ञान ले तो बारिश के पानी को बड़ी मात्रा में संचय किया जा सकता है जो जलस्तर को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा पर प्रशासनिक गतिविधियों से ऐसा लगता नहीं कि प्रशासन इसको लेकर गंभीर है।

For Feedback - feedback@example.com

Related News

Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News