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शहडोल में खूब धमा-चौकड़ी मचा रहे गजराज, हाथियों को क्यों पसंद आया स्वर्ग जैसा इलाका?

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शहडोल : मध्य प्रदेश के शहडोल संभाग में हाथियों का बसेरा अब कोई नई बात नहीं रह गई. एक समय था जब यहां हाथियों की संख्या न के बराबर थी, लेकिन अब यह संभाग धीरे-धीरे हाथियों का पसंदीदा ठिकाना बनता जा रहा है. कुछ साल पहले छत्तीसगढ़ से अनूपपुर, शहडोल और उमरिया में भारी संख्या में हाथियों का आगमन हुआ, तब काफी हलचल मची थी, हाथियों ने भी खूब उत्पात मचाया था. लेकिन फिर उन्हें बांघवगढ़ का जंगल और उसके आसपास का एरिया इतना रास आ गया कि उन्होंने यहां अपना परमानेंट ठिकाना बना लिया. अब धीरे-धीरे उनकी संख्या भी बढ़ रही है.

ब्यौहारी में 19 हाथियों के झुंड का ठिकाना
आजकल शहडोल के ब्यौहारी में हाथियों का एक ग्रुप देखा जा रहा है, उनकी हरकतों से मालूम होता है कि उन्होंने यहां अपना ठिकाना बना लिया है. वन विभाग भी इनको लेकर चौकन्ना हो गया है और लगातार उनपर निगाह बनाए हुए है. उत्तर वन मंडल की डीएफओ तरुणा वर्मा बताती हैं कि "ब्यौहारी क्षेत्र के बाणसागर के बैक वाटर एरिया में 19 हाथियों का एक झुंड अपना डेरा जमाए हुए है. वो पिछले कुछ महीनों से वहां पर हैं. रबी सीजन में इन्हीं हाथियों ने आसपास के खेतों में उत्पात मचाया था. फसल कट जाने के बाद अब वो जंगल में गए हैं और यहीं पर रहते हैं."

आखिर हाथियों को क्यों पसंद आया ये इलाका?
हाथियों के इस झुंड ने बाणसागर के बैक वाटर का ये एरिया क्यों चुना? इस सवाल के जवाब में तरुणा वर्मा बताती हैं कि "किसी भी जंगली जानवर को मुख्यत: 3 चीजों की आवश्यकता होती है. पानी, खाना और सुरक्षा. बैकवाटर होने की वजह से यहां पर पर्याप्त मात्रा में पानी है, साथ में हाथियों को खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में हरी घास के अलावा बांस का घना जंगल है जो उनका प्रिय आहार है.साथ ही पश्चिमी ब्यौहारी के शहरगढ़ क्षेत्र में छोटी-छोटी पहाड़ियां हैं जो इनकी सुरक्षा करती हैं. इसलिए हाथियों ने इस स्थान को अपना ठिकाना बनाया है. जब फसलों का मौसम आता है तो उन्हें खाने के लिए वो जंगल से निकलकर पास के गांव तक भी चले जाते हैं. इस वजह से ये स्थान हाथियों को बेहद रास आ रहा है."

स्थानीय लोगों को हाथियों के बारे में किया जाएगा जागरूक
वन विभाग इन हाथियों को कंट्रोल करने के लिए तैयारियों में लग गया है. तरुणा वर्मा ने बताया "इस क्षेत्र में हाथियों का मूवमेंट नया है. यहां के लोग भी इनके व्यवहार से परिचित नहीं है. इस लिए स्थानीय लोगों को हाथियों के बारे में जागरूक करने के लिए वन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. सबसे पहले हम अपने स्टाफ को हाथियों के व्यवहार, मूवमेंट और रहन-सहन को लेकर ट्रेनिंग दे रहे हैं. इसके बाद स्थानीय लोगों को इसके बारे में जागरूक किया जाएगा. इसके लिए हम अपना स्टाफ भी बढ़ाने वाले हैं. क्योंकि फसल का सीजन आने पर ये हाथी जंगल से बाहर आएंगे और फसलों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ स्थानीय बस्तियों में उत्पात मचा सकते हैं. ऐसे में लोगों को इनसे निपटने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा. उनको जानकारी दी जाएगी की हाथी के साथ कैसा व्यवहार करना है."

मध्य प्रदेश के इस इलाके में कैसे पहुंचे हाथी?
कुछ सालों पहले यहां के लोग हाथियों को लेकर बिल्कुल निश्चिंत थे. यहां हाथियों का मूवमेंट नहीं था, लेकिन 2018 में 40 हाथियों का झुंड छत्तीसगढ़ कॉरिडोर से होते हुए अनूपपुर के रास्ते शहडोल, संजय टाइगर रिजर्व होते हुए उमरिया स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पहुंच गया.हाथियों को ये विशाल जंगल खूब रास आया और फिर वो वापस नहीं गए. जबकि पहले ऐसा नहीं होता था, पहले जो भी झुंड आता था वो फिर उसी रास्ते वापस छत्तीसगढ़ लौट जाता था. दरअसल, हाथियों को यहां का वातावरण पसंद आ गया जो उनके रहने के अनुकूल भी था. धीरे-धीरे अब यहां हाथियों की संख्या करीब 60 पहुंच गई है.

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