विपक्षी दलों के गठबंधन में रोज आ रहे नए पेंच सामने
Loksabha Election – बैतूल – 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ ही लोकसभा चुनाव का आगाज होना भी तय माना जा रहा है। क्योंकि लगभग 500 वर्षों के बाद श्रीरामलला पुन: अपने घर में विराजित होंगे। पिछले एक शताब्दी के दौरान सनातन धर्म का यह सबसे बड़ा आयोजन माना जा रहा है। इसीलिए एक तरफ भाजपा इसे अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मान रही है वहीं विपक्षी गठबंधन इस प्राण प्रतिष्ठा से दूरी बनाए रखने का प्रयास कर रहा है जिसका नुकसान होना भी तय माना जा रहा है।
राजनैतिक समीक्षकों का मानना है कि श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही आने वाले लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दोनों के लिए ही यह प्रमुख मुद्दा बन सकता है। जहां सत्तारूढ़ दल इसे सनातन धर्म की बड़ी जीत मान रहा है वहीं विपक्षी दल आलोचना के स्वर में महंगाई और बेरोजगारी को मुद्दा बनाने का प्रयास करेगा।
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भाजपा की तैयारी तेज
हालांकि लोकसभा चुनाव को अभी समय है लेकिन भाजपा की जो तैयारियां हो रही हैं उससे ऐसा प्रतीत होता है कि आज ही चुनाव होने हैं। चुनाव को लेकर कॉल सेंटर, बैठकें, लक्ष्य, हाईटेक प्रचार-प्रसार एवं सोशल मीडिया मार्केटिंग की भी स्टे्रटजी बन गई है। यहां तक की विधानसभा चुनाव के बाद फिर एक बार भाजपा संगठन बूथ और पन्ना प्रभारियों तक पहुंचने की तैयारियां कर रहा है। अलग-अलग मोर्चा संगठनों की बैठकें शुरू हो गई हैं।
चुनाव हारने के बाद कांग्रेस संगठन मौन | Loksabha Election
विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश कांग्रेस में नए युग की शुरूवात करते हुए पुराने छत्रपों को दरकिनार करते हुए नई पीढ़ी को नेतृत्व सौंपा है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस संगठन अभी प्रदेश कार्यकारिणी के गठन में ही उलझकर रह गया है। वहीं कई जिला संगठनों पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों द्वारा भीतरघात की शिकायत की गई है जिस पर लोकसभा चुनाव को दृष्टि गत रखते हुए कोई कार्यवाही होना संभव नहीं दिखाई दे रही है। विधानसभा चुनाव हारने के बाद लगभग सभी जिलों में कांग्रेस संगठन कौमा में दिखाई दे रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर दिखाई दे रहे मतभेद
विपक्षी दलों ने नरेंद्र मोदी से लडऩे के लिए इंडी गठबंधन तो बना लिया लेकिन इस गठबंधन में रोज नई-नई गांठे दिखाई दे रही है। कभी मल्लिकार्जुन खडग़े को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताया जाता है तो संगठन में से आवाज उठती है कि नितिश कुमार सबसे लोकप्रिय है। वहीं ममता बेनर्जी और अरविंद केजरीवाल भी इस दौड़ में दिखाई दे रहे हैं। इस बीच राहुल गांधी का कोई नाम ही नहीं ले रहा है। इसलिए राहुल गांधी भारत जोड़ों यात्रा के बाद अब भारत न्याय यात्रा की तैयारी कर रहे हैं। कई राज्यों में जहां विपक्षी गठबंधन के दल विधानसभा चुनाव में आमने-सामने लड़ते रहे हैं वहां लोकसभा चुनाव में समझौता उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने के लिए किसी भी तरह के गठजोड़ की संभावना से राजनैतिक समीक्षक इंकार कर रहे हैं।
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