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वट सावित्री व्रत में क्या करें और क्या न करें? जानिए सभी जरूरी नियम और शुभ विधि

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हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का बहुत खास महत्व है. यह व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करती हैं. धार्मिक ग्रंथों में वट सावित्री व्रत को विशेष फल देने वाला बताया गया है. यदि इसे सही विधि-विधान से किया जाए तो कई तरह के लाभ मिलते हैं.
ज्येष्ठ मास में वट सावित्री व्रत दो बार आता है. एक बार कृष्ण पक्ष की अमावस्या को और दूसरी बार शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को. ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष में यह व्रत करने से वैधव्य दोष दूर होता है. वहीं शुक्ल पक्ष में करने से पति की लंबी उम्र होती है और जीवन की सभी परेशानियां खत्म होती हैं. पुराणों में इस व्रत का विशेष वर्णन मिलता है.

महाभारत में भी मिलता है इस व्रत का उल्लेख
हरिद्वार के ज्योतिष पंडित श्रीधर शास्त्री के अनुसार, वट सावित्री व्रत का हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा महत्व है. सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लिए यह व्रत करती हैं. महाभारत और अन्य धार्मिक ग्रंथों में सावित्री और सत्यवान की कथा का उल्लेख मिलता है, जिसमें सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस लिए थे. इसी कथा के आधार पर माना जाता है कि यह व्रत करने से वैधव्य दोष दूर होता है और जीवन की सभी कठिनाइयां खत्म हो जाती हैं.

वट सावित्री पर इस चीज से करें परहेज
पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि इस साल वट सावित्री व्रत 10 जून मंगलवार को मनाया जाएगा. इस दिन तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, ध्यान लगाएं और व्रत का संकल्प लें. व्रत के दौरान फल और हल्का भोजन ग्रहण करें. वट वृक्ष की पूजा करना और सूती धागे से वट वृक्ष की सात परिक्रमा करना शुभ माना जाता है. इससे पति की आयु लंबी होती है.

धार्मिक मान्यता है कि वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्य देवी-देवताओं का वास होता है. इसलिए इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि आती है. व्रत के दौरान वट सावित्री की कथा पढ़ना भी शुभ माना जाता है.
इस व्रत को विधिपूर्वक करने से जीवन में खुशहाली आती है और पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है. इसलिए हर सुहागन महिला को इस वट सावित्री व्रत का पालन जरूर करना चाहिए.

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