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मोहम्मद यूनुस की सरकार पर तानाशाही का आरोप, अगले 3 दिन तक हजारों लोगों को भुगतना पड़ेगा कष्ट

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बांग्लादेश में अगले तीन दिन अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के लिए मुश्किल भरे रहने वाले हैं। दरअसल, बांग्लादेश में गुरुवार से तीन दिवसीय राजनीतिक संग्राम शुरू हो गया है। राजधानी ढाका की सड़कों पर हजारों लोग प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। एक तरफ विपक्षी दल सत्ता में आने की उम्मीद में रैलियां कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ यूनुस सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और मौजूदा कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की सरकार पर तानाशाही का आरोप लग रहा है। 84 वर्षीय यूनुस ने पिछले साल उस समय सत्ता संभाली थी, जब जनता ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के महल पर हमला किया था और वह देश छोड़कर भारत चली गई थीं। यूनुस ने वादा किया था कि देश में दिसंबर 2025 तक चुनाव करा लिए जाएंगे, लेकिन अभी तक कोई ठोस तारीख सामने नहीं आई है। 

मजदूर दिवस पर दिखेगी बीएनपी की ताकत

सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने गुरुवार को मजदूर दिवस के मौके पर एक विशाल रैली की तैयारी की है। पार्टी का दावा है कि यह हाल के वर्षों की सबसे बड़ी रैली होगी। बीएनपी के मीडिया अधिकारी शैरुल कबीर खान ने कहा, "यह रैली सत्ता परिवर्तन की दिशा तय करेगी।"

पुराने सहयोगी और नई युवा पार्टी भी मैदान में

जमात-ए-इस्लामी और जातीय पार्टी भी सड़कों पर उतरने जा रही है। जातीय पार्टी, जो कभी शेख हसीना के साथ मानी जाती थी, अब विपक्ष में है। पिछले साल अक्टूबर में पार्टी के कार्यालयों पर भी हमला हुआ था, जिसमें सरकार पर आरोप लग रहे हैं। हसीना सरकार के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्रों द्वारा गठित नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) शुक्रवार को रैली करेगी। पार्टी नेता नाहिद इस्लाम ने इससे पहले यूनुस सरकार में शामिल होने के बाद इस्तीफा दे दिया था।

इस्लामिक संगठन ने दी चेतावनी

एनसीपी नेता अरिफुल इस्लाम अदीब ने कहा है कि यह शक्ति प्रदर्शन नहीं, बल्कि जनसंवाद का जरिया है, लेकिन हमें 30 हजार लोगों के आने की उम्मीद है। शनिवार को हिफाजत-ए-इस्लाम नाम का एक इस्लामिक संगठन भी ढाका में एक "भव्य रैली" करेगा। संगठन के नेता मामुनुल हक ने कहा है कि सरकार को हमारी कुर्बानियों की याद दिलाने का समय आ गया है। उन्होंने महिला अधिकार आयोग की सिफारिशों को रद्द करने की मांग की और कहा कि चाहे यूनुस हो या कोई और, हम चुप नहीं बैठेंगे।

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