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‘ बैटल ऑफ़ बैंड्स ‘ भोपाल को इससे क्या हासिल हुआ? वरिष्ठ संगीतकार उमेश तरकसवार का जवाब

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भोपाल।   इंडी मूंस आर्ट्स फेस्टिवल के तहत भोपाल के बैंड्स के बीच हुई प्रतिस्पर्धा ' बैटल ऑफ़ बैंड्स ' एक यूनीक आइडिया था।  आठ प्रति प्रतिस्पर्धियों में हुई इस प्रतियोगिता  में पहला स्थान परिंदे बैंड्स को मिला। दूसरा सफल और तीसरा स्थान विविध बैंक ने प्राप्त किया। ' बैटल ऑफ़ बैंड्स ' भोपाल में पहली बार आयोजित किया गया था और इसके सकारात्मक परिणाम भविष्य में मिलना तय है ' बैटल ऑफ़ बैंड्स ' में निर्णायक की भूमिका भोपाल के तीन वरिष्ठ संगीतकारों ने निभाई थी। जिनमें उमेश तरकसवार राजेश भट्ट और मधु चौधरी शामिल थे। इस मौके पर बात करते हुए भोपाल के जाने माने संगीतकार गायक उमेश तरकसवार ने ' बैटल ऑफ़ बैंड्स ' आयोजन के उद्देश्य पर चर्चा की। फिल्मों और एड फिल्मों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले उमेश का कहते हैं। भोपाल में बल्कि यूं कहें कि पूरे उत्तर भारत में बैंड्स का कल्चर नहीं है। इस नज़रिए से देखें तो इंडी मूंस द्वारा आयोजित  ' बैटल ऑफ़ बैंड्स ' एक अच्छी शुरुआत कही जा सकती है। 

इसके नतीजे  भी सामने जरूर आएंगे

' बैटल ऑफ़ बैंड्स ' प्रतियोगिता के चलते   भोपाल के बैंड्स को एक दूसरे को समझने और सुनने का मौका मिला । इससे उन्हें  अपनी कमियां और दूसरों की खूबियां जानने-समझाने का अवसर भी मिला । उन्होंने यह भी जाना कि कौन कितने पानी में है? भोपाल के बैंड्स के मामले में यह कहा जा सकता है कि इन्हें प्रॉपर गाइडेंस की जरूरत है । इनकी ट्रेनिंग अभी पक्की नहीं है, कच्ची ट्रेनिंग है । अगर भोपाल के बैंड्स को आगे बढ़ना है,  तो उन्हें प्रॉपर ट्रेनिंग लेना पड़ेगी।

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