विधानसभा में मूंग की बोरी ले जाकर विधायक ने किया प्रदर्शन, किसान बोले- कृषि विभाग के सर्वे को सरकार ने सिरे से किया खारिज
Moong Ki Kharidi – भोपाल/बैतूल – खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात करने वाली भाजपा की कथनी और करनी में अंतर देखने को मिल रहा है जहां सरकार की योजना किसानों को कंगाल बनाने पर तूली हुई है। इसका उदाहरण आज विधानसभा में देखने को मिला जब टिमरनी के कांग्रेस विधायक कंधे पर मूंग की बोरी रखकर नारेबाजी करते हुए विधानसभा में पहुंच गए। उनके प्रदर्शन करने के पीछे किसानों का वह दर्द छिपा था जिसमें सरकार समर्थन मूल्य खरीदी में उत्पादन से कम की खरीदी कर रही है। इतना ही नहीं सरकार ने कृषि विभाग के उत्पादन से संबंधित किए सर्वे को भी दरकिनार कर दिया है।
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मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र का आज चौथा दिन है। टिमरनी विधायक अभिजीत शाह मूंग की बोरी कंधे पर रखकर नारेबाजी करते हुए विधानसभा पहुंचे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसान विरोधी है। इसके जवाब में पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र लोधी बोले कि कांग्रेस की हालत सांप-छछूंदर जैसी हो गई है। दरअसल कांग्रेस विधायक का विरोध मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीदी को लेकर था। किसानों की उपज तो ज्यादा हुई है लेकिन सरकार समर्थन मूल्य पर कम खरीदी कर रही है। इसी को लेकर श्री शाह ने विधानसभा में विरोध प्रदर्शन किया।
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उत्पादन 17 और खरीदी 8
मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीदी को लेकर बैतूल के किसानों से चर्चा की गई तो किसान ब्रजेश पटेल का कहना है कि इस साल मूंग का उत्पादन 1 हैक्टेयर में लगभग 17 क्विंटल हुआ है। और सरकार ने निर्धारित किया है कि वह समर्थन मूल्य पर सिर्फ 8 क्विंटल ही खरीदेगी। वहीं किसानों का कहना है कि जब पिछले साल कृषि विभाग ने सर्वे किया था तो 1 हैक्टेयर में 12 क्विंटल 10 किलो मूंग का एवरेज उत्पादन माना गया था। सरकार की कृषि विभाग के सर्वे को भी नहीं मान रही है। सरकार मूंग के उत्पादन को कम मान रही है जबकि उत्पादन ज्यादा हो रहा है।
बाजार मूल्य है कम | Moong Ki Kharidi
किसान अश्विनी चौधरी का आरोप है कि समर्थन मूल्य पर मूंग 8 हजार 505 रुपए प्रति क्विंटल खरीदी जा रही है। जबकि मंडी में मूूंग के दाम 6 से 7 हजार रुपए क्विंटल है। इससे सीधा-सीधा किसान को 1 क्विंटल पर लगभग 1500 रुपए का नुकसान होगा। जिन किसानों की ज्यादा खेती है और मूंग का उत्पादन ज्यादा हुआ है उनका बड़ा नुकसान हो रहा है क्योंकि समर्थन मूल्य खरीदी के लिए जब स्लाट बुक होता है तो 1 हैक्टेयर में 8 क्विंटल की ही खरीदी के लिए स्लाट मिलता है। किसानों का कहना है कि भाजपा सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाने की जो बात करती है वो धरातल पर चरितार्थ नहीं हो रही है।
क्यों लेट हुई खरीदी?
समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी 24 जून से शुरू होनी थी। लेकिन 10 दिन बाद यह खरीदी 4 जुलाई से शुरू हुई है। बताया जा रहा है कि मूंग खरीदी के लिए प्रशासन ने केंद्र निर्धारित नहीं किए थे और ना ही कोई तैयारी की थी जिसके कारण मूंग खरीदी का कार्य देरी से शुरू हुआ है। वहीं किसानों का मानना है कि लेटलतीफी जानबुझकर की गई है जिससे जरूरमंद किसान व्यापारी को कम दामों में मूंग बेच दें और सरकार को अधिक कीमत ना चुकाना पड़ा। वहीं यह भी चर्चा है कि जिन व्यापारियों ने पहले मूंग खरीद ली है अब वह उन किसानों की तलाश कर रहे हैं जिनका पंजीयन है और वे पहले ही मूंग बेच चुके हैं। इससे किसानों के नाम पर मूंग बेचकर वे अच्छा फायदा कमा सकते हैं।
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