Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

गाजीपुर का गहमर गांव: सैनिकों का गांव, वीरता की गाथाएँ

By
On:

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर को ऐसे ही वीर सपूतों का जिला नहीं कहा जाता है. इसे जिले ने प्रथम विश्व युद्ध से लेकर 1965, 1971 और कारगिल युद्ध में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है. इसी जिले का एक गांव गहमर को युद्ध कौशलता के लिए सैनिकों का गांव भी कहा जाता है. यहां के वीर सपूतों ने 1914 से 1919 के बीच प्रथम विश्व युद्ध में भाग लिया था. गांव के 21 जवानों ने अपने प्राण न्योक्षवार कर वीरता का इतिहास रचा था. इसके बाद तो यहां की युवाओं में सेना में जाने का शौक बन गया और आज इस गांव का प्रत्येक घर भारतीय सेना का गवाह है.

गाजीपुर जिसके नाम का अर्थ वीरों की धरती है और इस बात की पुष्टि चीनी यात्री ह्वेन सांग ने भी किया था. ऐसे में गाजीपुर के एक गांव जो एशिया के सबसे बड़े गांव में शुमार होता है, गहमर की बात करें तो यह गांव अपने आप में काफी अनूठा है. इस गांव में सुबह शाम हर वक्त यहां के युवा भारतीय सेना के लिए तैयारी करते हुए कहीं भी देखे जा सकते हैं. खास कर गंगा किनारे बने मठिया के ग्राउंड पर, जहां पर गहमर के युवा भारतीय सेना का वर्दी अपने सीने पर लगाने के लिए दिन-रात मेहनत करते नजर आते हैं.

पीढ़ी दर पीढ़ी कर रही सरहद की रखवाली
गांव में कम से कम एक जवान या तो सेना में है या रिटायर होकर गांव में है. आंकड़ों की बात करें तो इस गांव से अकेले 12000 से अधिक फौजी सीमाओं की निगहबानी में लगे हुए हैं. गहमर की पहचान वीर सैनिकों के गांव के रूप में भी है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसी भी परिवार में जाएं तो दादा रिटायर होकर घर पर खेती बाड़ी कर रहे हैं, वहीं उनका बेटा देश की सीमाओं की रक्षा करने में लगा हुआ है. वहीं, उनका पोता भारतीय सेना में जाने के लिए दिन-रात पसीना बहा कर तैयारी करने में लगा हुआ है. इन तीन पीढ़ियों की कहानी से इस गांव की वीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है.

For Feedback - feedback@example.com
Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News