जानिए, मकई की इन किस्मों की विशेषताएं और लाभ
खरीफ काल की प्रमुख फसल के रूप में धान के पीछे मक्का का महत्वपूर्ण स्थान है। मकई की उपयोगिता को देखते हुए कृषि वैज्ञानिक उनकी उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं। नतीजतन, कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी प्रजातियां विकसित की हैं जो उथले पानी के प्रति अधिक संवेदनशील हैं। इन किस्मों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें कीटों और बीमारियों का खतरा कम होता है। जैसे-जैसे खलीफ का मौसम शुरू होने वाला है, वैसे-वैसे साल के इस समय मक्का की बुवाई भी की जा रही है। ऐसे में किसान मक्का की उन्नत किस्मों को चुनकर कम लागत पर अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं। आज ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से हम किसानों को मकई की शीर्ष 9 किस्मों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
पूसा सुपर स्वीट कॉर्न -1 (संकर)
मक्का की पूसा सुपर स्वीट कार्न-1 किस्म को खरीफ सीजन तथा सिंचित क्षेत्र के लिए वर्ष 2018 में अधिसूचित किया गया है। मक्के की यह किस्म 74 से 81 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इस किस्म के मक्के की उपज क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग है। उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र इसकी औसत उपज 98.4 क्विंटल, उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र 97 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र 75.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में 101 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। वहीं इस किस्म के मक्का की संभावित उपज 126.6 क्विंटल उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र, 118.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र, 105.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र और 111.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्रायद्वीपीय क्षेत्र के लिए है। इस किस्म के मक्के की खेती उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों- जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, (पहाड़ियों) और उत्तर पूर्वी राज्य, उत्तर पश्चिम मैदानी क्षेत्र-पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड (मैदानी क्षेत्र) और पश्चिम उत्तर प्रदेश, उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र बिहार, झारखंड, ओडिशा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, और पश्चिम बंगाल तथा प्रायद्वीपीय क्षेत्र के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु के लिए अनुमोदित की गई है।
2. पूसा सुपर स्वीट कॉर्न-2
मक्का की यह किस्म को खरीफ सिंचित क्षत्रों हेतु विकसित की गई है। इसकी खेती उत्तर और दक्षिण भारत में की जा सकती है। यह किस्म 77 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की उत्पादन क्षमता औसतन 95 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि संभावित उपज 102 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। मक्के की इस किस्म का उपयोग हरे चारे तथा हरे भुट्टे के लिए किया जाता है। औसत हरा भुट्टा उपज 128 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। जबकि हरे चारे के रूप में 183 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इसकी उपज मिल सकती है। मक्के की इस किस्म को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडू, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के लिए अनुमोदित किया गया है।
3. पूसा विवेक क्यू पी एम 9 इम्प्रूव्ड (संकर)
वर्ष 2017 में पूसा के द्वारा विकसित की गई पूसा विवेक क्यू पी एम 9 इम्प्रूव्ड मक्का की यह किस्म खरीफ तथा सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। इस किस्म को उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र तथा प्रायद्वीपीय क्षेत्र के लिए विकसित किया गया है। उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में 93 दिन में तथा प्रायद्वीपीय क्षेत्र के लिए 83 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। पूसा विवेक औसत उत्पादन उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में 55.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा प्रायद्वीपीय क्षेत्र में 59.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। वहीं इस किस्म का संभावित उत्पादन उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में 93 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा प्रायद्वीपीय क्षेत्र में 79.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। मक्का की इस किस्म को उत्तरी पहाड़ी तथा प्रायद्वीपीय क्षेत्रों के लिए अनुमोदित किया गया है। उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड (पहाडिय़ों) और उत्तर पूर्वी राज्य के लिए अनुकूल है। इसी प्रकार प्रायद्वीपीय क्षेत्र के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तामिलनाडू राज्यों के लिए उपयुक्त है।
पूसा एच एम 4 इम्प्रूव्ड (संकर)
मक्का की पूसा एच एम 4 इम्प्रूव्ड किस्म को खरीफ तथा सिंचित क्षेत्रों के लिए वर्ष 2017 में अधिसूचित किया गया है। मक्का की यह किस्म मैदानी क्षेत्रों के लिए अनुकूल है जो 87 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म प्रोटीन से भरपूर है। मक्के की इस किस्म का उत्पादन 64.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि संभावित उपज 85.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। मक्के की इस किस्म को उत्तर-पश्चिम मैदानी क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में की जा सकती है।
5. पूसा एच एम 8 इम्प्रूव्ड (संकर)
मक्का की इस किस्म को खरीफ सिंचित क्षेत्रों के लिए वर्ष 2017 में अधिसूचित किया गया है। यह किस्म 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। मक्के की इस किस्म को आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र के लिए अनुमोदित किया गया है। मक्का की यह किस्म भी प्रोटीन से भरपूर है। पूसा एच एम 8 इम्प्रूव्ड किस्म का औसत उत्पादन 62.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा संभावित उपज 92.6 क्विंटल दर्ज की गई है।
6. पूसा एच एम 9 इम्प्रूव्ड (संकर)
मक्का की पूसा एचएम 9 इम्प्रूव्ड किस्म को खरीफ सीजन के लिए तथा सिंचित क्षेत्रों के लिए वर्ष 2017 में अधिसूचित किया गया है। इसकी खेती उत्तर पूर्वी मैदानी भागों में की जा सकती है। यह किस्म 89 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म प्रोटीन युक्त है। इस किस्म का औसतन उत्पादन 52 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि संभावित उपज 74.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। मक्के की इस किस्म को बिहार, झारखंड, ओडि़शा, पश्चिम बंगाल तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश राज्यों के लिए अनुमोदित किया गया है।
पूसा जवाहर हाइब्रिड मक्का-1 (संकर)
मक्का की इस किस्म को वर्ष 2019 में अधिसूचित किया गया है, जिसे खरीफ सीजन तथा सिंचित क्षेत्र के लिए विकसित किया गया है। यह किस्म 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। साथ ही साथ यह प्रोटीन युक्तमक्के की प्रजाति है। मक्के की इस किस्म का औसत उत्पादन 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि संभावित उपज 103 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। मक्के की यह किस्म मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त है।
8. पूसा विवेक हाइब्रिड 27 इम्प्रूव्ड (संकर)
मक्का इस किस्म को वर्ष 2020 में खरीफ सीजन तथा सिंचित क्षेत्र के लिए विकसित किया गया है। यह किस्म 84 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसमें प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है। इस किस्म से मक्का की उपज औसतन 48.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि संभावित उपज 54.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है। इसकी खेती बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में की जा सकती है।
9. पूसा एच क्यू पी एम 5 इम्प्रूव्ड
मक्का की इस किस्म को वर्ष 2020 को खरीफ सीजन तथा सिंचित क्षेत्र के लिए अधिसूचित किया गया है। इसकी उपज 88 से 111 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र, उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र, मध्य क्षेत्र तथा प्रायद्वीपीय क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। पूसा एच क्यू पी एम 5 इम्प्रूव्ड से पैदावार उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र- 72.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसत उपज है। वहीं 104.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर संभावित उपज है। उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र- 75.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसत उपज है। इसकी 84.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर संभावित उपज है। उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र- 53.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसत उपज है। वहीं 57.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर संभावित उपज है। प्रायद्वीपीय क्षेत्र- 71.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसत उपज है। वहीं 91.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सम्भावित उपज है। मध्य क्षेत्र – 51.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसत उपज है। इसकी 60.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर संभावित उपज है।