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बैतूल:- पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता: मोदी

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सांध्य दैनिक खबरवाणी, बैतूल:- 
खबरवाणी विशेष
मोहित गर्ग
2016 में जब कश्मीर के उरी में सीआईएसएफ के कैंप पर आतंकवादी हमला हुआ था जिसमें हमारे देश के वीर जवान शहीद हुए थे और पूरे देश में शोक की लहर और पाकिस्तान को लेकर भारी गुस्सा था। तब प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में एक बयान दिया था ‘पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता’ तब लोगों को ना तो इस बयान का मतलब समझ में आया और ना ही लोगों ने इस पर तवज्जो दी। अब आपको इस बयान के मायने समझाने और समझने का समय आ गया है।
1. पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सबसे पहले यह फैसला लिया गया कि भारत सरकार सिंधु जल समझौते हुए तुरंत प्रभाव से स्थगित करती है। सिंधु जल समझौते के अंतर्गत 6 नदियों के पानी बंटवारे का मामला है। जिसमें पूर्व में बह रही रावी, व्यास और सतलुज नदी भारत में स्थित है और वहीं पश्चिम में बहने वाली झेलम, चिनार एवं सिंध नदी पाकिस्तान में है। सिंधु जल समझौते के स्थगन का मतलब है कि भारत अपने देश में बह रही नदियों के पानी को पाकिस्तान नहीं जाने देगा। इस पर विपक्ष सहित कई जानकारों ने यह भी कहा कि कोई पाइप में बह रहा पानी थोड़ी है जो आपने नल बंद कर दिया तो पानी बहना बंद हो जाएगा। अब इसके पीछे की कहानी सुनिये 2016 उरी हमले के बाद मोदी ने झेलम नदी पर किसनगंगा पॉवर प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू करवाया, जिसमें 23 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई गई है। जिससे पानी की दिशा को पूरी तरह से मोड़ा जा सकता है, यह प्रोजेक्ट 2018 में पूर्ण हो चुका है। वहीं झेलम में तुलबुल नेवीगेशन प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू कर पूरा कर लिया गया है जिससे झेलम नदी के पानी के बहाव को कम या ज्यादा किया जा सकता है। वहीं रावी नदी पर शाहपुर कुंडी डेम 2018 से बन रहा है इसके बन जाने से जो अतिरिक्त पानी पाकिस्तान चला जाता था वह रुक जाएगा। इसका लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। वहीं पंजाब के तरण तारण स्थित डेम के 31 गेटों को बंद कर दिया गया है जिससे वहां से जाने वाला पानी अब पाकिस्तान नहीं जा रहा है। इसके अलावा तीन और बड़े प्राजेक्ट लगभग पूर्णता की ओर हैं जो पाकिस्तान को पानी की बूंद के लिए तरसा देंगे। पानी रोकने से पाकिस्तान पर क्या प्रभाव होगा वह आपको बताता हूं। इन 6 नदियों से मिलने वाले पानी से पाकिस्तान का 80 प्रतिशत कृषि उत्पादन होता है जो कि पाकिस्तान की जीडीपी में 25 प्रतिशत हिस्सा रखता है। इससे अंदाज लगा सकते हैं कि पाकिस्तान की जीडीपी सिर्फ इस पानी के रुकने से 25 प्रतिशत कम हो जाएगी। जिसे स्थानीय भाषा में कहते हैं गरीबी में गीला आंटा। इस समझौते के तहत भारत को प्रति सप्ताह पाकिस्तान को बताना होता था कि भारत प्रतिदिन कितना पानी पाकिस्तान की तरफ छोड़ता है, जिससे पाकिस्तान अपनी पानी की आवश्यकताओं को नियंत्रित करता था, इस संधि के स्थगन से अब भारत पर यह जानकारी देने का कोई दबाव नहीं है। अर्थात अब पाकिस्तान को बुवाई सीजन में कब और कितना पानी मिलेगा या नहीं मिलेगा इसकी जानकारी नहीं होगी। वहीं पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांत में नदी के पानी के बंटवारे को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है, इस संधि के स्थगन से वह विवाद और गहरा गया है। ज्ञात हो कि पाकिस्तान की सियासत में पंजाब का हमेशा बोलबाला रहा है और वर्तमान प्रधानमंत्री भी पंजाब से आते हैं। यदि तकनीकी भाषा में बात करें तो भारत पाकिस्तान युद्ध सिंधु जल संधि के स्थगन के साथ ही शुरू हो गया है और विपक्ष इस बात को ना समझकर सिर्फ सामरिक कार्रवाई की वकालत कर रहा है। हालांकि यह तो सिर्फ शुरूआत है, मोदी की शतरंज को समझना पाकिस्तान और हिंदुस्तान के विपक्ष के बस की बात नहीं है।

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