मुख्यमंत्री बदल गए पर किसानों की हालत नहीं बदली
Betul Horticulture Department बैतूल। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक अपने आपको किसानों की हितैषी बताती है और इनके लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं लागू करती हैं पर इन योजनाओं को अधिकारी किस कदर पलीता लगा रहे हैं इसका उदाहरण बैतूल का उद्यानिकी विभाग है। इस विभाग ने किसानों को योजनाओं के नाम पर ऐसे सब्जबाग दिखाए कि उनको इन योजनाओं से बड़ा फायदा होने वाला है। लेकिन कुछ योजनाओं में किसान ऐसे ठगे गए कि आज भी अपने रुपए वापस लेने के लिए दर-दर की ठोंकरे खा रहे हैं। बैतूल के उद्यानिकी विभाग में आम, काजू और मुनगा के जो प्रोजेक्ट बनाए गए थे उनमें किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। मुनगा प्रोजेक्ट में तो किसानों से ली गई राशि वापस नहीं की जा रही है और किसानों ने तत्कालीन उपसंचालक एवं कंपनी के खिलाफ एफआईआर कराने के लिए आवेदन दिया था पर आज तक एफआईआर नहीं हुई। इन किसानों ने 2020 से लेकर अभी तक 20 आवेदन दे चुके हैं पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।
इनको दिए आवेदन | Betul Horticulture Department
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मुनगा पीडि़त किसानों ने जांच प्रतिवेदन के लिए सूचना के अधिकार में आवेदन दिया पर जानकारी नहीं मिली। राशि वापस लेने के लिए आवेदन दिया पर राशि नहीं मिली। एफआईआर के लिए आवेदन दिया लेकिन एफआईआर नहीं हुई। मुनगा पीडि़त किसानों ने सबसे पहले 8 जुलाई 2020 को कलेक्टर बैतूल, सांसद बैतूल, उपसंचालक उद्यानिकी बैतूल और कंपनी को आवेदन भेजे जिसमें राशि वापस दिलाने की मांग की गई थी लेकिन आज तक उन्हें राशि उपलब्ध नहीं हुई। इसके बाद लगातार ही इन किसानों ने अभी तक 20 आवेदन अधिकारियों को दे चुके हैं पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।
मुख्यमंत्री बदल गए पर किसान की हालत नहीं बदली | Betul Horticulture Department
मुनगा पीडि़त किसान घनश्याम वामनकर का कहना है कि पांच साल में पीडि़त किसानों ने सरकारी दफ्तरों के इतने चक्कर काट लिए कि अब वे थक गए हैं पर उन्हें उनकी राशि नहीं मिली है। श्री वामनकर का यह भी कहना है कि पांच साल के बीच में मुख्यमंत्री भी बदल गए पर किसान की हालत नहीं बदली है। पहले शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे और अब प्रदेश में डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री हैं और किसानों की नये मुख्यमंत्री से अपेक्षा है कि उनकी राशि दिलाई जाए। इसके अलावा इस मामले में दोषी अधिकारियों और कंपनी के लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जाए।
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