जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे बच्चे
school building – भैंसदेही – शिक्षा विभाग स्कूलों के बेहतर व्यवस्थाओं के अनेकों दावे करता लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी हकीकत इससे बिल्कुल परे है। भ्रष्टाचार ने अपने पांव इस कदर फैला रखे है कि पंचायत एजेंसी हो या विभाग द्वारा किए ग्रामीण क्षेत्रों में भवनों कि हालत इस कदर है कि महज़ पांच से दस वर्षों में दम तोड़ देती है। ऐसे में सरकार को चुना लगाकर जनता का पैसा हजम करने वाले एजेंसी पर कोई कार्रवाई नहीं करता चाहे लाख शिकायतें क्यूं ना हो? एक ऐसा ही मामला भैंसदेही विकासखण्ड की ग्राम पंचायत जामुलनी के ग्राम पाटोली में देखने को मिला है। कुछ वर्ष पहले ही बच्चों के लिए बना भवन अब बच्चों के लिए जान का जोखिम बन गया है।
दीवालों में पड़ गई दरार | school building
दरअसल स्कूलों की दीवारों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। छत का प्लास्टर उखड़ कर गिर रहा है। जरा सी बारिश में ही छत से पानी टपकने लगता है। दीवारों से पानी रिसकर कमरों में भर जाता है। पाटोली के एकीकृत माध्यमिक शाला में आठवीं तक कुल 158 बच्चों की संख्या दर्ज है। लेकिन बच्चों के बैठने के उचित इंतजाम तक नहीं है। जिसके कारण बच्चे ही नहीं, शिक्षक भी परेशान है।
टपक रही छत
बारिश में टपकती छत से पानी रोकने के लिए नीचे प्लास्टिक लगाकर जैसे-जैसे इंतजाम किया गया है, लेकिन इससे भी हल नहीं निकल सका क्योंकि थोड़ी देर राहत के बाद कमरे की हालत फिर जस की तस बन जाती है। शिक्षकों ने कई बार बीआरसी और बीईओ को स्कूल की खस्ता हालत से अवगत भी कराया, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
भवन बनने के बाद नहीं हुई मरम्मत | school building
स्कूल निर्माण के बाद से अब तक भवन की मरम्मत नहीं कराई गई। मरम्मत के अभाव में स्कूल भवन अब पूरी तरह से जर्जर हालत में पहुंच गया है। ऐसे में इसी भवन में बैठकर बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है। जिससे शिक्षकों, बच्चो और अभिभावकों में हमेशा अनहोनी का डर बना रहता है।
जन सहयोग से बने टीन शेट में पढ़ रहे बच्चे
वहीं बच्चों की परेशानियों को देखते हुए ग्रामीणों द्वारा पैसा इक_ा कर जन सहयोग से निर्मित एक टीन शेड का निर्माण करवाया है। जिसका उपयोग वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर किया जाता है और मजबूरी में इसी शेड में बच्चों को बैठाकर शिक्षा दी जा रही है।