Pandit Pradeep Mishra Betul Katha DLive – श्री माँ ताप्ती शिव महापुराण सातवे दिन की कथा का प्रसारण  

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Pandit Pradeep Mishra Betul Katha DLive – प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की सातवे दिन की श्री माँ ताप्ती शिव महापुराण कथा आज सुबह 9 बजे से शुरू हो गई थी। जिसका प्रसारण अब 1 बजे से हो रहा है। बैतूल की धरा पावन हो गई।

https://youtu.be/S7WzXMn6CHQ
Video Courtesy – Pandit Pradeep Ji Mishra Sehore Wale Youtube

छटवे दिन की कथा के बिंदु – 

ईश्वर सभी को देता है एक मौका: पं. प्रदीप मिश्रा, दुनिया की यह पहली कथा है जिसे हाईवे पर बैठकर लोग सुन रहे

देख लेता है परमात्मा हमें(Pandit Pradeep Mishra Betul Katha DLive)

पं. प्रदीप मिश्रा ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक व्यक्ति शंकर जी के मंदिर में जाकर प्रतिदिन दीया लगाता था। तर्क करने वाले ने कहा कहां जा रहे हो? उसने कहा दीया लगाने के लिए? तर्क करने वाले ने पूछा उससे क्या होता है? इसमें ज्योति कहां से आई बताओ? व्यक्ति दीए को देखा और दीए में फूंक मार दी। इसके बाद उसने तर्क करने वाले ने पूछा दीया क्यों बुझाया? व्यक्ति ने कहा तुम ये बताओ ज्योति बुझी तो कहां गई? तर्क करने वाला वह भी सोच में पड़ गया कि ज्योति को जलाने और बुझाने वाला परमात्मा वही है।  हम परात्मा को नहीं देख पाते हैं लेकिन परमात्मा हमें देख लेता है। उसकी चौबीस घंटे दृष्टि हम पर रहती है।

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संसार नहीं भगवान को प्रसन्न करो(Pandit Pradeep Mishra Betul Katha DLive)

यदि हम संसार को प्रसन्न करने में लगे रहेंगे तो कुछ भी हासिल नहीं होगा। लेकिन यदि तुम भगवान को प्रसन्न करोगे तो संसार अपने आप तुम्हारा हो जाएगा। इसलिए जितना हो सके भगवान को प्रसन्न करने में लगे रहो। एक भगवान ही है जो कि आपकी सभी प्रकार के दुख-तकलीफों को मात्र एक लोटा जल चढ़ाने से दूर कर सकता है। इसलिए जितना हो सके भगवान को प्रसन्न करने, उसे रिझाने का प्रयास करो। संसार में उलझकर अपना समय बर्बाद मत करो।

पल-पल में रंग बदलता है इंसान(Pandit Pradeep Mishra Betul Katha DLive)

इंसान को हम काम होता है तो हाथ जोडक़र बात करता है लेकिन काम हो जाने के बाद उसका व्यवहार बदल जाता है। वहीं यदि हम कोयल की बात करें तो उसे भी दुख-तकलीफ सभी होती है बावजूद इसके वह अपनी बोली नहीं बदलती। लेकिन सिर्फ इंसान ही ऐसा है जो कि काम निकल जाने के बाद अपना रंग इस कदर बदलता है कि कहा नहीं जा सकता है। पल-पल में बदलने वाला सिर्फ इंसान का ही व्यवहार होता है। पंडित जी ने कहा कि सुख हो चाहे दुख हमेशा एक जैसे बने रहे। 

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