Magarmach Ke Aansu – भारत में अब आपस में वाद संवाद होता है तो अक्सर कई मुहावरों और कहावतों का इस्तमाल किया जाता है अब ये इसीलिए होता है की किसी भी बड़ी बात को चंद शब्दों में समझा या समझाया जा सके। आपने अब तक कई मुहावरे तो कई कहावतें सुनी होगी, इन सभी का प्रैक्टिकल होना तो मुश्किल है लेकिन कुछ को साक्षात्कार किया जा सकता है।
अब हम बात करते हैं कई मशहूर कहावतों में से एक कहावत के बारे में जो की है मगरमच्छ के आंसू बहाना। अक्सर ये कहावत झूठे आंसुओं के लिए इस्तमाल की जाती है लेकिन ऐसा आखिर क्यों होता है की झूठे आंसुओं के लिए सिर्फ मगरमच्छ और घड़ियाल को ही इस्तमाल किया जाता है। आइए जानते है इस कहावत के पीछे की साइंटिफिक वजह।
मशहूर हैं घड़ियाल मगरमच्छ के आंसू | Magarmach Ke Aansu
ऐसे तो चाहे इंसान हो या जानवर दुखी होने पर आंखों से आंसू छलकाता है, लेकिन मगरमच्छ और घड़ियाल के आंसू कुछ ज्यादा ही मशहूर हैं. धरती पर रहने वाली हर प्राणी की आंखों से दुख में आंसू छलकते हैं, लेकिन मगरमच्छ और घड़ियाल के आंसू कुछ ज्यादा ही मशहूर हैं. आज अगर ‘घड़ियाली आंसू’ की मिसाल दी जाती है, तो इसके पीछे की खास वजह भी जान लीजिए.
मगरमच्छ के आंसू के पीछे की वजह | Magarmach Ke Aansu
वैज्ञानिकों ने इंसान से लेकर जानवरों के आंसुओं पर रिसर्च किया, तो उन्हें पता चला कि सभी के आंसुओं में एक जैसे कैमिकल ही होते हैं और ये टियर डक्ट से बाहर आते हैं. एक खास ग्लैंड से आंसू निकलते हैं और इनमें मिनरल्स और प्रोटीन होते हैं. अब बात मगरमच्छ या घड़ियाल के आंसू की, साल 2006 में न्यूरोलॉजिस्ट D Malcolm Shaner और ज़ूलॉजिस्ट Kent A Vliet ने अमेरिकन घड़ियालों पर रिसर्च की |
उन्हें पानी से दूर रखकर सूखी जगह पर खाने के लिए कुछ दिया गया. जब उन्होंने खाना शुरू किया तो उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे. इनकी आंखों से बुलबुले और आंसू की धार निकल पड़ी. बायो साइंस में इस स्टडी का नतीजा ये निकाला गया कि इनकी आंखों के आंसू किसी दुख का परिणाम नहीं हैं, बल्कि ये खाते वक्त आंसू बहाते ही हैं.
मगरमच्छ और घड़ियाल में होता है अंतर | Magarmach Ke Aansu
शरीरिक तौर पर घड़ियाल और मगरमच्छ के बीच थोड़ा अंतर होता है. घड़ियाल का मुंह आगे से थोड़ी गोलाई लिए होता है और यू जैसा लगता है. वहीं मगरमच्छ के मुंह का आकार शार्प यानि वी की तरह होता है. हालांकि खाते वक्त आंसू दोनों ही बहाते हैं. इनके आंसू तो मक्खियां पीती हैं क्योंकि ये मिनरल्स और प्रोटीन से भरे होते हैं. मज़ेदार बात ये है कि उनके आंसू हमेशा ही झूठे नहीं होते हैं, दर्द और दुख में भी ये दोनों प्राणी आंसू बहाते हैं, लेकिन बदनाम तो हो ही चुके हैं.