बिना सब्सिडी के यूरिया और डीएपी की कीमतें छू जाएंगी आसमान, जानिए रेट। जैसा कि आप जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहां अधिकांश लोग कृषि से जुड़े कार्य करते हैं। ऐसे में फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए खेतों में कीटनाशक खादों का छिड़काव किया जाता है, जिसमें यूरिया और डीएपी मुख्य होते हैं।
आपको बता दें कि सरकार इन दोनों पर सब्सिडी देती है, जिससे इनकी कीमतों में कमी आती है। अगर बिना सब्सिडी खरीदा जाए तो इनकी कीमतें बाजार में काफी ज्यादा होती हैं, जिससे कई बार किसानों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस लेख में हम आपको पूरी जानकारी देंगे कि अगर इन पर सरकार सब्सिडी नहीं देती तो इनकी कीमत कितनी होगी।
सरकार देती है 70 प्रतिशत तक की सब्सिडी
देश में रासायनिक उर्वरकों पर 70% तक की सब्सिडी दी जाती है ताकि किसान सस्ते में यूरिया और अन्य जरूरी उर्वरक खरीद सकें। लेकिन किसानों में जानकारी के अभाव के कारण कई निजी दुकानदार सरकार द्वारा तय दर से अधिक कीमत पर उर्वरक बेचते हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए हम आपको बताना चाहेंगे कि सभी किसान भाई सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी वाली दर पर ही उर्वरक खरीदें।
सरकार द्वारा सब्सिडी पर यूरिया और डीएपी की कीमतें कितनी हैं?
आपकी जानकारी के लिए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हर साल सरकार किसानों को उर्वरकों पर हजारों करोड़ रुपये की सब्सिडी देती है ताकि उन्हें सस्ते में रासायनिक उर्वरक मिल सकें। उन्होंने कहा कि 45 किलोग्राम की एक बोरी यूरिया पर 2100 रुपये की सब्सिडी दी जाती है, जिससे यूरिया की एक बोरी 266 रुपये में उपलब्ध होती है।
अगर सरकार सब्सिडी हटा देती है, तो एक बोरी यूरिया खरीदने के लिए 2366 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। डीएपी पर सरकार 1083 रुपये की सब्सिडी देती है, जिससे डीएपी की एक बोरी 1350 रुपये में मिलती है। बिना सब्सिडी के डीएपी की एक बोरी की कीमत 2433 रुपये होगी।
सब्सिडी न मिलने का कृषि पर प्रभाव
अगर सरकार यूरिया और डीएपी पर दी जाने वाली सब्सिडी हटा देती है, तो इसका भारतीय कृषि और किसानों पर कई गंभीर प्रभाव हो सकते हैं:
कृषि लागत में बढ़ोतरी: बिना सब्सिडी के उर्वरकों की कीमतों में भारी वृद्धि होने से किसानों की उत्पादन लागत भी काफी बढ़ जाएगी। इससे खेती करना कई किसानों के लिए घाटे का सौदा बन सकता है और वे खेती छोड़ने पर मजबूर हो सकते हैं।
फसल उत्पादन में कमी: फसलों के पोषण और अच्छी पैदावार के लिए उर्वरक जरूरी होते हैं। अगर किसान महंगे दामों पर उर्वरक नहीं खरीद पाते हैं, तो वे कम उर्वरक का इस्तेमाल करेंगे, जिससे फसल उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा। कम उत्पादन के कारण देश की खाद्य सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।
किसानों की आय पर असर: ऊंची लागत के कारण किसानों की आय पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पहले से ही सीमित संसाधनों और कठिनाइयों का सामना कर रहे किसान अपनी आय में गिरावट देख सकते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो सकती है।