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आंकड़ों ने दिखाया कमाल: वित्त वर्ष 2025 में सरकारी बैंकों ने प्राइवेट बैंकों को 4% से पीछे छोड़ा

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2011 के बाद पहली बार, सरकारी बैंक ने लोन बढ़ोतरी में प्राइवेट बैंकों (PVB) को पीछे छोड़ दिया है. वित्त वर्ष 2025 के अंत में सरकारी बैंक ने प्राइवेट सेक्टर के बैंकों को 4% से पीछे छोड़ दिया है. जिसमें PSB ने 13.1% साल-दर-साल लोन ग्रोथ दर्ज की, जबकि PVB के लिए ये 9% थी. बैंकों का मजबूत प्रदर्शन कई कैटेगरी में था, जिसमें मॉर्टेज और कॉर्पोरेट लोन के साथ ही ऑटो लोन जैसे कई लोन शामिल है.

ICICI बैंक का Price-To-Book (P/B) रेश्यो अभी के समय में लगभग 3.5 है. भारतीय स्टेट बैंक का Price-To-Book (P/B) लगभग 1.5 है जो दोनों बैंकों की ग्रोथ, प्रॉफिटेबिलिटी और रिस्क प्रोफाइल के बारे में दिखाता है.

सरकारी बैंकों ने प्राइवेट को ऐसे दी पटखनी

लोगों का झुकाव प्राइवेट सेक्टर के बैंकों पर कम और सरकारी बैंकों की ओर होता हुआ साफ दिखाई दे रहा है. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, आईसीआईसीआई बैंक के ग्रुप सीएफओ अनिंद्य बनर्जी ने 19 अप्रैल को एअर्निंग एनालिस्ट कॉल के बाद कहा, “बहुत बड़े, सक्षम प्रतिस्पर्धी हैं, जिनकी कीमत भी हमसे काफी कम है. ये बढ़ोतरी के मामले में कुछ चुनौतियां पैदा करता है लेकिन मुझे लगता है कि ये जीवन का हिस्सा है. इसलिए, हमें आगे बढ़ते हुए इससे निपटना होगा और देखना होगा कि हम प्रॉफिटेबल बढ़ोतरी को बनाए रखने के लिए दूसरे लीवर कैसे चला सकते हैं.

खत्म हुआ 14 साल का वनवास

HDFC बैंक भी कई तिमाहियों से इसी मुद्दे को उठा रहा है. HDFC बैंक के मुख्य वित्तीय अधिकारी श्रीनिवासन वैद्यनाथन ने अप्रैल में कहा था, “हमने पिछले 12 महीनों, 18 महीनों में देखा है कि बड़े कॉर्पोरेट लोन और बड़े एसएमई लोन में कॉम्पटिशन हो रहे हैं, सबसे ज्यादा सार्वजनिक सेक्टर के संस्थानों से आने वाले लोन. जहां बढ़ोतरी एक उद्देश्य है और जरूरी नहीं कि मार्जिन या रिटर्न हो. हमने देखा है कि उन पर प्राइस डिटरमिनेशन बहुत कम है.

98.2 लाख करोड़ रुपए का लोन पोर्टफोलियो

आरबीआई के आंकड़ों और बर्नस्टीन के एनलाइस्स से पता चला है कि 2011 की शुरुआत में पीएसयू और पीवीबी बैंकों की लोन बढ़ोतरी के बीच का अंतर लगभग 4% था. ये 2016 में 20% के उच्च स्तर पर पहुंच गया. कोविड की शुरुआत के साथ विकास अंतर कम होना शुरू हो गया जब यह फिर से 4% तक गिर गया. वित्त वर्ष 25 के अंत तक सरकारी बैंक के पास कुल 98.2 लाख करोड़ रुपए का लोन पोर्टफोलियो था. जिसकी मार्केट हिस्सेदारी 52.3% थी. इसकी तुलना में, प्राइवेट सेक्टर का लोन बेस्ड 75.2 लाख करोड़ रुपए था, जो कुल लोन का 40% था. जबकि 5 पीएसयू बैंकों ने अपने कॉर्पोरेट लोन में 10% की बढ़ोतरी की निजी बैंकों ने 4% से कम की बढ़ोतरी देखी गई.

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