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Political News – धरमूसिंह की टिकट के आड़े क्यों आ रहे कांग्रेसी?

रिकार्ड बनाने वाले विधायक के खिलाफ चल रहा षडय़ंत्र

Political Newsबैतूल मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते ओपन नहीं किए है। कांगे्रस के दिग्गज नेता यह अवश्य कह रहे हैं कि उनके उम्मीदवार तय है और कभी भी इसकी घोषणा हो सकती है।

वहीं आज यह बताया गया कि संभवत: 14 अक्टूबर को पितृमोक्ष अमावस्या के बाद सूची जारी होगी। लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कांग्रेस का प्रदेश में चुनाव को लेकर जयस, गोंगपा और अन्य छोटे-छोटे दलों से गठबंधन हुआ है या नहीं? वहीं बैतूल की भैंसदेही सीट से दो बार के विधायक धरमूसिंह सिरसाम की टिकट काटने के लिए कांग्रेसी ही आड़े क्यों आ रहे हैं। इसको लेकर राजनैतिक हल्कों में अलग-अलग तरह की चर्चा है।

पहले हरी झंडी फिर षडय़ंत्र | Political News

कुछ दिनों पहले भोपाल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से धरमूसिंह के समर्थन में एक प्रतिनिधि मंडल मिला था। वहां कमलनाथ ने सार्वजनिक रूप से धरमूसिंह की तारीफ करते हुए प्रतिनिधि मंडल को कहा था कि इससे सीधा विधायक दूसरा नहीं मिलेगा। मैं आप लोगों पर भरोसा कर लूं लेकिन भरोसा टूटने मत देना। इन शब्दों को सीधे तौर पर यह माना गया कि धरमूसिंह की टिकट के लिए हरी झंडी हो गई है।

अब सवाल इस बात का है कि जब कमलनाथ ने हरी झंडी दे दी तो जिले के कौन कांग्रेस नेता है जो धरमूसिंह की टिकट कटवाने के लिए जयस की आड़ ले रहे हैं। चर्चा यह भी है कि पहले जिला पंचायत सदस्य रामचरण इड़पाचे को भोपाल ले गए थे लेकिन उन्हें दो टूक जवाब दिया गया कि धरमूसिंह को ही जिताना है। अब फिर यह चर्चा हो रही है कि जयस के जिलाध्यक्ष संदीप धुर्वे को जयस से गठबंधन के बहाने इस सीट से कांग्रेस से टिकट दिलाने के प्रयास हो रहे हैं।

कांग्रेस की टिकट पर दो जीत का रिकार्ड

भैंसदेही विधानसभा सीट पर 1957 से विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। जिनमें अधिकांश बार जनसंघ (अब भाजपा) के उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे हैं। इन 66 वर्षों में कांग्रेस की टिकट पर दो बार चुनाव जीतने का रिकार्ड सिर्फ वर्तमान विधायक धरमूसिंह के नाम है।

धरमूसिंह 2008 में पहली बार चुनाव जीते। उसके बाद पुन: 2018 में विधायक बनने का अवसर मिला। धरमूसिंह को लगातार तीन बार इस सीट से कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है। उनके अलावा गंजन सिंह एक मात्र ऐसे उम्मीदवार रहे हैं जो 1990 में कांग्रेस की टिकट पर हारे, 1993 में जीते लेकिन 1998 में फिर चुनाव हार गए।

धरमूसिंह के तीसरी बार जीतने से होगी परेशानी | Political News

जिले के राजनैतिक हल्को में यह चर्चा आम हो गई है कि धरमूसिंह को चौथी बार टिकट मिलने पर यदि वे चुनाव जीत जाते हैं और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो तीसरी बार के आदिवासी विधायक के रूप में उन्हें प्रदेश के कांग्रेस मंत्रीमंडल में स्थान मिलने की बड़ी संभावना है जो कि जिले के कई कांग्रेसियों को अभी से नहीं पच रही है इसलिए जिले के राजनैतिक इतिहास में रिकार्ड मतों से कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव हारने वाले रामू टेकाम को भी धरमूसिंह के स्थान पर भैंसदेही विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाए जाने के लिए कांग्रेस का एक गुट सक्रिय हो गया है ताकि धरमूसिंह को किसी भी हालत में टिकट मिलने से रोका जा सके।

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