हजारों फार्मासिस्ट परेशान, गैर-फार्मासिस्टों की ली जा रही मदद
Pharmacists: मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के 10,267 प्रशासकीय केंद्र संचालित हैं, जहां अब तक फार्मासिस्टों की भर्ती नहीं की गई है। ये केंद्र 126 प्रकार की दवाओं का वितरण और रखरखाव करते हैं, लेकिन इस काम के लिए गैर-फार्मासिस्टों की मदद ली जा रही है, जो फार्मेसी एक्ट का उल्लंघन है।
फार्मासिस्टों की उपेक्षा
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के तहत आयुष, नर्सिंग के साथ-साथ फार्मासिस्ट भी कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (CHO) पद के लिए योग्य माने गए हैं। लेकिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) मध्य प्रदेश द्वारा फार्मासिस्टों को इस भूमिका के लिए नजरअंदाज किया जा रहा है। एलोपैथी प्रणाली में एमबीबीएस और एमएस/एमडी डिग्रीधारी चिकित्सक उपचार करते हैं, और फार्मासिस्ट मरीजों और बीमारियों के बारे में जानकारी रखने वाले सबसे नजदीकी विशेषज्ञ होते हैं। इसके बावजूद, उन्हें CHO पद के लिए योग्य नहीं माना जा रहा है।
फार्मासिस्टों की योग्यता
फार्मासिस्ट अपने बी.फार्मेसी और एम.फार्मेसी कोर्स के दौरान एलोपैथी पद्धति, बीमारी और उसके उपचार का अध्ययन करते हैं। बी.फार्मेसी का चार वर्षीय पाठ्यक्रम 75 विषयों पर आधारित होता है, जिसमें थ्योरी और प्रैक्टिकल के माध्यम से व्यापक रूप से अध्ययन किया जाता है। इसके बावजूद, फार्मासिस्टों को स्वास्थ्य मिशन में उचित अवसर नहीं मिल रहे हैं।
काउंसिल की अनियमितताएं
फार्मासिस्टों का आरोप है कि मध्य प्रदेश फार्मेसी काउंसिल में कई अनियमितताएं हो रही हैं। खासकर पंजीयन, रिनुअल, एनओसी, और प्रोफाइल क्रिएशन से जुड़े मामलों में फार्मासिस्टों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। काउंसिल में दलाल सक्रिय हैं, और बिना रिश्वत दिए काम नहीं हो पाते। फार्मासिस्टों का कहना है कि अगर वे रिश्वत नहीं देते, तो उनके काम रोक दिए जाते हैं, जिससे हजारों फार्मासिस्ट परेशान हो रहे हैं।
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