Heart attack: नाना देशमुख वेटनरी यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति गोविंद प्रसाद मिश्रा, सेवानिवृत्त आईएएफ अधिकारी आरपी श्रीवास्तव और अन्य चार व्यक्तियों द्वारा दायर की गई याचिका में बताया गया है कि शादियों और धार्मिक आयोजनों में डीजे का अत्यधिक तेज आवाज में बजना गंभीर ध्वनि प्रदूषण का कारण बन रहा है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप की मांग की है।
ध्वनि प्रदूषण और उसके प्रभाव
मानव शरीर 75 डेसिबल तक की आवाज की तीव्रता सहन कर सकता है, लेकिन डीजे की आवाज अक्सर 100 डेसिबल से भी अधिक होती है, जो ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आती है। तेज आवाज के कारण लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि हार्ट अटैक और ब्लड प्रेशर बढ़ना। इसके अलावा, लगातार तेज आवाज में डीजे बजने से लोग बहरेपन की समस्या से भी जूझ रहे हैं।
अवैध पार्किंग और यातायात की समस्या
याचिका में शहर की माडल रोड पर अवैध पार्किंग का मामला भी उठाया गया है। माडल रोड को शहर की आदर्श सड़क बनाने के उद्देश्य से बनाया गया था, लेकिन अब यह सड़क टैक्सी और ऑटो के लिए अवैध पार्किंग स्थल बन गई है। इसके अलावा, इस क्षेत्र में दवा बाजार की लगभग 60 दुकानों के बावजूद पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण ग्राहक और कर्मचारी सड़क पर ही अपने वाहन पार्क करते हैं।
कानूनी स्थिति
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आदित्य संघी ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से ध्वनि प्रदूषण और अवैध पार्किंग की गंभीर समस्याओं को उजागर किया। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी ध्वनि प्रदूषण को मानव जीवन के लिए गंभीर खतरा माना है, जिसका विपरीत प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ता है। युगलपीठ ने इस मुद्दे पर ध्यान देते हुए केंद्र सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, निगमायुक्त और यातायात पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
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