इस गांव में खेलते है बच्चे जहरीले सांप के साथ डसने के बाद इनको जहर का नहीं होता है कोई असर जाने इसका असली राज़।

By
On:
Follow Us

इस गांव में खेलते है बच्चे जहरीले सांप के साथ डसने के बाद इनको जहर का नहीं होता है कोई असर जाने इसका असली राज़। आपने अभी तक सुना होगा की सांप के साथ लोग खेलते भी है आज आपको यह अपनी आँखों से देखने को मिलेगा जिसे देख आपके उड़ जायेंगे होश जी हा ऐसा होता है यह के लोग और बच्चे यूपी के जौनपुर में एक ऐसा गांव भी है जहां बच्चे जहरीले सांपों के साथ खिलौनों की तरह खेलते हैं. सांप यहां इंसानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाते. आइये जानते हैं इस गांव का नाम और इससे जुड़ी प्रचलित मान्यताएं

इस गांव में खेलते है बच्चे जहरीले सांप के साथ

सांप का नाम सुनते ही जहां लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक ऐसा गांव है जहां चीतर जैसा खतरनाक सांप लोगों के लिए किसी खिलौने से कम नहीं है. इतना ही नहीं साप के डसने का भी यहां के लोगों पर कोई असर नहीं होता. इस गांव के बच्चे गले में सांप को ऐसे लटका कर चलते हैं मानो कोई रस्सी हो. यह सुनकर आप भी हैरान हो गए होंगे. यह गांव जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर नगर पंचायत खेतासराय में है. इसका नाम सोंगर है.

चीतर, सांप और सोंगर के बीच एक अद्वितीय संबंध है।

इस गांव में हर घर के बच्चे चीतर सांप से खेलते हैं. दावा किया जाता है कि गांववालों को चीतर के काटने का कोई असर नहीं होता. इतना ही नहीं अगर किसी दूसरे गांव के किसी व्यक्ति को सांप डस ले तो सोंगर की सरहद में दाखिल होते ही उसके शरीर में फैला जहर बेअसर हो जाता है. वह पूरी तरह से ठीक हो जाता है. चीतर के साथ खेल रहे बच्चों का कहना है कि उन्हें साप से डर नहीं लगता. यहां सभी सांप से खेलते हैं. उन्हें इसमें मजा आता है. बच्चों ने बताया कि खेलते समय सांप उन्हें नहीं काटते हैं. वहीं, आस-पास के गांव वाले सोंगर के बच्चों और चीतर सांप का ये अनोखा रिश्ता देख हैरान हो जाते हैं.

यह भी पढ़े: Bache Ka Jugaad – 6वीं कक्षा के इस बच्चे ने लकड़ी उठाने के लिए लगाया गजब का जुगाड़, देखे तस्वीर

चीतर ने एक सांप को एक शाप दिया था।

गांव वालों के मुताबिक, 600 साल पहले शर्की राजवंश के दौरान वर्ष 1422 में नेत्रहीन सूफी संत हजरत कुतुबुद्दीन इस रास्ते से गुजर रहे थे. उनके साथ उस्ताद हजरत नजमुद्दीन भी थे. हजरत कुतुबुद्दीन के उस्ताद ने उन्हें यहीं रहने को कहा था. एक दिन चीतर प्रजाति का सांप हजरत कुतुबुद्दीन के पैरों के नीचे पड़ गया. सर्प ने उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, तो उन्होंने सर्प को इस गांव में केंचुए जैसा स्वभाव का होने का श्राप दे दिया. तभी से चीतर सांप इस गांव में प्रभावहीन हो गया.

इस गांव में खेलते है बच्चे जहरीले सांप के साथ डसने के बाद इनको जहर का नहीं होता है कोई असर जाने इसका असली राज़।

गांव वालों का कहना है कि चीतर सांप का डसा व्यक्ति बेहोशी की हालत में सोंगर गांव की सीमा में पहुंचते ही पूरी तरह होश में आ जाता है. यही कारण है कि कई बार देर रात में भी दूसरे गांवों के लोग पीड़ित को यहां लेकर आते हैं. स्थानीय निवासियों के मुताबिक, जून से सितंबर तक पीड़ितों की संख्या अधिक रहती है. लोग अपने परिजनों को यहां ठीक करने के लिए ले आते हैं.

Related News