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Opretion:जिला अस्पताल में दूसरी बार महिला के पेट में छोड़ा कपड़ा

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आपरेशन के दौरान सामने आई लापरवाही, जान पर आ गई थी बन

बैतूल। जिला अस्पताल में सीजर के दौरान लापरवाही बरतने का दूसरा मामला सामने आया है। ताजा मामले में एक महिला के पेट में कपड़ा छोड़ दिया गया जिससे महिला की जान पर बन आ गई थी। निजी अस्पताल में महिला को भर्ती कराने पर आपरेशन कर उसके पेट से कपड़ा निकाला गया है। इस मामले में पीडि़ता के परिजनों की शिकायत के बाद सिविल सर्जन डॉ. अशोक बारंगा ने कहा कि मामले की जांच करवाई जाएगी। बहरहाल मजदूर वर्ग से ताल्लुक रखने वाले पीडि़ता के परिवार के पास निजी अस्पताल का बिल भुगतान करने की भी राशि नहीं है।


आपरेशन के बाद बनी थी पेट दर्द की शिकायत

पेशे से मजदूर आमला निवासी विजय रावत ने अपनी गर्भवती पत्नी गायत्री (20) को डिलीवरी के लिए जून महीने में जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। ऑपरेशन के जरिए डिलीवरी हुई। पीडि़ता के पिता रमेश टेकाम का कहना है कि इसके बाद से ही गायत्री पेट दर्द की शिकायत कर रही थी। धीरे-धीरे तकलीफ बढ़ती रही। पिछले एक महीने से दर्द बहुत बढ़ गया था। वह जो कुछ भी खाती थी उल्टी हो जाती थी। कई जगह दिखाया, लेकिन कोई आराम नहीं हुआ। जिला अस्पताल में भी तीन दिन से भर्ती थी। हालांकि, वहां बोतल लगा दी और फिर छुट्टी कर दी गई, लेकिन कोई आराम नहीं हुआ।

पेट से निकला कपड़ा, आंतें भी फटी थीं

जिला अस्पताल से भी आराम नहीं मिला तो महिला को कोठी बाजार स्थित निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। सोनोग्राफी समेत तमाम जांच के बाद उसका ऑपरेशन किया गया। डॉ. शैलेंद्र पंद्राम ने बताया की महिला कल हमारे पास आई थी। उसकी सोनोग्राफी करवाई तो इंटेस्टाइन में रुकावट थी। तब हमने डिसाइड किया कि ऑपरेशन करेंगे। लेप्रोटिमी प्रोसीजर से ऑपरेशन किया गया। जिसमें पता चला कि बाउल नीचे जाकर बच्चेदानी में चिपकी हुई थी। उसे निकाला तो वह पूरी फटी हुई थी। निकालने की कोशिश की तो लगा यह स्टूल (मल) है, लेकिन वह जालीदार दिखा। जब खोला तो वह लंबा कपड़ा था। ये समझ नहीं आ रहा की यह पेट में कैसे चला गया। डॉ. पंद्राम का कहना है कि जिला अस्पताल में प्रॉपर इन्वेस्टिगेशन नहीं किया गया।


बोले सीएस करवाएं जांच

जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अशोक बारंगा ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। महिला का रिकॉर्ड निकलवाया गया है। इसका सीजर किया गया था। अब उसके पेट में कपड़ा कैसे आया इसकी जांच करवा रहे हैं। जिसकी भी लापरवाही पाई जाएगी, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। गायत्री का पति विजय रावत और पिता रमेश मजदूरी करते हैं। बेटी को निजी अस्पताल में भर्ती कराने के बाद यह पूरा परिवार परेशान है। हॉस्पिटल का खर्च और डॉक्टर की फीस चुकाने की चिंता है।

पेट में कपड़ा छोडऩे का ये दूसरा मामला

बैतूल जिला अस्पताल में मरीज के पेट में कपड़ा छोडऩे का यह दूसरा मामला है। इससे पहले हिना फाजलानी के साथ ऐसे ही वाकया हो चुका है। 29 नवंबर 2015 को जिला अस्पताल में उनका ऑपरेशन किया गया था। शुरू में तो दर्द को सीजर का दर्द समझते रहे, लेकिन जब दर्द बढ़ गया तो डॉक्टर को दिखाया। हालांकि, डॉक्टर जांच की बजाय दर्द और एसीडिटी की दवा देती रही। आखिर में दर्द से तड़पती हिना को परिजन नागपुर के एक निजी अस्पताल ले गए। यहां 1 लाख खर्च कर दोबारा ऑपरेशन कराया गया तो पेट से कपड़ा निकला था। इस मामले में हिना ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। उन्होंने पूरा मामला कंज्यूमर कोर्ट में खींच लिया। पिछले अप्रैल महीने बैतूल के कंज्यूमर कोर्ट के आदेश पर सीएमएचओ बैतूल ने पीडि़ता को एक लाख 46 हजार रुपए का हर्जाना चुकाया। पीडि़ता पिछले नौ साल से लड़ाई लड़ रही थी।

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