Aise shuru karein kesar ki kheti : इस तरह से शुरू करें केसर की खेती, हर महीने होगी 6 लाख रूपये की कमाई

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देश में वैसे तो केसर की खेती ठंडे प्रदेशों में की जाती है है क्यूंकि ये ठंडे जल वायु में उगने वाली फसल है। लेकिन अब देश के अन्य राज्यों में भी केसर की खेती शुरू हो चुकी है।  इसकी खेती का तरीका देश के कई राज्यों उत्तर प्रदेश हरियाणा राजस्थान अन्य राज्यों में किसान बड़े पैमाने पर केसर की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। केसर एक ऐसी फसल है जो आपको सिर्फ कुछ महीनो में ही लखपति और करोरेपति बना सकती है।  परंपरागत खेती से हटकर औषधीय खेती किसानों को करोड़पति बना सकती है ऐसी ही एक खेती है केसर की खेती केसर की खेती कैसे करें इसके क्या फायदे हैं इससे कितने रुपए प्रतिमाह कमाएं जा सकते है, जानिए कैसे की जाती है केसर की खेती…..

केसर की खेती के लिए अच्छी-खासी धूप की जरूरत होती है। इसकी खेती के लिए जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर सबसे उत्तम माना जाता है। बाजार में केसर की कीमत 2.5 लाख से 3 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है। यही वजह है कि युवाओं का रुझान भी इसकी खेती की ओर तेजी से बढ़ा है।केसर की खेती बुंदेलखंड के किसानों की किस्मत बदल रही केसर ठंडी जलवायु में उगने वाली फसल है। इसीलिए जम्मू-कश्मीर में इसकी खेती बहुत अधिक होती है। लेकिन बुंदेलखंड की जलवायु जम्मू-कश्मीर के मुकाबले गर्म है। इस लिहाज से देखा जाए तो बुंदेलखंड में इसकी खेती को कर पाना अपने आप में चौंकाने वाली खबर है। लेकिन यहां के किसानों ने इसे उगाकर ही दम लिया।बुंदेलखंड के एक किसान बताते हैं कि केसर सिर्फ वादियों में ही नहीं उग सकता बल्कि इसको ठंडे इलाके की बजाय थोड़े गर्म इलाके में भी उगाया जा सकता है लेकिन बस शर्त यह है की एक दिन में आपको इसकी फसल में 4 से 5 बार पानी डालना होगा। जानकारी के अनुसार बुंदेलखंड के हमीरपुर के निवादा गांव के केसर की खेती कर रहे हैं। वो भी बंजर जमीन पर। इस बारे में यहां के किसानों का यह कहना था हमें उम्मीद नहीं थी कि ऐसी जमीन पर केसर उगा सकते हैं, लेकिन फिर भी हमने हार नहीं मानी और उसका नतीजा यह हुआ की यहां भी केसर लहलहाने लगी।  

केसर के कई नामकेसर के पौधे अक्टूबर में फूल देने लगते हैं। इसमें पतले व नोकदार पत्ते निकलते हैं। जो संकरी, लंबी और नालीदार होती हैं। इनके बीच से पुष्पदंड निकलता है, जिस पर नीललोहित वर्ण के एकांकी अथवा एकाधिक पुष्प होते हैं। इसके पुष्प की शुष्क कुक्षियों को केसर कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन कहते हैं।केसर की किस्मेंकेसर का पौधा सुगंध देनेवाला बहुवर्षीय होता है और क्षुप 15 से 25 सेमी (आधा गज) ऊंचा, परंतु कांडहीन होता है। इसमें घास की तरह लंबे, पतले व नोकदार पत्ते निकलते हैं। जो संकरी, लंबी और नालीदार होती हैं। इनके बीच से पुष्पदंड निकलता है, जिस पर नीललोहित वर्ण के एकांकी अथवा एकाधिक पुष्प होते हैं। अप्रजायी होने की वजह से इसमें बीज नहीं पाए जाते हैं। इसके पुष्प की शुष्क कुक्षियों को केसर, कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन कहते हैं। इसमें अकेले या 2 से 3 की संख्या में फूल निकलते हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी, नीला एवं सफेद होता है। ये फूल कीपनुमा आकार के होते हैं। इनके भीतर लाल या नारंगी रंग के तीन मादा भाग पाए जाते हैं। इस मादा भाग को वर्तिका (तन्तु) एवं वर्तिकाग्र कहते हैं। यही केसर कहलाता है।  

केसर को उगाने के लिए समुद्रतल से लगभग 2000 मीटर ऊंचा पहाड़ी क्षेत्र एवं शीतोष्ण सूखी जलवायु की आवश्यकता होती है। पौधे के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। यह पौधा कली निकलने से पहले बारिश एवं हिमपात दोनों बर्दाश्त कर लेता है, लेकिन कलियों के निकलने के बाद ऐसा होने पर पूरी फसल चौपट हो जाती है। मध्य एवं पश्चिमी एशिया के स्थानीय पौधे केसर को कंद (बल्ब) द्वारा उगाया जाता है।केसर बीमारियों के लिए फायदेमंदकेसर का उपयोग खीर, गुलाब जामुन, दूध के साथ किया जाता है। मिठाइयों में इसके उपयोग से उसका स्वाद बढ जाता है। इसके अलावा औषधीय दवाइयों में भी इसका उपयोग किया जाता है। पेट संबंधित बीमारियों के इलाज में केसर बहुत फायदेमंद है।

केसर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु व मिट्टी

केसर की खेती समुंद्र तल से 1500 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर होती है। लेकिन कुछ गर्म इलाकों में भी इसकी खेती की जा सकती है। जैसा कि बुंदेलखंड के किसानों ने इसे कर दिखाया। अब बात करें इसके लिए कौनसी मिट्टी उपयुक्त रहती है तो केसर की खेती के लिए रेतीली, चिकनी, बलुई या फिर दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। इसके अलावा अन्य प्रकार की मिट्टी में भी इसे उगाया जा सकता है। पर ध्यान रहे जहां इसे उगाया जाए वहां उचित जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए। क्योंकि जल जमाव के कारण इसके क्रोम्स खराब हो जाते हैं।केसर की खेती के लिए खेत की तैयारी कैसे करेंकेसर का बीज बोने या लगाने से पहले खेत कि अच्छी तरह से जुताई की जाती है। इसके अलावा मिट्टी को भुरभुरा बनाकर आखिरी जुताई से पहले 20 टन गोबर का खाद और साथ में 90 किलोग्राम नाइट्रोजन 60 किलोग्राम फास्फोरस और पोटास प्रति हेक्टेयर के दर से अपने खेत में डाला जाता है। इससे भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ेगी जिससे केसर की खेती में अच्छी होगी।  

ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में केसरी की खेती जुलाई से अगस्त माह तक की जाती है लेकिन मध्य जुलाई का समय इसकी खेती के लिए अधिक उचित रहता है। जबकि मैदानी इलाकों में इसकी खेती का उचित समय फरवरी से मार्च का माना जाता है।केसर की खेती के लिए बीज की व्यवस्था कैसे करेंकेसर का बीज अमेजन जैसी ऑनलाइन साइटों पर भी विक्रय किए जाते हैं। इसके अलावा आप पालमपुर में स्थित सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान से भी इसका बीज प्राप्त कर सकते हैं।केसर की खेती के लिए बुवाई कैसे करेंकेसर के क्रोम्स लगाते के लिए सबसे पहले 6-7 सेमी का गड्ढा करें और दो क्रोम्स के बीच की दूरी लगभग 10 सेमी रखें। ऐसा करने से कोम्स अच्छे से फैलती है और पराग भी अच्छे मात्रा में निकलते हैं।  

Source – Internet 

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